करनाल, इशिका ठाकुर:
Shahpur Village Of Karnal : शाहपुर गांव (Shahpur Village) जल प्रबंधन में प्रदेश में एक मिसाल बन गया है। कभी गंदा पानी यहां की पहचान था। यह ग्रामीणों के लिए किसी बीमारी से कम नहीं था, लेकिन आज वही ग्रामीणों के लिए फायदेमंद है। यह सार्थक हुआ है थ्री पौंड सिस्टम से। जी हां, हम बात कर रहे हैं करनाल के शाहपुर गांव की, जहां पर पहले एक जोहड़ था और जिसमें पूरे गांव का गंदा पानी जमा होता था।
तीन साल पहले गांव में थ्री पौंड सिस्टम शुरू किया। इसके तहत तालाब को तीन हिस्सों में विभाजित किया। इससे गंदे पानी को साफ किया। इस साफ पानी को अब खेतों में सिचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे एक तो ग्रामीणों को गंदे पानी से छुटकारा मिला, वहीं फसलों को सिचाई के लिए भी पानी उपलब्ध हो रहा है। यही नहीं तालाब के साफ पानी मे मछली पालन ग्राम पंचायत की आय का जरिया भी बन गया है। जो दूसरों को भी प्रेरणा दे रहा है।
आज यह तालाब सौन्द्रीयकरण के चलते सबके आकर्षण का केंद्र है और गांव के लोग इसके किनारों पर सैर का आनंद उठाते है। गांव के पंच कर्मजीत ने बताया कि गांव की सभी गलियां पक्की हैं। पीने के पानी की भी हर घर तक सुविधा है। गांव को गंदे पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए थ्री पौंड सिस्टम लगाया गया है। जिससे गंदे पानी को साफ करके सिचाई में इस्तेमाल किया जाता है।
ग्रामीण सुरेंद्र ने कहा कि शाहपुर में आज से तीन साल पहले जो गंदा पानी ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बना था, आज वहीं गंदा पानी किसानों के लिए वरदान बन गया है। गांव की पूर्व पंचायत की बनाई गई जल संरक्षण की योजना ने पूरे गांव की तस्वीर बदलकर रख दी है। अगर तीन वर्ष पहले गांव की गलियों पर नजर डालें तो करीब आधा दर्जन गलियां कीचड़ से भरी थी।
उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण गांव के गंदे पानी की उचित निकासी व्यवस्था नहीं होना था। गांव के किसानों और पूर्व पंचायत के लिए गए जल संरक्षण के फैसले से गांव को गंदे पानी से निजात मिली और किसानों को फसल में प्रयोग करने के लिए पानी। अब इसी गंदे पानी से किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल हर सीजन लहलहाती है। ग्राम पंचायत इसमे मछली पालन कर इससे आय भी प्राप्त कर रही है।
स्वच्छ भारत मिशन के सहायक समन्वयक राजीव शर्मा ने बताया कि गंदे पानी की निकासी नहीं होने से गांव की गलियों में गंदा पानी भरा रहता था। बदबू से ग्रामीणों का जीना हराम था। इससे निजात पाने के लिए गांव में ग्राम सभा की बैठक बुलाई गई। इसमें योजना अनुसार मनरेगा स्कीम के तहत गंदे पानी की निकासी के लिए गांव के करीब पंचायती जमीन में एक तालाब खुदवाया गया। गांव के पास लगते ओवरफ्लो तालाब का गंदा पानी निकालने के लिए खेतों के बीच से एक पाइप लाइन पंचायती जमीन में खोदे गए तालाब तक पहुंचाई गई।
इस तालाब में गंदे पानी को स्टॉक कर दिया गया। साथ ही तालाब के गंदे पानी को पाइप लाइन के माध्यम से खेतों से गुजरने वाली नहरी पानी की खाल से जोड़ दिया गया। इससे अब जिस भी किसान को फसल में पानी की जरूरत होती है, तो वह पानी ले लेता है।
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