डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), SC Crime and Harassment Cases, चंडीगढ़ : हरियाणा में अनुसूचित जाति अपराध व प्रताड़ना के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। तमाम कानून व दिशा-निर्देशों के बाद भी उनके खिलाफ इस तरह की घटनाएं निरंतर रिपोर्ट रही हैं जो चिंतनीय हैं। इसी कड़ी में दो वर्ष के आंकड़ों में सामने आया है कि हर महीने हरियाणा में 130 से ज्यादा घटनाएं रिपोर्ट हो रही हैं।
संबंधित विभागीय आंकड़ों में सामने आय़ा कि हरियाणा के हिसार में एससी व एसटी वर्ग के खिलाफ अपराध के मामले सबसे ज्यादा हैं। इसके अलावा करीब आधा दर्जन जिले ऐसे हैं जहां करीब दो साल की अवधि में सौ से पौने दो सौ मामले तक रिपोर्ट हुए हैं। विधानसभा के अंदर भी एससी वर्ग के लोगों के खिलाफ अपराध के मामलों को लेकर निरंतर चर्चा व बहस होती रही है, लेकिन धरातल पर चीजों में कोई ज्यादा बदलाव नहीं हो रहा।
जानकारी में सामने आया है कि हरियाणा में जनवरी से लेकर नवंबर 2023 तक 11 महीने की अवधि में 1370 मामले रिपोर्ट हुए और इस लिहाज से हर महीने 125 केस रिपोर्ट हो रहे हैं। इनमें से 40 मामले तो एससी केस के रूप में ही सीमित रहे तो वहीं बाकी 1338 मामलों में आईपीसी के तहत धारा लगाई गई है।
इसके अलावा साल 2022 में कुल 1633 मामले हरियाणा में रिपोर्ट हुए। इस लिहाज से हर महीने 136 मामले रिपोर्ट हुए। 1535 मामलों में आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है तो वहीं 98 बिना आईपीसी के रिकॉर्ड पर आए। आंकड़ों से साफ है कि जनवरी 2022 से नवंबर 2023 तक 23 महीने की अवधि में कुल 3011 मामले आए और हर महीने 130 से ज्यादा मामले रिपोर्ट हुए।
प्रदेश के हिसार में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले आए हैं। साल 2022 में हिसार में 319 और 2022 में 230 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इस लिहाज से अकेले हिसार में 549 मामले रिपोर्ट हुए हैं जो कि कुल मामलों 20 फीसदी से भी ज्यादा है। इसके अलावा पलवल में दो साल में 175 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इसके अलावा करनाल में 173, फरीदाबाद में 158, भिवानी में 150, कुरुक्षेत्र में 150, रेवाड़ी में 135, हांसी में 126, अंबाला में 121, सोनीपत में 118, पंचकूला में 115, यमुनानगर में 110, कैथल में 108, रोहतक में 104 और झज्जर में 102 मामले अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध व प्रताड़ना को लेकर रिपोर्ट हुए हैं। वहीं बाकी मामले अन्य जिलों में रहे।
कुछ समय पहले पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया था कि चारदीवारी की भीतर किसी व्यक्ति का अपमान या धमकी एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं है। जब तक किसी का अपमान मंशा के साथ सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया जाता तब तक यह अपराध नहीं है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में अग्रिम जमानत दे दी।
एक्ट का अवलोकन करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी व्यक्ति को दंड का पात्र बनाने के लिए घटना के समय सार्वजनिक स्थान या सार्वजनिक परिदृश्य के भीतर होनी जरूरी है। ये भी बता दें कि एससी-एसटी एक्ट उस व्यक्ति पर लगता है, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को छोड़कर किसी अन्य वर्ग से संबंध रखता है और किसी भी तरह से किसी एससी व एसटी वर्ग के लोगों पर अत्याचार करता या उनका अपमान करता है, तो उसके खिलाफ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत कानूनी प्रक्रिया अख्तियार की जाती है।
पीपीपी के आधार पर जातीय आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में एससी वर्ग के कुल 1368365 परिवार हैं। ये कुल परिवारों का 20.71 फीसदी है। वहीं बीसी ए वर्ग के परिवारों की बात करें तो इनकी संख्या 1123852 हैं जो कुल परिवारों का 16.52 फीसदी बैठता है। बीसी बी वर्ग की बात करें तो इनकी संख्या 869079 है जो कि कुल जनसंख्या का 12.78 फीसदी है। ये भी बता दें कि प्रदेश में 72 लाख परिवारों ने पीपीपी बनवाने के लिए आवेदन किया। इनमें से 68 लाख परिवारों का डाटा वेरीफाई हो चुका है।
लगभग 2.5 लाख परिवार ऐसे हैं, जो किसी अन्य राज्य में रह रहे हैं, उनका डाटा अभी वेरीफाई होना है। 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 51.1 लाख आंकी गई थी, जबकि पड़ोसी पंजाब में यह 88.6 लाख थी। हालांकि, पंजाब में 2019 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध या अत्याचार के संबंध में केवल 166 एफआईआर दर्ज की गईं। यह संख्या 2020 के लिए 165 और 2021 के लिए 200 थी। हरियाणा में 2021 में एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत 1,496 मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में कथित पीड़ितों की संख्या 1,507 थी। इसी साल 53 हत्या और 27 हत्या के प्रयास के मामले दर्ज किए गए।
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