रेवाड़ी/श्याम बाथला
एक छात्र और एक ही अध्यापक जिले में एसे 6 स्कूल हैं, यह बात सौ फीसदी सही है रेवाड़ी के गांव भगवानपुर स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल के हालात ऐसे ही हैं, विद्यालय में गुरुजी अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं, और विद्यार्थी अकेला ही अपनी किताबों को खंगालता रहता है, न पीरियड बदलते हैं और न ही अध्यापक शिक्षा विभाग अभियान चलाकर भी एसे विद्यालय में बच्चों के दाखिले नहीं करा पाया है, अध्यापक की मानें तो 3 छात्रों ने प्रवेश लिया था दो कभी आए ही नहीं एक विद्यार्थी रोजाना आता है जिस दिन उसने भी अवकाश कर लिया गुरुजी उस दिन आराम फरमाते हैं और करें भी तो क्या करें।
भगवानपुर स्कूल में कमरे तो10 हैं लेकिन छात्र महज 3 अब एसे में तो न छात्र का पढ़ने में मन लगेगा और न ही अध्यापक का पढ़ाने में,बता दें भगवानपुर गांव स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल में भी तीन ही छात्र हैं जब हमारे संवाददाता भगवानपुर स्कूल में पहुंचे तो वहां कक्षा 5वीं का केवल एक ही छात्र तरुण पढ़ाई कर रहा था, शिक्षक नरेंद्र कुमार ने बताया कि दो और छात्र विद्यालय में रामगढ़ गांव के रहने वाले ईशांत और अनिकेत कक्षा चौथी में पढ़ते हैं, स्कूल में दस क्लास रूम हैं लेकिन सभी खाली रहते हैं।
हालात केवल इसी स्कूल के ही नहीं हैं बल्कि बावल खंड के गांव धारण की ढाणी में भी हालात इसी कदर हैं यहां भी एक अध्यापक और एक ही छात्र है यह हालात इसी साल नहीं पिछले वर्ष भी थे पिछले वर्ष भी छात्रों की संख्या 3 ही थी, उसमें से भी एक छात्र की मृत्यु हो गई थी, जबकि एक छात्र पांचवीं कक्षा पास करके दूसरे स्कूल में जा चुका है, वहीं एक छात्र पहली कक्षा में था जोकि अब वर्तमान में दूसरी कक्षा में पढ़ रहा है, इस वर्ष विद्यालय में एक भी दाखिला नहीं हुआ है, यह विद्यालय ढाणी में बना हुआ हैं, जहां पर 15 से 20 परिवार ही रहते हैं, जिसके चलते पहली से पांचवीं तक पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बेहद कम है, पिछले वर्ष विभाग की ओर से सर्वे कराया गया था, जिसमें पहली से पांचवीं तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या पांच ही मिली थी।
प्राथमिक स्कूल में भी महज तीन मांढैया खुर्द स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल में छात्रों की संख्या चार है और नांगलिया मायण में छात्रों की संख्या पांच है, इन दोनों स्कूलों में एक-एक ही अध्यापक कार्यरत हैं अगर इन अध्यापकों को किसी कारण छुट्टी लेनी हो तो हेड को पहले इसकी जानकारी देनी पड़ती है उसके बाद वहां से कोई दूसरा अध्यापक विद्यालय में भेजा जाता।
तस्वीर तो ये है जहां अध्यापक तो हैं लेकिन छात्र नहीं हैं लेकिन अगर जिले की बात करें तो जिले में 6 ऐसे स्कूल है जहां एक भी अध्यापक नहीं है जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जिले में 38 मिडिल स्कूल और 25 प्राइमरी स्कूलों को 1 किलोमीटर के दायरे में पड़ने वाले दूसरे स्कूलों में मर्ज किया जाएगा, वहीं 6 ऐसे स्कूल हैं जहां एक भी नहीं है वहां 1 अप्रैल के बाद नई नियुक्ति कर दी जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ फरीदाबाद जिले का भी यही हाल है इन परिस्थितियों पर जिला शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी ने बताया कि सरकार ने उन स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है जिसमें 20 से 25 बच्चे हैं… इन सभी बच्चों को एक से दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों में मर्ज किया जाएगा. ये प्रक्रिया को जल्दी शुरू की जाएगी और इन बच्चों को पढ़ाने वाले उन सभी अध्यापकों को उसी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए भेज दिया जाएगा. जिससे बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहे. फरीदाबाद के पहलादपुर गांव के सीनियर सेकेंडरी स्कूल, बदरौला गांव के सरकारी स्कूल में, नरावली के स्कूल को नरियाला गांव में, आवास कॉलोनी दयालपुर के स्कूल को मछगर के स्कूल में, महमदपुर गांव के स्कूल को भेसरवाली में, अकबरपुर गांव के सरकारी स्कूल को मंझावली में, ढेकौला गांव के स्कूल को भैंसरावली में, लहन्डोला गाँव के सरकारी स्कूल को मधवाली गांव के सरकारी स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है. वही जिला शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी ने बताया कि इन सभी स्कूलों के बच्चों को आने वाले कुछ दिनों बाद नए सेशन के साथ शिफ्ट कर इन की पढ़ाई चालू कर दी जाएगी