India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Congress : बेशक प्रदेश में वर्ष 2024 के हुए विधानसभा चुनावों में परिणामों से पहले हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में राजनीतिक माहौल दिखाई दिया हो और राजनीतिज्ञों से लेकर आम जनता के बीच भी यही धारणा थी कि पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस 10 साल बाद फिर सत्ता में वापसी करने मेंं सफल रहेगी, लेकिन परिणामों ने सभी को चौंका दिया और उम्मीदों के विपरीत लगातार कांग्रेस को तीसरी बार विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस हाईकमान भी इसी बात को लेकर सकते में दिखाई दिया कि चुनावी नतीजे उम्मीद के विपरीत कैसे साबित हुए। लगातार तीसरी बार हाथ से सत्ता निकल जाने के बाद पार्टी हाईकमान लगातार चिंतन और मंथन कर रही है कि पार्टी को किन कारणों के चलते हरियाणा में पराजय का सामना करना पड़ा। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस बारे में सभी से फीडबैक जुटा भी रहा है, मगर बुधवार को राजनीतिक गलियारों में उस वक्त एकाएक गर्माहट आ गई, जब कांग्रेस हाईकमान ने महाराष्ट्र में अगले माह होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी के स्टार प्रचारकों की एक सूची जारी कर दी।
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राजनीतिक पर्यवेक्षक अब इस सूची में छिपे गहरे सार और संदेश को समझने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि इस लिस्ट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे का नाम नहीं था। गौरतलब है कि 29 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर स्टार प्रचारकों की जो लिस्ट जारी हुई है, अमूमन वो केसी वेणुगोपाल की तरफ से ही जारी की जाती रही है लेकिन इस बार कुमारी सैलजा की तरफ से लिस्ट जारी की गई। उसमें हरियाणा से सिर्फ राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम था।
कांग्रेस हाईकमान ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के सिलसिले में स्टार कैंपेनर 40 सीनियर नेताओं की एक लिस्ट जारी की, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी व केसी वेणुगोपाल के अलावा कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नाम शामिल रहे, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि लिस्ट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा या बेटे दीपेंद्र का नाम नहीं था, जबकि उनके विरोधी गुट से हरियाणा से केवल एक नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम शामिल है।
पर्यवेक्षकों के अनुसार यह कुमारी सैलजा के लिहाज से देखा जाए तो उनकी यह जिम्मेदारी इसलिए बड़ी हो जाती है कि उम्मीदवारों अथवा स्टार प्रचारकों की घोषणा प्रायः पार्टी के संगठन महासचिव एवं संबंधित राज्य के प्रभारी द्वारा की जाती है और वर्तमान में संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल हैं जबकि स्टार प्रचारकों की सूची की घोषणा महासचिव कुमारी सैलजा से करवाई गई, जबकि आमतौर पर ऐसा नहीं होता।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इन दोनों नेताओं रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा को अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए हाईकमान ने कहीं न कहीं हरियाणा की राजनीति में यह एक संदेश देने का प्रयास किया है कि पार्टी में इन दोनों नेताओं की अहम भूमिका है और उनका रुतबा काफी बड़ा है। इसके अलावा पर्यवेक्षकों द्वारा यह भी अटकल लगाई जा रही है कि कांग्रेस हाईकमान हरियाणा में दूसरे नेताओं खासकर हुड्डा से नाराज है और अब संभवतः प्रदेश में सैलजा व सुरजेवाला की जोड़ी को बड़ी जिम्मेदारी देने के मूड में दिख रही है।
कुमारी सैलजा और सुरजेवाला में एक दोनों ही नेता सांसद हैं और दोनों ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं व दोनों ही क्रमशः उत्तराखंड व कर्नाटक जैसे राज्यों के प्रभारी हैं। महाराष्ट्र व झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस बड़ा बदलाव करने के मूड में नजर आ रही है। सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा को कांग्रेस बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। चर्चाएं हैं कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बनाया जा सकता है। अभी तक यह जिम्मेदारी केसी वेणुगोपाल संभाल रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 37 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा ने 48 सीट जीतते हुए अकेले अपने दम पर सरकार बना ली। टिकट बंटवारे में कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की एक तरफा चली और उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा गया, लेकिन बावजूद इसके पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। टिकट के बंटवारे से लेकर स्टार कैंपेनरों की रैलियों तक में हुड्डा की ज्यादा चली और बाकी नेताओं को कोई ज्यादा तवज्जो नहीं मिली।
हुड्डा विरोधी रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा कहीं फ्रंट पर नहीं दिखे। इसे कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में हार का एक बड़ा कारण भी माना है। इस गुटबाजी के कारण संगठन कमजोर हुआ। दोनों नेताओं की गुटबाजी का नतीजा यह रहा कि पार्टी को लगातार हरियाणा में तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तवज्जो कम हुई है। वहीं कुमारी सैलजा के समर्थक भी लगातार हुड्डा ग्रुप पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं जबकि हुड्डा के समर्थक कुमारी सैलजा को हार का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। फिलहाल जो भी हो कांग्रेस को हार का मुंह एक बार फिर देखना पड़ गया।
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