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School Tablets : पोर्नोग्राफी प्लेटफॉर्म बने स्कूलों में दिए गए टैबलेट्स!

  • स्कूली बच्चे देख रहे अश्लील फिल्में

  • बच्चों के परिजन व कई ग्राम पंचायतें बोली- टैबलेट्स पर बच्चे पूरा दिन अश्लील फिल्में व सामग्री और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं

  • विभाग वापस ले टैबलेट्स को या फिर कोई पुख्ता इंतजाम करे

डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), School Tablets, चंडीगढ़ : कोरोना दौर में स्कूली बच्चों की पढ़ाई व्यापक तौर पर प्रभावित हुई थी। इसी को देखते हुए सरकार ने स्कूली बच्चों को टैबलेट देने का फैसला लिया था। इसका मकसद था कोरोना के चलते पढ़ाई में पिछड़ गए बच्चों को टैबलेट के जरिए पढ़ाई करवाकर आगे बढ़ाया जाए, लेकिन अब टैबलेट दिए जाने का फैसला शिक्षा विभाग के गले की फांस बनता जा रहा है।

प्रदेश के कई जिलों के गांवों से परिजनों व ग्राम पंचायतों द्वारा विभाग को लेटर लिख इन टैबलेट को वापस लिए जाने की गुहार लगाई जा रही है। परिजनों का कहना कि ये टैबलेट्स बच्चों के लिए पढ़ाई कम बल्कि पोर्नोग्राफी का प्लेटफॉर्म ज्यादा बन गए हैं। इसके अलावा बच्चे पूरा दिन गेमिंग और सोशल मीडिया पर इन टैबलेट्स पर लगे रहते हैं। ग्राम पंचायत भी मामले को लेकर एक्शन मोड में नजर आ रही हैं। कई गांव के सरपंचों ने साफ कर दिया है कि विभाग को बच्चों के सुरक्षित भविष्य व उज्ज्वल भविष्य के लिए वापस ले लेना चाहिए।

पलवल, जींद, कैथल, सिरसा व करनाल समेत कई जिलों के गांवों के सरपंचों और पंचायतों ने लिखा टैबलेट्स वापसी के लिए पत्र

टैबलेट्स वापस लेने के लिए कोई एक जिले या गांव की तरफ से शिक्षा विभाग को पत्र नहीं लिखा गया बल्कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों की पंचायत, सरपंच व अभिभावकों द्वारा शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को टैबलेट वापस लेने के लिए पत्र लिखा गया है।

बता दें कि जींद के नगूरा, अलेवा, कंडेला गांव, खरकराम जी व ढिगाणा गांव, पलवल के अलावलपुर गांव, करनाल के अंगोद गांव, कैथल के गुहणा व रोहणा गांव, सिरसा के माधोसिंधाना और हिसार के बिठमड़ा गांव के सरपंच की तरफ से लेटर लिख टैबलेट्स वापस लेने का निवेदन किया गया है। इसके अलावा अन्य जगहों से इस तरह की जानकारी निरंतर सामने आ रही है। परिजनों व ग्राम पंचायतों को कहना है कि विभाग को मामले से पल्ला नहीं झाड़ने दिया जाएगा।

एमडीएम प्रणाली नहीं है पुख्ता इंतजाम, फूलप्रूफ रणनीति बने

टैबलेट देते हुए वक्त दावा किया गया था कि सरकार से मिलने वाले टैबलेट पर स्कूली बच्चे सिर्फ पढ़ाई कर सकेंगे। इन टैबलेट पर कोई ऐसा चैनल नहीं चलेगा जिस पर बच्चे फिल्में या अन्य कोई आपत्तिजनक सामग्री देख सकें। टैब एमडीएम यानी मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट प्रणाली से लैस होंगे। इंटरनेट की सुविधा भी इनमें रहेगी। बच्चों के कंटेंट देखने का पल-पल का रिकार्ड टैब में मौजूद रहेगा। लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और बयान कर रही है।

एमडीएम प्रणाली को धत्ता बताया जा रहा है और आसानी से इसका तोड़ निकाल लिया गया है। इसके अलावा दावा किया गया था कि बच्चे मनमर्जी से टैबलेट को नहीं चला सकेंगे। विभाग जो चाहेगा वही सामग्री बच्चे इसमें देख सकेंगे। जो बच्चा जितने समय टैब चलाएगा और सामग्री देखेगा उसका पूरा रिकॉर्ड विभाग के पास होगा। फिलहाल के परिदृश्य से तो ये दावे हवा हवाई ही साबित हुए।

4 हजार स्कूलों में  सवा 6 सौ करोड़ के बजट में 5 लाख टैब दिए गए

बता दें कि शुरू में प्लानिंग थी कि प्रदेश सरकार 14355 स्कूलों के 8.10 लाख बच्चों को टैब देगी। इसके बाद प्लानिंग में बदलाव किया गया। पहले 8 से 12वीं क्लास तक के बच्चों के टैब दिए जाने थे, लेकिन फिर बाद में 10वीं से 12 तक के स्कूलों बच्चों को टैब देने का फैसला किया गया। प्रदेश में 10 से 12वीं तक करीब 4 हजार स्कूल हैं जहां 10 से 12वीं तक तक के स्टूडेंट्स को टैब दिए गए हैं।

वहीं इन टैब को खरीदने पर करीब सवा 600 करोड़ का खर्च आया था। ये भी बता दें कि सरकार द्वारा फरवरी माह में आदेश जारी किए गए थे कि जो छात्र हाई स्कूल या उच्च विद्यालय में दसवीं में पढ़ रहे हैं, वो स्कूल छोड़कर किसी दूसरे स्कूल में प्रवेश लेंगे। साथ ही कक्षा 12वीं के छात्र भी स्कूल छोड़ देंगे, इसलिए उन सभी बच्चों को अपने टैबलेट वापस जमा करने होंगे और इसके बाद रीइश्यू होंगे।

टैबलेट्स की एमडीएम प्रणाली को लेकर अभिभावकों व विभाग के अलग-अलग दावे

टैबलेट्स को नियंत्रित या संचालित करने के लिए इसको मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट प्रणाली से जोड़ा गया है। इसको लेकर अलग-अलग दावे हैं। विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि ये प्रणाली पूरी तरह से सुरक्षित है। स्कूली बच्चे 200-300 रुपए देकर किसी मोबाइल दुकान या किसी बाहरी एक्सपर्ट से एमडीएम प्रणाली को हटवा देते हैं। इसके बाद वो इस पर पोर्नोग्राफी या सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने लगते हैं।

इसके बाद जब हम पता लग जाता है तो हम संबंधित टैबलेट को बंद कर देते हैं और इस बाद वो फिर से अधिकृत सैमसंग सर्विस सेंटर से टैबलेट में दिक्कत बताकर इसको शुरू करवा लेते हैं। वहीं परिजनों का कहना है कि एमडीएम प्रणाली महज दिखावाभर है। इसके कोई मायने नहीं। जब इसको हटवाया या हैक या डिलीट किया जा सकता है तो फिर इसका क्या मतलब हुआ।

परिजन बोले बच्चों का बचपन बर्बाद होते नहीं देख सकते, आजिज आ गए टैबलेट्स से

जारी मामले को लेकर कई बच्चों के परिजनों से भी बात की गई। इनमें से अलेवा के सरकारी स्कूल में 12 क्लास की पढ़ाई कर रहे बच्चे के पिता बिजेंद्र ने बताया कि अपने बच्चे का भविष्य बर्बाद होते नहीं देख सकता। टैबलेट्स पर पूरा दिन अश्लील फिल्में देखी जाती हैं और सोशल मीडिया का इस्तेमाल होता है।

आगे उन्होंने बताया कि ज्यादातर बच्चों के माता-पिता इस समस्या से आजिज आ चुके हैं। शिक्षा विभाग से मांग की जा रही है कि टैबलेट को वापस ले लिया जाए। वहीं एक अन्य परिजन ने भी बताया कि वह खुद कई बार अपने बच्चों को टैबलेट पर अश्लील सामग्री देखते हुए पकड़ चुके हैं और बच्चों पर पूरा दिन नजर नहीं रखी जा सकती।

ये बोले शिक्षा मंत्री कंवर पाल

वहीं शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि महज कुछ बच्चों द्वारा सॉफ्टवेयर हटाने या इसमें छेड़छाड़ कर शरारत की जाती है। क्या सरकार हर चीज की जिम्मेदारी लेगी। क्या मां-बाप की कोई जिम्मेदारी नहीं है, उनको भी बच्चों का ध्यान रखना चाहिए। टैब इसलिए मुहैया करवाए गए, ताकि बच्चे पढ़ाई में पीछे न रह जाएं और जरूरतमंद बच्चों को सुविधा मिले। जिन्होंने सॉफ्टवेयर हटवाया या क्रैक करवाया और जिन कंप्यूटर एक्सपर्ट्स ने उनकी मदद की, उन पर कार्रवाई के लिए विचार किया जाएगा।
Amit Sood

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