होम / Shri Digambar Jain Mandir Panipat : श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर जैन मोहल्ला पानीपत में त्रि दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा महामहोत्सव का समापन, प्रतिमाएं लगभग 1500 वर्ष प्राचीन

Shri Digambar Jain Mandir Panipat : श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर जैन मोहल्ला पानीपत में त्रि दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा महामहोत्सव का समापन, प्रतिमाएं लगभग 1500 वर्ष प्राचीन

• LAST UPDATED : May 6, 2024
  • पानीपत के इतिहास में बहुत ही प्राचीन समय से चली आ रही है जैन धर्म की मान्यता 
India News (इंडिया न्यूज़), Shri Digambar Jain Mandir Panipat : स्थानीय श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर जैन मोहल्ला में त्रि दिवसीय वेदी प्रतिष्ठा महामहोत्सव और विश्व शांति महायज्ञ धूमधाम के साथ सोमवार संपन्न हुआ। पानीपत के इतिहास में जैन धर्म की मान्यता बहुत ही प्राचीन समय से चली आ रही है। जहां पानीपत के जैन मंदिरों का निर्माण लगभग 500-600 वर्ष प्राचीन है, वहीं दूसरी ओर मंदिर जी में विराजमान प्रतिमाएं लगभग 1500 वर्ष प्राचीन है। सोमवार को 1961 में प्रतिष्ठित हुए श्री दिगंबर जैन पारसनाथ जिनालय के जीर्णोद्धार के बाद बड़े बाबा पारसनाथ अपनी मूल नवीन बेदी पर विराजमान हुए।
सर्वप्रथम भगवान की शांति धारा, अभिषेक, पूजन विधान आदि का कार्यक्रम प्रतिष्ठाचार्य जय निशांत भैया टीकमगढ़ वालों ने सम्पन्न कराया उसके पश्चात पानीपत में विराजमान आचार्य श्री 108 श्रुतसागर जी महाराज एवं पानीपत में ही जन्मी साध्वी मां श्री कौशल जी के पावन सानिध्य में वेदी प्रतिष्ठा की मांगलिक क्रियाएं संपादित हुई। कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए मुकेश जैन एवं मनोज जैन ने बोलियो के माध्यम से सौभाग्यवती महिलाओं को वेदी शुद्धि एंव जाप, कलश, अखण्ड जोत, अष्ट प्रतिहार्य, अष्ट मंगल, जिनवाणी, चंवर स्थापना करने का सौभाग्य प्राप्त करवाया।

 

Shri Digambar Jain Mandir Panipat

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Shri Digambar Jain Mandir Panipat : इस मंदिर की 1961 में भव्य प्रतिष्ठा हुई थी

इस अवसर पर मां श्री कौशल ने अपने प्रवचनों में कहा कि मेरा इस सपना था कि मैं जहां जन्मी हूं जहां पर मैंने अपनी शिक्षा और धर्म शिक्षा को प्राप्त किया है। उस पावन मंदिर का जीर्णोद्धार कराउं और यह प्रेरणा 2 वर्ष पहले महावीर जयंती के अवसर पर मुझे भगवान पारसनाथ से ही प्राप्त हुई उन्होंने ही मुझे प्रेरणा दी कि इस मंदिर का निर्माण आज के युग के अनुसार भव्य रूप से करना चाहिए, क्योंकि इस बड़ी मूर्ति पारसनाथ भगवान से पानीपत के हर व्यक्ति की आस्था जुड़ी है। उन्होंने कहा कि यह मंदिर श्री जिनेंद्र वर्णी जी की प्रेरणा से बना था और उन्हीं के सानिध्य में इस मंदिर की 1961 में भव्य प्रतिष्ठा हुई थी, उन्होंने बताया कि इस मंदिर में ही मैंने बैठकर बहुत से शास्त्रों का अध्ययन किया है आज इस मंदिर की भव्यता देखकर मेरा रोम रोम पुलकित होता है और बहुत सुंदर और भव्य वेदी पर बड़े बाबा पारस विराजमान हुए हैं।

मोबाइल को फॉर्मेट कर दें यानि कि हम अपनी जिंदगी की सभी कर्मों को नष्ट कर दें

तत्पश्चात राष्ट्रसंत श्वेत आचार्य श्री विद्यानंद जी महाराज के शिष्य आचार्य श्री श्रुत सागर महाराज ने सभी को अपना आशीर्वचन दिया। उन्होंने आज सात तत्वों की भी जानकारी दी और जिंदगी के साथ तत्वों को मोबाइल के उदाहरण के रूप में समझाया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मोबाइल में मैसेज आते हैं वैसे ही हमारी जिंदगी में कर्म आते हैं। उन्होंने कहा कि सात तत्व जो कि जीव-अजीव, आश्रव-बंद, संवर-निर्जरा एंव मोक्ष है। उन्होंने समझाया कि जिस प्रकार मोबाइल में मैसेज आता है, वह आश्रव है और मोबाइल में मैसेज सेव हो जाता है उसी प्रकार हमारी जिंदगी के कर्म में बंद हो जाते हैं। जैसे ही हम मोबाइल में उन मैसेजों में सिलेक्शन करते हैं तो वह संवर तत्व है और जब हम उसे मैसेज को डिलीट करते हैं उसे हम जिंदगी में निर्जरा कहते हैं और अगर हम पूरे मोबाइल को फॉर्मेट कर दें यानि कि हम अपनी जिंदगी की सभी कर्मों को नष्ट कर दें उसे हम मोक्ष कहते हैं।

 

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सभी का किया धन्यवाद

इस अवसर पर जानकारी देते हुए श्री दिगंबर जैन पंचायत के प्रबंधक मुकेश जैन ने बताया कि इस मंदिर का शिलान्यास 2 वर्ष पहले आचार्य श्री संयम सागर जी महाराज एवं मां श्री कौशल जी के पावन सानिध्य में संपन्न हुआ था और समय से पहले ही दो वर्ष में इस मंदिर का पूर्ण निर्माण समाज के हर व्यक्ति के सहयोग से हो गया है। उन्होंने सभी समाज के लोगों का धन्यवाद किया क्योंकि समाज के हर व्यक्ति ने तन मन धन से इस मंदिर को बनाने का मैं अपना विशेष सहयोग दिया। उन्होंने बताया कि जयपुर राजस्थान के कारीगरों द्वारा यह भव्य संगमरमर का मंदिर का निर्माण हुआ है।

पल पल दिया पारसनाथ ने साथ

इस अवसर पर जानकारी देते हुए श्री दिगंबर जैन पंचायत के सचिव मनोज जैन ने बताया कि मेरी आस्था भगवान पारसनाथ से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा मैं जब भी इस कार्य के लिए कोई भी परेशानी में होता था तो भगवान पारसनाथ 24 घंटे के भीतर भीतर उसे परेशानी का हल निकाल देते थे, स्वयं ऐसा आभास होता था कि यह कार्य इस तरीके से हो जाएगा। अगर कोई त्रुटि भी हो जाती थी तो भाव रूप से यह आभास हो जाता था कि हां यह त्रुटि हो रही है। इसको ठीक किया जाए उन्होंने कहा कि भगवान पारसनाथ का अतिशय ही है यह की पूरा मंदिर 2 वर्ष में बनकर तैयार हो गया और हमें किसी भी प्रकार की कोई अड़चन या कोई भी तकलीफ नहीं हुई यह अपने आप में एक नया इतिहास श्री दिगंबर जैन पंचायत ने स्थापित किया गया है।
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सभी ने बढ़ चढ़कर किया सहयोग

इस अवसर पर जानकारी देते हुए प्रधान कुलदीप जैन ने बताया कि आज मंदिर में नवीन वेदी पर अचल यंत्र की स्थापना और प्रभु को विराजमान करने का सौभाग्य दर्पण जैन (अमेरिका) को प्राप्त हुआ साथ ही छात्र व भामंडल चढ़ाने का सौभाग्य भूपेंद्र जैन परिवार को प्राप्त हुआ, वहीं मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश चढ़ाने का सौभाग्य मंदिर शिलान्यास कर्ता सुनील जैन ममता जैन माडल टाऊन को प्राप्त हुआ। उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि इस मंदिर के निर्माण में सभी ने विशेष योगदान दिया, परंतु विशेष रूप से इस मंदिर की वेदी का निर्माण सुरेश जैन क्राउन इंटरनेशनल के द्वारा कराया गया वहीं शिखर का निर्माण सुरेंद्र जैन कपिल जैन हैंडफेब की तरफ से कराया गया। मंदिर का मुख्य द्वार दीपक जैन (घड़ी वालों) की परिवार की तरफ से कराया गया वहीं सफेद संगमरमर के फर्श का काम राजेश जैन परिवार की तरफ से कराया गया।

भगवान पारसनाथ है अतिशयकारी

इस अवसर पर मंदिर की आर्किटेक्ट, इंटीरियर एवं वास्तु का काम देखने वाली आर्किटेक्ट रीना जैन दिल्ली ने कहा कि मंदिर की प्राचीनता को ध्यान में रखकर इस मंदिर का ध्यान बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस मंदिर के बिल्कुल पीछे लगभग 600- 700 वर्ष प्राचीन मंदिर बना हुआ है और समाज के लोग भी यही चाहते थे कि उस मंदिर की प्राचीनता एवं प्राचीन मंदिर पर किसी प्रकार की हानि ना हो। इसी को ध्यान में रखते हुए आधुनिकता और प्राचीनता के एक संगम के साथ इस मंदिर का निर्माण किया गया। उन्होंने कहा कि मैं विशेष रूप से इस मंदिर की में जो बात देखी वह यह थी कि भगवान पारसनाथ का अतिशय ही था कि हर काम एक से बढ़कर एक हुआ।
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दीवारों पर 24 तीर्थंकरों की 24 प्रतिमाएं अंकित

उन्होंने कहा कि मैं इसमें इंटीरियर का भी काम किया तो हमने हमारी टीम ने गर्भ ग्रह को ऐसे निर्मित किया कि हर व्यक्ति आसानी से परिक्रमा ले सके। उन्होंने कहा इस मंदिर की एक खासियत है कि इस मंदिर के दीवारों पर 24 तीर्थंकरों की 24 प्रतिमाएं अंकित की गई है और वह सब गर्भ ग्रह से पहले अंकित की गई है। उन्होंने कहा कि हमने बच्चों का भी विशेष ध्यान इस मंदिर में रखा है। भगवान की जितने भी जीवन चित्र या जितने भी भाव इस मंदिर में उकेरे गए हैं वह ज्यादा ऊंचाई पर नहीं बनाए गए, ताकि बच्चे उन चित्रों से ज्ञान ले सकें।

आगामी 100 वर्षों को ध्यान में रखकर इस मंदिर का निर्माण किया

उन्होंने कहा कि हमने लकड़ी और पत्थर का काम एक जैसा एक निकासी के साथ किया गया है यह बहुत कम देखने को मिलता है। आगामी 100 वर्षों को ध्यान में रखकर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर के निर्माण मे दिगंबर जैन पंचायत के सचिव मनोज जैन ने हमेशा सम्पर्क में रहे। उन्होंने यह भी बताया कि मैं इससे पहले लगभग 20 से 25 जैन मंदिरों का आर्किटेक्ट इंटीरियर और वास्तु का कार्य कर चुकी हूं, जिसमें विशेष रूप से गोल्डन जैन टेंपल है जो कि  रोहिणी में स्थित है।
Shri Digambar Jain Mandir Panipat

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फूल की तरह विराजमान हुए बड़े बाबा

इस अवसर पर नरेंद्र कुमार जैन उर्फ छोटे पहलवान जो की ललितपुर से आए थे उन्होंने और उनकी टीम ने भगवान पारसनाथ को अस्थाई वेदी से नवीन बेदी पर विराजमान करने के लिए कार्य किया। उन्होंने कहा कि हमने यह सेवा मुनि श्री सुधा सागर महाराज के प्रेरणा व आशीर्वाद से शुरू किया था। अब तक हम हजारों मंदिरों में बड़ी प्रतिमाओं को मंदिर जीर्णोंद्धार के लिए स्थानांतरण कर चुके है, विशेष रूप से हमने बड़े बाबा कुंडलपुर और राजग्रही पर विराजमान भगवान की बड़ी-बड़ी प्रतिमाओं का स्थानांतरण करने में अपनी सेवाएं दी है। उन्होंने बताया कि उनके साथ आज सिद्धार्थ जैन, तारा जैन, अनुत्तर जैन सपन जैन और ऋषि जैन ललितपुर से साथ आए हैं। अस्थाई वेदी से नवीन वेदी पर विराजमान की है, तो यह फूल की तरह है विराजमान हो गई। उन्होंने कहा कि मैं यकीनन कह सकता हूं कि इस मंदिर के देवताओं ने हमारा पूर्णतया साथ दिया है,क्योंकि यह पारसनाथ भगवान की प्रतिमा बहुत भारी है और लगभग 6 फीट ऊंची प्रतिमा है जो की सफेद पाषाण से बनी हुई है।

सानंद संपन्न हुआ त्रि दिवसीय महोत्सव

इस अवसर पर जानकारी देते हुए तीन दिनों से भोजन व्यवस्था का कार्य देखने वाले पुनीत जैन  ने बताया कि यह त्रि दिवसीय महोत्सव आनंद के साथ संपन्न हुआ। मां श्री कौशल और आचार्य श्रुत सागर जी के पावन सानिध्य में पानीपत जैन समाज द्वारा एक नया इतिहास लिखा गया, क्योंकि यह मंदिर अपने आप में अतिश्यकारी है और बहुत सी रोचक कथाएं इस मंदिर से जुड़ी हुई है और मंदिर के अंदर बने प्राचीन मंदिर लगभग लगभग 600 वर्ष प्राचीन है इसलिए इस मंदिर के नवनिर्माण से पूरा जैन समाज धरती हर्षित है आज इस विशेष अवसर पर  सुरेंद्र जैन, सुखमल जैन, सुनील जैन, राजेश जैन दिनेश जैन, संजीव जैन श्री दिगंबर जैन पंचायत के प्रधान कुलदीप जैन, उप प्रधान सुरेश जैन, सचिव मनोज जैन, कोषाध्यक्ष सुशील जैन, प्रबंधक मुकेश जैन, एडवोकेट मेहुल जैन, वीरज जैन, दीपक जैन आदि मौजूद रहे।
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