होम / Ghaggar River के प्रदूषित पानी पर सैलजा का बयान- ‘न पीने योग्य न सिंचाई योग्य’..क्या पंजाब और हरियाणा कागजों में ही..सैलजा के तीखे सवाल 

Ghaggar River के प्रदूषित पानी पर सैलजा का बयान- ‘न पीने योग्य न सिंचाई योग्य’..क्या पंजाब और हरियाणा कागजों में ही..सैलजा के तीखे सवाल 

• LAST UPDATED : December 13, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Ghaggar River : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि घग्गर नदी का पानी न तो पीने योग्य है और न ही सिंचाई के योग्य क्योंकि हरियाणा राज्य में कुल घुलित ठोस पदार्थ (टीडीएस) 198-1068 मिलीग्राम प्रति लीटर (एमजी/एल) और पंजाब में 248-2010 मिलीग्राम/एल की सीमा में देखे गए। इतना ही नहीं दोनों ही राज्यों का दावा है कि उनके राज्यों में सीवेज उपचार क्षमता सृजित की गई है। सांसद सैलजा ने संसद में जल शक्ति मंत्री के समक्ष घग्घर नदी को लेकर कुछ सवाल उठाए थे जिसके जवाब में मंत्री ने साफ कहा कि इस नदी का पानी पीने और सिंचाई के योग्य नहीं है।

Ghaggar River : इस मुद्दे को हल करने की क्या योजना है?

सांसद कुमारी सैलजा ने संसद में जल शक्ति मंत्री से पूछा था कि क्या पंजाब, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के कुछ हिस्सों से गुजरने वाली घग्गर नदी का पानी पीने और सिंचाई के लिए उपयुक्त है और यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है; क्या उक्त नदी के पानी का परीक्षण किया गया है और यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है और इसका टीडीएस स्तर क्या है;  क्या उक्त नदी प्रदूषित/दूषित पाई गई है और इसका पानी पीने और सिंचाई के लिए अनुपयुक्त है और यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है और इस मुद्दे को हल करने की क्या योजना है?

जल मंत्री का जवाब

इसके जवाब में जल शक्ति मंत्री ने कहा कि नवंबर 2022 में सीपीसीबी द्वारा प्रकाशित अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, घग्गर नदी पर दो प्रदूषित खंड; पंजाब और हरियाणा राज्यों में एक-एक खंड की पहचान की गई है।  वर्ष 2023 के लिए घग्गर नदी के जल गुणवत्ता निगरानी परिणामों के आधार पर, सीपीसीबी ने सूचित किया है कि हरियाणा राज्य में कुल घुलित ठोस पदार्थ (टीडीएस) 198-1068 मिलीग्राम प्रति लीटर (एमजी/एल) और पंजाब में 248-2010 मिलीग्राम/एल की सीमा में देखे गए। साथ ही, घग्गर नदी इस अवधि के दौरान वर्ग ई (सिंचाई, औद्योगिक शीतलन) के लिए नामित सर्वोत्तम उपयोग जल गुणवत्ता मानदंड का अनुपालन करती पाई गई। सतही जल, जल की गुणवत्ता के आधार पर, इसे पीने के प्रयोजनों के लिए उपयुक्त बनाने के लिए पारंपरिक उपचार और कीटाणुशोधन की आवश्यकता होती है।

केंद्र शासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों की यह प्राथमिक जिम्मेदारी

मंत्री ने कहा कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए प्राप्तकर्ता जल निकायों या भूमि में निर्वहन करने से पहले सीवरेज और औद्योगिक अपशिष्टों का आवश्यक उपचार सुनिश्चित करें। देश में गैर-गंगा बेसिन में नदियों के संरक्षण के लिए, यह मंत्रालय राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों को पूरक बना रहा है। इस योजना के तहत घग्गर नदी के संरक्षण के लिए पंजाब के विभिन्न शहरों में प्रतिदिन 15 मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवेज उपचार क्षमता सृजित की गई।

घग्गर नदी का पानी सिंचाई के योग्य भी नहीं

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि घग्गर नदी के जलग्रहण क्षेत्र में आने वाले शहरों से निकलने वाले गंदे पानी के उपचार के लिए 291.7 एमएलडी की कुल क्षमता वाले 28 एसटीपी स्थापित किए गए हैं तथा 97 एमएलडी क्षमता वाले 15 एसटीपी निर्माणाधीन हैं। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि घग्गर कार्य योजना के तहत राज्य में नदी के जलग्रहण क्षेत्र में 588 एमएलडी की सीवेज उपचार क्षमता सृजित की गई है।

उधर 50 से 150 टीडीएस वाले पानी को सबसे अच्छा, 150 से 300 टीडीएस वाले पानी को सामान्य और 301 से 500 टीडीएस वाले पानी को खराब और इससे अधिक वाले को बहुत ही हानिकारक माना गया  है। अगर पानी का टीडीएस 150 से 250 तक है तो उसे सिंचाई के लिए अच्छा माना जाता है ऐसे में साफ है कि घग्गर नदी का पानी सिंचाई के योग्य भी नहीं हैं।

अग्रोहा धाम में नहीं सुनाई देगी ट्रेन की सीटी

कुमारी सैलजा ने संसद में रेल मंत्री से पूछा था कि क्या सरकार ने फतेहाबाद से हिसार वाया अग्रोहा रेल लाइन को मंजूरी दे दी है, यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है? इस सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने जवाब देते हुए बताया कि हिसार और सिरसा पहले से ही भारतीय रेलवे नेटवर्क पर भट्टू कलां के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। फतेहाबाद और अग्रोहा (93 किमी) के माध्यम से हिसार से सिरसा तक का सर्वेक्षण किया गया। खराब यातायात अनुमानों के कारण परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। यानी अभी अग्रोहा धाम में किसी को भी ट्रेन की सीटी सुनाई नहीं देगी। गौरतलब हो कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस रेल मार्ग की घोषणा की थी।

Rakesh Tikait at khanauri Border : राकेश टिकेत का बड़ा बयान-… तो फिर कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे, नई रणनीति का आह्वान

Farmers Delhi Kooch : किसान दिल्ली कूच के लिए फिर तैयार, अगर किसानों के पास…, नहीं तो…, ये बोले अंबाला एसपी