India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Female Rajya Sabha MP : साल 1966 में हरियाणा के गठन के बाद से केवल 6 महिलाएं ही राज्यसभा पहुंच पाई हैं। निर्दलीय कोई महिला आज तक हरियाणा से संसद नहीं पहुंच पाई। बेशक महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी के कितने ही बड़े दावे किए जाते हों लेकिन धरातल स्थिति बिलकुल उलट है।
अन्य क्षेत्रों की तरह राजनीति में भी महिलाएं पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा पीछे हैं। 13 दिसंबर को भाजपा की रेखा शर्मा राज्यसभा सांसद बनीं। इसी कड़ी में यह बता दें कि हरियाणा से राज्यसभा सांसद बनने वाली महिलाओं की संख्या बेहद कम है। जाट बाहुल्य इलाकों में किसी भी महिला को अब तक लोकसभा सांसद नहीं चुना गया। हरियाणा में जितनी भी महिलाएं विधायक या सांसद बनी हैं, उनमें से ज्यादातर संपन्न और राजनीतिक परिवारों से रही हैं। इसके अलावा जितनी भी महिला विधायक बार-बार बनी हैं, उनमें भी ज्यादातर राजनीतिक घरानों से संबंध रखती हैं।
हरियाणा के इतिहास में अब तक छह महिलाएं राज्यसभा की दहलीज तक पहुंची हैं। साल 2023 तक राज्यसभा में हरियाणा से आज तक केवल चार महिलाएं चुनी गई, जिनमें सुषमा स्वराज (1990-1996) और विद्या बेनीवाल (1990-1996) सांसद बनी। दोनों पूरे 6 वर्ष अर्थात अप्रैल 1996 तक हरियाणा से राज्यसभा सांसद रहीं।
फिर सुमित्रा महाजन (2002-2008) सांसद बनी, लेकिन जनवरी, 2007 में मृत्यु के कारण वह अपना 6 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। कुमारी सैलजा (2014-2020) में सांसद बनी। साल 2024 में दो भाजपा नेत्रियों को राज्यसभा पहुंचने का मौका मिला है। इसी साल भाजपा ने किरण चौधरी को राज्यसभा भेजा था और अब रेखा शर्मा को भी कैंडिडेट बनाया गया और वह राज्यसभा सांसद बनी।
कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा की सुधा यादव और इनेलो की कैलाशो सैनी, भाजपा की सुनीता दुग्गल ही हरियाणा गठन के बाद लोकसभा में पहुंच पाईं। हरियाणा में जितनी भी महिलाएं राज्यसभा या लोकसभा सांसद बनी , वह ज्यादातर राजनीतिक परिवारों से ही हैं। सैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह चार बार सिरसा से लोकसभा के लिए चुने गए, जबकि चौधरी के दादा बंसी लाल ने 1980 से 1989 तक निचले सदन में भिवानी का प्रतिनिधित्व किया।
उनके पिता सुरेंद्र सिंह ने 1996 में यह सीट जीती थी और 1998 के आम चुनाव में इसे बरकरार रखा। सैलजा एकमात्र महिला है जो हरियाणा से पांच बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। वह कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की सदस्य भी रहीं और 2014 से 2020 तक राज्यसभा सांसद के रूप में भी कार्यरत रहीं। वही श्रुति चौधरी बंसीलाल की पोती और भाजपा नेता किरण चौधरी की बेटी हैं।
ये भी बता दें कि अबकी बार मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से सबसे ज्यादा 7 महिला विधायक चुनकर आई है। कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतने वाली महिला नेत्रियों में पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस प्रत्याशी गीता भुक्कल झज्जर , शैली चौधरी नारायणगढ़ सीट से, शकुंतला खटक कलानौर सीट से, ओलंपियन विनेश फोगाट जुलाना से, पूजा चौधरी मुलाना से, रेणु बाला साढौरा से और मंजू चौधरी नांगल चौधरी से हैं।
कांग्रेस के अलावा सत्ताधारी दल भाजपा की जो महिला नेत्री चुना जीती हैं, उनमें से शक्ति रानी शर्मा कालका सीट से, कृष्णा गहलावत राई से, श्रुति चौधरी तोशाम, बिमला चौधरी पटौदी और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह ने अटेली से जीत हासिल की। वहीं ये भी बता दें कि निर्दलीय उम्मीदवार और भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल बतौर निर्दलीय उम्मीदवार हिसार सीट से चुनाव जीतने में सफल रही और बाद में उन्होंने भाजपा को समर्थन दे दिया।
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1967 में हुए पहले विधानसभा के चुनाव में मात्र 4 महिला चुनी गई थी। 1968 में 7, 1972 में 4, 1977 में 4 , 1982 में 7, 1987 में 5, 1991 में 6, 1996 में 4, 2000 में 4, 2005 में 11 और 2009 में 8 विधायक चुनी गई थी। बता दें कि लिंगानुपात के मामले में हरियाणा की देश में एक समय सबसे खराब स्थिति थी। इसके बाद साल 2014 में 13, 2019 में 8 और 2024 में 13 महिला विधायक चुनी गई। आंकड़ों से स्पष्ट है कि पुरुषों की तुलना में महिला विधायकों की संख्या बेहद कम है, लेकिन पिछले कुछ साल में महिला विधायकों की संख्या में इजाफा हुआ लेकिन बराबरी के लिहाज से ये बेहद कम है।
ये भी बता दें कि 2011 की जनगणना में राज्य में 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अनुपात 877 था, जिसमें अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। एक स्टडी के मुताबिक, हरियाणा में समाज घर और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की बराबरी का दर्जा और प्रतिनिधित्व न मिलना हमेशा चिंता का विषय रहा है।