India News Haryana (इंडिया न्यूज), Kumari Selja : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि देश के अन्नदाता किसान के बारे में अच्छा सोचने के बजाय भाजपा सरकार किसानों को दबाने का और उनके शोषण करने के काम में लगी हुई है। कही उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है कही केस दर्ज किए जा रहे हैं।
मंडियों में एक ओर जहां किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने अब पराली जलाने पर जुर्माना राशि दोगुनी करने का फैसला किया है। कांग्रेस केंद्र के इस फैसले की निंदा करती है। सरकार किसानों पर जुर्म करने के बजाए उन्हें प्रोत्साहित करें ताकि किसान पराली को जलाने के बजाए पराली से अपनी आय बढ़ा सके।
मीडिया को जारी एक बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि किसान आज भी अपने हकों की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहा है, किसान आंदोलन में अपने हक के लिए 750 किसान शहीद हो चुके हैं, सरकार उनकी बात सुनने के बजाए दमनकारी नीति से उन्हें दबाने और उनका शोषण करने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने का काम अभी दो चार साल में शुरू नहीं हुआ, पहले से हो रहा है। पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है इसमें कोई दो राय नहीं। सरकार ऐसी व्यवस्था करें ताकि किसान पराली न जला सके।
पराली का सदुपयोग कर सरकार बिजली बना सकती है। सरकार चाहे तो जिला में पराली खरीदने के केंंद्र बनाए जा सकते है। सरकार अपने स्तर पर पराली का निस्तारण करें। सरकार पराली जलाने वालों पर जुर्माना करके या उनके खिलाफ केस दर्ज करवाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद अब केंद्र सरकार ने अपना गुस्सा किसानों पर उतारते हुए पराली जलाने पर जुर्माना राशि दोगुनी करने का फैसला किया है।
पर्यावरण मंत्रालय ने वीरवार को एक नोटिफिकेशन जारी कर जुर्माना राशि दुगनी करने की जानकारी दी। अब 2 एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपए का जुर्माना लगेगा। दो से पांच एकड़ तक 10,000 रुपए और पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वालों से 30,000 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकार इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी।
उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों पर केस दर्ज करने से बचना चाहिए। उधर सरकार पराली जलाने पर रोक लगाने में असमर्थ रहने वाले कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्पेंड कर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से बचना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार को पराली प्रबंधन को लेकर ठोस रणनीति बनानी होगी, अकेले किसानों के सिर पर ठीकरा फोड़ने के बजाए सरकार को अपने गिरेबां में भी झांकना चाहिए।
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