होम / Sex Ratio : करनाल में गिरता लिंगानुपात बना जिला प्रशासन के लिए चिंता का विषय

Sex Ratio : करनाल में गिरता लिंगानुपात बना जिला प्रशासन के लिए चिंता का विषय

• LAST UPDATED : December 16, 2022

इशिका ठाकुर, Haryana (Sex Ratio) : सीएम सिटी करनाल में लिंगानुपात लगातार गिरता जा रहा है। पूरे प्रदेश में 22 जिलों में से नीचे से 5वें पायदान पर करनाल आता है। सीएम सिटी करनाल में लिंगानुपात के मामले में अन्य जिलों की तुलना में पिछड़ती नजर आ रही है। जनवरी से लेकर नवम्बर तक जिले का लिंगानुपात 896 है। यानी 1000 लड़कों की तुलना में 104 लड़कियां कम पैदा हुई हैं।

यदि पिछले वर्ष 2021 में इसी अवधि की बात करें तो उस दौरान जिले का लिंगानुपात 891 था। ऐसे में पिछले वर्ष की तुलना में लिंगानुपात में हल्का सा सुधार हुआ है, लेकिन प्रदेश स्तर पर अभी भी जिला 17वें स्थान पर है। फिलहाल प्रदेश में फतेहाबाद 958 लिंगानुपात के साथ पहले स्थान पर है। अभी तक जिले में कुल 25,090 बच्चे पैदा हुए हैं। इनमें से 13,248 लड़के और 11,842 लड़कियां शामिल हैं। ऐसे में 1406 बेटियां कम पैदा हुई हैं।

जानिए कहां बिगड़े हालात, कहां हुआ सुधार

जिले में सबसे कम लिंगानुपात काछवा पीएचसी का 586 है। जहां लड़कों की संख्या 70 और लड़कियों की संख्या 41 है। इसके साथ ही पी.एच.सी. खुखनी का भी लिंगानुपात 670 व पी.एच.सी. जलमाना में 783 लिंगानुपात है। इन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। वहीं दूसरी ओर घरौंडा सी.एच.सी. में सबसे ज्यादा लड़कियां पैदा हुई है जहां का लिंगानुपात 1163 है। यानी इस क्षेत्र में 283 लड़कों की तुलना में 329 लड़कियां पैदा हुई है। इसी प्रकार पी.एच.सी. भादसों, सी.एच.सी. इंद्री, पी.एच.सी. घीड़ में भी लड़कों की तुलना में लड़कियां पैदा हुई है।

भू्रण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकना होगा

जिले में गिरते लिंगानुपात को लेकर कन्या भू्रण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए प्रशासन एक्शन मोड में आ गया है। जिला में घटते लिंगानुपात को लेकर उपायुक्त अनीश यादव ने 2 दिन पहले स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा किए गए कार्यों पर असंतोष प्रकट किया और कहा कि जिन गांवों में गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण शत-प्रतिशत नहीं है, ऐसी आशा वर्करों, एएनएम तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

पीसीएनडीटी एक्ट के तहत गठित जिला टास्ट फोर्स कमेटी की साप्ताहिक बैठक में लिंगानुपात को लेकर समीक्षा भी की गई। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सभी एएनएम, आशा वर्करों को निर्देश दें कि वे अपने-अपने क्षेत्र से संबंधित गर्भवती महिलाओं का शत-प्रतिशत पंजीकरण करवाना सुनिश्चित करें। इसके अलावा ऐसी गर्भवती महिलाओं पर कड़ी नजर रखें, जिनके पास पहले से लड़कियां हैं, ताकि कन्या भू्रण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोका जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन गांवों में निरीक्षण के दौरान गर्भवती महिलाओं का शत-प्रतिशत नहीं मिला, ऐसी आशा वर्करों को टर्मिनेट किया जाए और उनकी जगह दूसरी आशा वर्कर को लगाया जाए। उन्होंने कहा कि आशा के साथ-साथ एएनएम के खिलाफ भी कार्यवाही अमल में लाई जाए।

अनेक अस्पतालों मं हो रिकॉर्ड की जांच

गिरते लिंगानुपात को लेकर करनाल सिविल सर्जन डॉक्टर योगेश ने विशेषतौर से ऐसे अस्पताल जहां पर गर्भपात के ज्यादा मामले सामने आ रहे हों। ऐसे अस्पतालों के रिकॉर्ड की सही जांच की जाए तथा गर्भपात होने की वजह का पता लगाने के लिए संबंधित महिला से भी पूछताछ की जाने की बारे में कहा है।

उन्होंने कहा कि गर्भ में भ्रूण की जांच करवाने वाले तथा करने वाले दोनों दोषी हैं और दोनों के खिलाफ पीएनडीटी एक्ट के तहत कार्यवाही करने का प्रावधान है। ऐसे मामलों में संलिप्त किसी भी दोषी को बख्शा न जाए, उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएं। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी को भी निर्देश दिए कि वे सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइजरों को अलर्ट करें कि वे अपने-अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण करवाने के साथ-साथ उनसे निरंतर सम्पर्क बनाए रखें। अगर गर्भपात की कोई घटना सामने आती है तो इसकी सूचना उपायुक्त कार्यालय व सिविल सर्जन को अवश्य दें, ताकि उनकी जांच हो सके।

बैठक में सिविल सर्जन डॉ. योगेश शर्मा ने बताया कि पिछले सप्ताह 4 अस्तपालों के रिकॉर्ड को चेक किया जिनमें से 2 मौके पर जाकर तथा 2 का अपने कार्यालय में रिकॉर्ड मंगवाकर चेक किया। उन्होंने बताया कि 10 गर्भवती महिलाओं के गर्भपात की जानकारी के लिए रिकॉर्ड को चेक किया जिनमें से 3 लोगों का पता व मोबाइल नम्बर सही नहीं पाया तथा 7 गर्भवती महिलाओं ने पंजीकरण ही नहीं करवाया था।

उन्होंने यह भी बताया कि ठरवा माजरा, चुंडीपुर, हिनौरी, खेड़ी मूनक, घोलपुरा तथा प्रेम खेड़ा गांवों में निरीक्षण के दौरान करीब 5 से 6 गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण नहीं पाया गया, उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इस पर उन्होंने कड़ी नाराजगी प्रकट की और कहा कि अगली मीटिंग में इस क्षेत्र की आशा वर्कर, एएनएम तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के खिलाफ कार्यवाही रिपोर्ट लेकर आएं। सीएमओ ने गुरुवार के दिन इसी मामले को लेकर चिंता जाहिर करते हुए प्राइवेट हॉस्पिटल क्योंकि एक आपात मीटिंग ली जिसमें यह निर्देश दिए कि प्राइवेट अस्पतालों में गर्भपात करवाए जाने की स्थिति में गर्भवती महिलाओं से आईडी प्रूफ अवश्य लें। अगर कोई भी गर्भपात बेवजह करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

जानकारी देने वाले का नाम रखा जाता है गुप्त

सिविल सर्जन करनाल डॉक्टर योगेश का कहना है कि भ्रूण हत्या रोकने के लिए ऐसे लोगों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं जो दूसरे राज्यों पर जाकर गर्भपात करवा रहे हैं। यह साल हमने कहीं ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो करनाल की गर्भवती महिलाओं को ले जाकर यूपी और दूसरे राज्यों में गर्भ में लिंग की जांच करवाते हैं। वहीं जो गर्भ में लिंग की जांच करने की जानकारी देता है तो उसको एक लाख रुपए का ईनाम भी स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा दिया जाता है और उसका नाम गुप्त रखा जाता है।

जिला स्वास्थ्य विभाग कहता है कि हम लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि वह बेटी को कोख में न मारे। ऐसे मे गांव गांव जाकर हम लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे है। जब इस मामले पर हमने एक गांव के पूर्व सरपंच से बात की तो उन्होंने कहा कि गांव में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ऐसा कोई भी जागरूकता कैंप नहीं लगाया गया। जिसमें स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य विभाग भ्रूण हत्या रोकने के लिए सिर्फ खोखले दावे करता है धरातल पर काम नहीं हो पा रहा है।

सिविल सर्जन करनाल का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी पुरानी विचारधारा के हैं जो बेटे और बेटियों में फर्क करते हैं और गर्भ में लिंग की जांच करते है। ऐसे में समाज के हर वर्ग को समझने की आवश्यकता है कि बेटियां बेटों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है। कोई भी अपनी बेटी की भ्रूण में हत्या ना करवाएं। यह एक पाप भी है और यह एक अपराध भी है।

सभी मामलों से स्पष्ट होता है कि सीएम सिटी करनाल में लिंग अनुपात गिरने के चलते करनाल प्रशासन के बड़े अधिकारी व स्वास्थ्य विभाग की बड़े अधिकारी स्वास्थ्य विभाग के छोटे कर्मचारियों पर गाज गिरा रहे हैं और उनको टर्मिनेट करने की बात कर रहे हैं। जबकि सिम सिटी करनाल में लिंग अनुपात कम होने की जिम्मेवारी जिला स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन के बड़े अधिकारियों की बनती है।

यह भी पढ़ें : Open Heart Surgery : देश में पहली बार अंबाला जिला अस्पताल में शुरू होगी ओपन हार्ट सर्जरी की सुविधा

Connect With Us : Twitter, Facebook

Tags: