इशिका ठाकुर, India News (इंडिया न्यूज़), Shri Sanatan Dharam Shiv Mandir Karnal, चंडीगढ़ : प्रदेश के जिला करनाल के सर्राफा बाजार स्थित 55 साल पुराने श्री सनातन शिव मंदिर की भव्यता जहां लोगों के दिलों को छू रही है, वहीं यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र भी बना हुआ है। मंदिर में स्थापित भगवान शिव की विशाल मूर्ति भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। सावन के महीने में मंदिर में भगवान शिव की पूजा आराधना करने से शिव भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान महादेव उनके सारे कष्ट दूर करते हैं।
इस शिव मंदिर की खास बात है कि मंदिर का निर्माण केवल 8 फुट चौड़ी और 8 फुट गहरी भूमि पर किया गया है तथा इसकी ऊंचाई 125 फुट है जो अपने आप में यह अद्भुत है। कहा यह भी जाता है कि यह मंदिर हरियाणा में एकमात्र शिव मंदिरों में से है जो कि सबसे पहले तथा सबसे कम जगह पर बनाया गया ऊंचा मंदिर है।
भगवान शिव के इस मंदिर की 9 मंजिलें हैं जिनमें मां दुर्गा, मां सरस्वती, भगवान राम दरबार, कृष्ण दरबार, लक्ष्मी नारायण, राधा कृष्ण तथा विष्णु भगवान यह मूर्ति स्थापना की गई है। इस मंदिर की प्रथम मंजिल पर अष्ट धातु से बनी भगवान शिव की विशाल मूर्ति है जिसके तीसरे नेत्र पर हीरा जड़ा हुआ है। भगवान शिव की इस मूर्ति की लंबाई 8 फुट है। इस मंदिर में शिव पिंडी पूरे शिव परिवार के साथ यहां स्थापित की गई है।
मंदिर के पुजारी पंडित लक्ष्मण पांडे ने बताया कि मंदिर के निर्माण की नींव सन 74 में रखी गई थी। 2 से 3 साल लगे इस मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में, उसके बाद सभी श्रद्धालु दूर-दूर से यहां इस मंदिर को देखने के लिए आने लगे। आरम्भ में यह मंदिर कुछ विवादों में भी रहा लेकिन उसके बाद आपसी भाईचारे के चलते यह विवाद खत्म हो गया। हर धर्म के लोग इससे जुड़ने लगे और मंदिर की शोभा बढ़ने लगी। इस मंदिर की विशेषता यह थी यह है छोटी सी जगह में बना हुआ है।
करनाल में मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि पूरे प्रदेश में मशहूर है। यहां शिवरात्रि पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। फाल्गुन के कृष्ण पक्ष और सावन की शिवरात्रि का नजारा देखते ही बनता है। इस वर्ष सावन पक्ष की महाशिवरात्रि 15 जुलाई को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी
यह मंदिर करनाल के सर्राफा बाजार स्थित मंजी साहिब गुरुद्वारे के साथ बना हुआ है जिसके कारण इसका धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाता है तथा यह मंदिर आपसी भाईचारे का भी प्रतीक है। इस मंदिर में यदि कोई शिव भक्त केवल एक लोटा जल भी भगवान शिव को अर्पण कर देता है तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है तथा यहां से कुछ भी खाकर जाते हैं जैसे बेलपत्र या जल पीकर जाते हैं तो वह हर बीमारी से ठीक हो जाता है। ऐसी मान्यता है इसे सिद्ध पीठ के रूप में घोषित किया गया है। इस मंदिर की जगह पर पहले एक पुस्तकों की दुकान थी, जिसके मालिक ने यह जगह शिव मंदिर निर्माण के लिए दी थी।
कहा यह भी जाता है कि यहां पहले प्राचीन शिव मंदिर स्थापित था जो कि काफी पीछे तक फैला हुआ था जिसमें एक विशाल वट वृक्ष मौजूद था। प्राचीन समय में उस वटवृक्ष के नीचे श्री गुरु नानक देव जी ने सत्संग किया था तथा उसके बाद यहां गुरुद्वारा साहिब का भी निर्माण किया गया। शिव मंदिर के गुंबद पर स्वर्ण कलश लगा हुआ है। कहा यह भी जाता है इस मंदिर में जो भी दुखी अथवा बीमार व्यक्ति मंदिर में ओम नमः शिवाय का जाप करता है, के सभी दुख दरिद्र समाप्त हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।