डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Ambala-Sirsa Lok Sabha Seats, चंडीगढ़ : आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तमाम सियासी दल चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। हरियाणा में 2 लोकसभा सीट आरक्षित हैं जहां सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। हालांकि भाजपा ने दोनों सीटों से अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है तो वहीं मुख्य विपक्षी दल ने अब तक दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवारों को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया। अब सबकी नजर इस पर टिकी हैं कि कांग्रेस इन दोनों आरक्षित सीटों पर किसको चुनावी रण में उतारती है।
हरियाणा में एक बड़ा वोट बैंक आरक्षित वर्ग से है। इसको देखते हुए सभी राजनीतिक दल वर्ग को साधने में जुट गए हैं। वहीं ये भी बता दें कि दो आरक्षित लोकसभा सीटों के अलावा हरियाणा में 17 सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और सरकार बनाने में इन सीटों का अहम योगदान रहता है। मतदाताओं के मामले में हरियाणा में अंबाला सबसे बड़ा चौथा व सिरसा पांचवां लोकसभा क्षेत्र है। चूंकि अब मतदाताओं की लिस्ट अपडेट होनी है तो मतदाताओं की संख्या में इजाफा या कमी हो सकती है।
अम्बाला के बाद सबसे बड़ा सिरसा लोकसभा हलका है जहाँ 1924259 मतदाता हैं। इस हलके में सिरसा जिले के पांचों विधानसभा हलके – कालांवाली, डबवाली, रानियां, सिरसा और ऐलनाबाद, फतेहाबाद जिले के तीन -रतिया, टोहाना और फतेहाबाद और जींद जिले का नरवाना विधानसभा हलका शामिल है। उपरोक्त जानकारी देते हुए पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में अधिवक्ता व एक्सपर्ट हेमंत कुमार ने बताया कि हालांकि दिसम्बर, 2021 में देश की संसद द्वारा निर्वाचन विधि (संशोधन) कानून, 2021 पारित किया गया था जिसे 1 अगस्त, 2022 से लागू किया गया।
इसके द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 में अन्य संशोधनों के साथ ही यह भी प्रावधान किया गया है कि हर वर्ष केवल 1 जनवरी को ही नहीं बल्कि 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को भी 18 वर्ष की आयु पूरे करने वाले स्थानीय निवासियों का नाम सम्बंधित क्षेत्र की मतदाता सूचियों में शामिल किया जा सकता है जिससे आगामी तीन माह अर्थात अप्रैल-मई 2024 में निर्धारित 18 वीं लोकसभा आम चुनाव के मतदान से पूर्व मतदाता संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है।
प्रदेश में कुल 90 विधानसभा सीटों में से 17 हलके अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों लिए 2030 तक आरक्षित रहेंगे। जिनमें अंबाला में मुलाना, सिरसा में कालांवाली, फतेहाबाद में रतिया, हिसार में उकलाना, भिवानी में भवानी खेड़ा, झज्जर में झज्जर सीट, रोहतक में कलानौर, यमुनानगर में साढौरा, कुरुक्षेत्र में शाहाबाद, कैथल में गुहला, करनाल में नीलोखेड़ी, पानीपत में इसराना, सोनीपत में खरखौदा, जींद में नरवाना, रेवाड़ी में बावल, गुडगाँव में पटौदी और पलवल में होडल शामिल हैं। हरियाणा के मौजूदा कुल 22 जिलों में पांच जिलों महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, पंचकूला, नूहं और चरखी दादरी में कोई भी विधानसभा सीट आरक्षित नहीं है।
बता दें कि अंबाला और सिरसा दोनों ही सीटें भाजपा द्वारा पिछली बार जीती गई थी। अंबाला से पार्टी के रतन लाल कटारिया चुनाव जीते थे लेकिन बीमारी के चलते उनका देहावसान होने से ये सीट खाली है और। वहीं सिरसा से सीट से भाजपा की सुनीता दुग्गल ने चुनाव जीता था। अबकी बार भाजपा ने सिरसा से सुनीता दुग्गल की टिकट काटकर अशोक तंवर को टिकट दी है तो वहीं दिवंगत सांसद रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को अंबाला के चुनावी मैदान में उतारा है।
हरियाणा में कुल 17 आरक्षित विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों पर सबसे ज्यादा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सबसे ज्यादा 7 विधायक जीते हैं। यमुनानगर में साढौरा से रेणुबाला,पानीपत में इसराना से बलबीर वाल्मीकि, रोहतक में कलानौर से शकुंतला खटक, सोनीपत में खरखौदा से जयवीर वाल्मीकि, सिरसा के कालांवाली से शीशपाल केहरवाल, अंबाला में मुलाना से वरुण चौधरी, और रोहतक के झज्जर से गीता भुक्कल विधायक हैं। इसके बाद सत्ताधारी भाजपा के दूसरे स्थान पर सबसे ज्यादा 5 विधायक चुनाव जीते हैं।
इनमें फतेहाबाद में रतिया से लक्ष्मण नापा, भिवानी के बवानीखेड़ा से विशंभर वाल्मीकि, रेवाड़ी में बावल से बनवारी लाल, गुरुग्राम में पटौदी से सत्यप्रकाश जरावता और फरीदाबाद में होडल से जगदीश नय्यर चुनाव जीतकर आए हैं। वहीं सत्ता में सहयोगी जजपा के तीन विधायक हैं। कैथल में गुहला चीका से ईश्वर सिंह, कुरुक्षेत्र में शाहाबाद से रामकरण कालाहिसार में उकलाना से अनूप धानक, और जींद में नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा चुनाव जीतकर आए हैं। वहीं नीलोखेड़ी से निर्दलीय धर्मपाल गोंदर चुनाव जीते हैं। इस लिहाज से देखें तो कांग्रेस की एससी वोटर्स में खासी पैठ है और पार्टी आगे भी इस बढ़त को बनाए रखने की जुगत में रहेगी।
पीपीपी के आधार पर जातीय आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में एससी वर्ग के कुल 13,68,365 परिवार हैं। ये कुल परिवारों का 20.71 फीसद है। वहीं बीसी ए वर्ग के परिवारों की बात करें तो इनकी संख्या 1123852 हैं जो कुल परिवारों का 16.52 फीसद बैठता है। बीसी बी वर्ग की बात करें तो इनकी संख्या 869079 है जो कि कुल जनसंख्या का 12.78 फीसद है। ये भी बता दें कि प्रदेश में 72 लाख परिवारों ने पीपीपी बनवाने के लिए आवेदन किया। इनमें से 68 लाख परिवारों का डाटा वेरीफाई हो चुका है। लगभग 2.5 लाख परिवार ऐसे हैं, जो किसी अन्य राज्य में रह रहे हैं, उनका डाटा अभी वेरीफाई होना है।
कुछ परिवारों के डाटा वेरीफाई करने की प्रक्रिया चल रही है। आने वाले चुनावों में एससी व बीसी वर्ग आंकड़ा देखते हुए साफ है कि ये दोनो ही डिसाइडिंग फैक्टर साबित होने वाले हैं। हरियाणा में एससी व बीसी वर्ग की बात करें तो कुल जनसंख्या का ये करीब 51 फीसदी हैं।
पीपीपी के आधार पर प्रदेश की कुल संख्या 2 करोड़ 83 लाख है। इनमें से एससी वर्ग के लोगों की संख्या 5861131 है और कुल का 20.71 प्रतिशत है। ऐसे में प्रदेश की कुल जनसंख्या का पांचवा हिस्सा एससी वर्ग का है। बीसी ए वर्ग के लोगों की संख्या 4793312 है जो कुल जनसंख्या का 16.93 फीसद हैं। इनके अलावा बीसी बी कैटेगरी की संख्या 3797306 है । ये जनसंख्या का 13.41 फीसदी है।
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