होम / Candle Light Protest : एरियर को लेकर 2 माह से मौन कैंडल लाइटिंग प्रोटेस्ट जारी

Candle Light Protest : एरियर को लेकर 2 माह से मौन कैंडल लाइटिंग प्रोटेस्ट जारी

• LAST UPDATED : September 15, 2023

संबंधित खबरें

डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Candle Light Protest, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ देशभर में किसी परिचय की मोहताज नहीं है और देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में इसका नाम शुमार किया है। लेकिन गाहे बगाहे कोई न कोई ऐसा मामला आ जाता है, जिससे संस्थान के बारे में ठीक संदेश नहीं जाता। अबकी बार मुद्दा पीयू की टीचिंग फैकल्टी का है।

पीयू के टीचर्स का पिछले 7 साल का एरियर लंबित है और इसके न मिलने के चलते टीचर्स मौन कैंडल लाइटिंग प्रोटेस्ट के जरिए अपना विरोध जता रहे हैं, लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। मामले की गूंज अब केंद्र तक भी पहुंच रही है तो टीचर्स को उम्मीद है कि शायद उनकी सुन ली जाए लेकिन पुख्ता तौर पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। अगर भविष्य में टीचर्स ने कोई कड़ा कदम उठाया तो स्टूडेंट की पढ़ाई प्रभावित होनी तय है।

टीचर्स ने 18 जुलाई को शुरू किया था मौन प्रोटेस्ट

पीयू के टीचर्स ने 18 जुलाई को अपना मौन प्रोटेस्ट शुरू किया था। हर रोज शाम को पीयू के टीचर्स बारी बारी से गांधी भवन पर एकत्रित होते हैं। वहां पर वो कैंडल लाइटिंग करते हैं। कुछ ही दिन में प्रोटेस्ट को दो महीने हो जाएंगे लेकिन स्थिति यथावत है लेकिन जिम्मेदार स्टेकहोल्डर्स टम से मस नहीं हो रहे।

ये बोले पूर्व पुटा प्रेसीडेंट

पूर्व पुटा प्रेसीडेंट, प्रो रौनकी राम ने कहा कि पीयू में 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट सात साल की देरी से 2023 में लागू हुई थी। हालाँकि, अभी तक इसके शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बकाया राशि नहीं दी गई। चूंकि शिक्षण कर्मचारियों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का वेतन केंद्र सरकार द्वारा कवर किया जाता है, इसलिए पीयू का संबंधित बकाया केंद्र सरकार द्वारा बिना किसी देरी के जारी किया जाना चाहिए।

ये बोले डॉ. कुलविंदर

वहीं डॉ. कुलविंदर, पीयू फैकल्टी, यूबीएस का कहना है कि पीयू के टीचर्स के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है वो किसी भी लिहाज से उचित नहीं है। पिछले सात साल टीचर्स का एरियर नहीं जारी करना काफी कुछ बयां करता है। क्या केंद्र और पंजाब सरकार की ये जिम्मेदारी नहीं बनती कि वो पीयू के टीचर्स के हितों की रक्षा करे लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। करीब दो महीने से हम प्रोटेस्ट को मजबूर हैं। अगर यही स्थिति रही तो टीचर्स को कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं।

Tags:

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT