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Satpal Singh Gill : जब प्रशासन हुआ लाचार तो सरदार हुआ असरदार

  • फतेहाबाद की ढाणी टाली के सतपाल सिंह गिल ने अपने स्तर पर तीन किलोमीटर से बहाल करवाई पेयजल सप्लाई

पवन शर्मा, India News (इंडिया न्यूज़), Satpal Singh Gill, फतेहाबाद/चंडीगढ़ : “हिम्मते मर्दा मददे खुदा “उर्दू कहावत को चरितार्थ किया है फतेहाबाद से मात्र 4 किलामीटर दूर टाली की ढाणी के सतपाल सिंह गिल ने। जी हां, जब प्रशासन लाचार हो गया तो गिल ने अपने बलबुते पर न केवल ढाणी में पानी की सप्लाई को बहाल कर दिया, बल्कि पूरे खतरे के बाद भी अपने घर को नहीं छोड़ा। कड़ी परिस्थितियों में भी सतपाल सिंह गिल मोर्चे पर डटे रहे। तमाम परेशानियों के बाद भी अपने पूरे गांव की देख-रेख का जिम्मा गिल ने अपने कंधों पर ले रखा है।

प्रशासन परिस्थितियों से निपटने में नाकाम रहा : गिल

सतपाल सिंह गिल का कहना है कि प्रशासन पूरी तरह से परिस्थितियों से निपटने में नाकाम रहा है। किसी तरह की मदद प्रशासन की ओर से नहीं मिल रही। केवल मात्र औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं, अगर सही ढंग से प्रशासन जिम्मेदारी निभाता तो आज इतनी खराब हालत शायद नहीं होती।

स्विट्जरलैंड काम छोड़ कर बीच में ही लौटे गिल

आपको बता दें कि स्विट्जरलैंड में अपना कारोबार करने वाले सतपाल गिल कुछ दिन पहले ही भारत से गए थे, मगर जैसे ही पता चला कि फतेहाबाद की ओर पानी बढ़ रहा है और बाढ़ के हालात होने वाले हैं तो वे तुरंत लौट आए। जब वे अपने घर आए तो खुद गांव में बांध व रेत डालने का कार्य शुरू करवाया, मगर तीसरे दिन ही पानी भरना शुरू हुआ तो प्रशासन गांव खाली करवाने पहुंचा। लेकिन सतपाल गिल ने साफ मना कर दिया कि वे घर नहीं छोड़ सकते। जहां लोग घर छोड़कर भाग रहे थे, वहीं गिल लोगों को डटे रहने का हौसला देते रहे। कुछ ने बात भी मानी, मगर पानी की समस्या से लेकर बिजली तक की सप्लाई नहीं थी। विधायक से बात की तो बिजली की सप्लाई चालू करवाई लेकिन पेयजल की व्यवस्था नहीं पाई।

ऐसे करवाई पेयजल सप्लाई बहाल

सतपाल गिल ने अपने एक परिचित को फोन किया और ढाणी से जहां सप्लाई होती थी वहां से वापसी किसी ट्यूबवेल का पाइप जुड़वाकर गांव में पेयजल सप्लाई को बहाल कर दिया। गिल के साथ-साथ ढाणी वासियों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि रात को जब पानी आया तो प्रशासन ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। कोई भी किश्ती या अन्य सहायता तक उन्हें नहीं दी गई। न ही कोई प्रशासनिक कर्मचारी या अधिकारी मौके पर सुध लेने पहुंचा। वे अपने स्तर पर ही अपने बच्चों और पशुओं को बाहर निकालते रहे, अभी भी काफी सामान उनके ढाणियों में पानी के अंदर खराब हो रहा है, मकान खराब हो रहे हैं और उनके सबमर्सिबल ट्यूबवेल बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।

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Amit Sood

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