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Meri Fasal Mera Byora Portal को लेकर सैलजा ने कही ये बड़ी बात, कहा – फिर भी खाद और कीटनाशक का बंदोबस्त नहीं !!

• LAST UPDATED : November 13, 2024
  • कहा- सरकार की गलत नीतियों के चलते धक्के खा रहे हैं किसान, आवाज उठाने पर बरसाई जाती है लाठियां

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Meri Fasal Mera Byora Portal : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि जब मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल के माध्यम से सरकार को पूरी जानकारी होती है कि कौन-कौन सी फसल की कितने एकड़ में बिजाई की गई है तो उसके अनुसार ही खाद और कीटनाशक का प्रबंध क्यों नहीं करती।

इसी विवरण के आधार पर सरकार किसानों को ऑनलाइन ही खाद के कूपन दे सकती है, जिससे वह सेंटर से आसानी से खाद ले सकती है पर भाजपा सरकार किसानों को लेकर गंभीर नहीं है, वह किसानों को प्रताड़ित और उनका शोषण करने कोई भी मौका नहीं छोड़ती है। सरकार को किसान हितों को लेकर गंभीरता दिखानी होगी, देश के अन्नदाता किसान को उसके हालात पर नहीं छोड़ा जा सकता।

सरकार ने किसानों को पोर्टल पोर्टल के खेल में उलझाकर रखा हुआ

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि भाजपा सरकार ने किसानों को पोर्टल पोर्टल के खेल में उलझाकर रखा हुआ है। कृषि विभाग की हिदायतों के अनुसार विभिन्न योजनाओं के लाभ के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर फसलों का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। जिससे सरकार के पास भी रिकॉर्ड हो कि किस खेत में कौन सी फसल है।

इस पोर्टल के माध्यम से सरकार के पास पूरा विवरण होता है कि कृषि योग्य भूमि पर कहां कौन सी फसल है, कितने एकड़ में कौन सी फसल की बिजाई की गई र्है। अगर फसल का पंजीकरण करवाया हुआ है तभी किसान अपनी फसल को मंडी में  समर्थन मूल्य पर बेच सकता है। उन्होंने कहा कि जब खेती का संपूर्ण आंकड़ा सरकार के पास है तो उसी के आधार पर वह किसानों की सुविधाओं को लेकर नीतियां क्यों नहीं बनाती क्यों किसानों को धक्का खाने के लिए मजबूर करती है और जब किसान आवाज उठाता है तो उस पर लाठियां बरसाई जाती है।

किसान ज्यादा डीएपी क्यों प्रयोग कर रहा है ?

कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा में करीब 90 लाख एकड़ कृषि योग्य भूमि है इसमें से करीब 62 लाख एकड़ में गेहूं की बिजाई की जाती है। जमीन उतनी ही उतनी ही है पर छह साल में डीएपी खाद की खपत 90 हजार मीट्रिक टन हो गई है, कृषि विभाग के अधिकारी भी कहते है कि एक एकड़ में 50 किग्रा डीएपी खाद की जरूरत होती है तो किसान ज्यादा डीएपी क्यों प्रयोग कर रहा है, किसानों को कृषि विभाग की ओर से जागरूक किया जाना चाहिए।

सरकार को बिजाई के हिसाब से खाद का पहले ही प्रबंध कर लेना चाहिए था

उन्होंने कहा कि सरकार डीएपी खाद की कमी न होने का दावा कर रही है साथ ही कहती है कि कुछ दिनों में डीएपी खाद का प्रबंध कर दिया जाएगा, जबकि सरकार को पता होना चाहिए कि जरूरत के समय किसान को खाद चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस समय रोहतक, करनाल, सिरसा, नारनौल, रेवाड़ी,  सोनीपत, जींद, अंबाला, कैथल, यमुनानगर और पानीपत में किसान डीएपी खाद को लेकर परेशान है। उन्होंने कहा कि सरकार को बिजाई के हिसाब से खाद का पहले ही प्रबंध कर लेना चाहिए था।

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