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Shatrujeet Meeting with Bank Officers : बैंक के नोडल अधिकारी हेल्पलाइन 1930 पर नियुक्त स्टाफ के साथ होंगे प्रशिक्षित

  • पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में साइबर सुरक्षा को लेकर निजी बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित
  • रीयल टाइम कार्यप्रणाली के बारे में दी जाएगी जानकारी, प्रतिक्रिया समय कम करने की दिशा में उठाए जाएंगे कदम

India News (इंडिया न्यूज़), Shatrujeet Meeting with Bank Officers, चंडीगढ़ : हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने कहा कि साइबर अपराध को रोकने के लिए जरूरी है कि गोल्डन आवर्स की सीमा में काम करते हुए रिस्पांस टाइम को कम करने की दिशा में प्रयास किए जाएं। इस कार्य में जितनी महत्वपूर्ण भूमिका पुलिस विभाग की है उतनी ही बैंककर्मियों की भी है, इसके लिए बैंकों तथा पुलिस विभाग में बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए काम किया जाना अत्यंत आवश्यक है ताकि साइबर अपराध होने पर दोनों एक टीम के रूप में काम करते हुए साइबर अपराध को प्रभावी ढंग से रोक सके।

एचडीएफसी बैंक के अधिकारियों ने कहा-करेंगे पूरा सहयोग, हर संभव मदद के लिए तैयार

कपूर ने साइबर सुरक्षा को लेकर एचडीएफसी बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए साइबर पोर्टल के नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग प्रबंधन प्रणाली मॉड्यूल तथा साइबर अपराधियों को पकड़ने में आ रही समस्याओं व उनके समाधान को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।

बैठक में उपस्थित एचडीएफसी बैंक के अधिकारियों ने भी पुलिस प्रशासन का पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। बैंक अधिकारियों ने कहा कि हमारे ग्राहकों की जमा पूंजी को सुरक्षित रखना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है और पुलिस प्रशासन को साइबर सुरक्षा संबंधी हर संभव मदद दी जाएगी। बैठक में एडीजीपी साइबर क्राइम ओपी सिंह ने पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से साइबर सुरक्षा को लेकर आ रही चुनौतियों सहित कई अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानकारी दी।

बैंक के नोडल अधिकारियों को हेल्पलाइन-1930 पर तैनात टीम के साथ किया जाएगा प्रशिक्षित – श्री कपूर

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि साइबर अपराध होने पर उसे शुरुआती समयावधि में रोकने की संभावनाएं अपेक्षाकृत अधिक होती हैं, इस अवधि को गोल्डन ऑवर कहा जाता है। उन्होंने बैठक में उपस्थित बैंक अधिकारियों से कहा कि वे शिकायतों पर तत्परता से कार्रवाई करें और प्रतिक्रिया समय को कम करने के लिए अपने यहां तैनात नोडल अधिकारियों की संख्या बढ़ाएं, ताकि अवकाश के दिनों तथा विषम समय में भी निर्धारित एसओपी के तहत काम किया जा सके। इन नोडल अधिकारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने तथा रीयल टाइम कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देने के लिए इनकी पुलिस विभाग की नेशनल साइबर हेल्पलाइन नंबर -1930 की टीम के साथ ट्रेनिंग करवाई जाएगी ताकि दोनों में अच्छा समन्वय स्थापित हो।

साइबर अपराध को अलग-2 श्रेणियों में विभाजित करते हुए किया जाएगा काम

उन्होंने बताया कि साइबर अपराध को रोकने के लिए मामलों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा । पहली श्रेणी में लाइव केसेस अर्थात साइबर अपराध संबंधी ऐसे मामलों को रखा जाएगा जिनके घटित होने के तुरंत बाद हेल्पलाइन नंबर पर कॉल रिसीव की जाती है और साइबर अपराधी को आगे की ट्रांजेक्शन करने से रोका जाता है। दूसरी श्रेणी में ऐसे साइबर अपराधों को रखा जाएगा जिन्हें घटित हुए अपेक्षाकृत ज्यादा समय बीत चुका है।

इन दोनों श्रेणियों के मामलों का निपटारा करने के लिए अलग-2 टीमें काम करेंगी। उन्होंने बैंक के अधिकारियों से कहा कि वे बैकलॉग को कम करने के लिए अलग से टीम गठित करें ताकि पुरानी शिकायतों का भी जल्द से जल्द समाधान हो सके। इसके अलावा, बैठक में आईएफएससी कोड के वेरिफिकेशन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंक खातों में संदिग्ध लेनदेन आदि की मॉनीटरिंग को लेकर भी चर्चा की गई।

पीओएस मशीनों की जिओफेंसिंग के दिए निर्देश

इसके अलावा, पुलिस महानिदेशक ने बैठक में उपस्थित बैंक अधिकारियों से कहा कि वे प्वाइंट ऑफ सेल(पीओएस) मशीनों को देने से पहले विक्रेता के व्यापार का सत्यापन अवश्य करें ताकि मशीन का उपयोग साइबर अपराधियों द्वारा न किया जा सके। श्री कपूर ने इन मशीनों की जिओफेंसिंग करवाने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के बाद ये मशीनें स्वतः ही निष्क्रिय हो जाएं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि किसी बैंक खाते में संदिग्ध लेनदेन पाया जाता है तो बैंक तुरंत कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में बैंक द्वारा नियुक्त टीम का प्रशिक्षण करवाया जाएगा ताकि 15 अक्टूबर तक सुव्यवस्थित तथा सुनियोजित ढंग से इसका संचालन किया जा सके। अक्टूबर अंत तक दोबारा बैंक अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए कार्य की समीक्षा की जाएगी।

साइबर फ्रॉड का शिकार होने पर तुरंत दे हेल्पलाइन नंबर-1930 पर जानकारी

उन्होंने कहा कि साइबर अपराध होने पर बिना समय गवाएं इसकी जानकारी हेल्पलाइन नंबर-1930 पर देना अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में हेल्पलाइन नंबर पर तैनात पुलिसकर्मी द्वारा निर्धारित एसओपी के तहत सवाल पूछे जाते हैं। इसके बाद संबंधित बैंक के नोडल अधिकारियों को इसकी सूचना देते हुए बैंक अकाउंट को ब्लॉक किया जाता है और आगे की ट्रांजैक्शन को रोका जा सके।

उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में बैंक अधिकारियों तथा हेल्पलाइन नंबर पर तैनात व्यक्ति के बीच में अच्छा तालमेल स्थापित होना बहुत जरूरी है । उन्होंने बताया कि हेल्पलाइन पर 24 घंटे स्टाफ की नियुक्ति की गई है। उन्होंने बैंक कर्मियों से कहा कि वे अपने बैंक में सप्ताह में सातों दिन नोडल अधिकारियों की नियुक्ति सुनिश्चित करें ताकि शनिवार व रविवार को भी साइबर अपराध होने पर त्वरित कार्यवाही की जा सके।

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Amit Sood

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