India News Haryana (इंडिया न्यूज), Soldier Disability Pension: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में सैनिकों को राहत देते हुए कहा है कि सैन्य सेवा के दौरान जब तक यह साबित नहीं होता कि खराब खान-पान या शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण सैनिक को मधुमेह (डायबिटीज) हुआ है, तब तक सेना से छुट्टी पर अधिकारी उस सैनिक को विकलांगता पेंशन से इनकार नहीं कर सकते।
इस मामले में एक सैनिक को टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित होने के कारण चिकित्सा श्रेणी में सेवा से छुट्टी दी गई थी, लेकिन सैन्य अधिकारियों ने इस विकलांगता पेंशन को यह कहकर नकार दिया कि सैनिक की बीमारी का कारण खराब खान-पान और शारीरिक गतिविधि की कमी है। हाई कोर्ट ने इस पर अपनी राय देते हुए कहा कि जब तक इस बात का सबूत नहीं है कि सैनिक ने कोई प्रतिबंधित भोजन खाया था या कभी शारीरिक गतिविधियों से दूर रहा, तब तक इन कारणों को बीमारी का आधार नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि वह मेडिकल बोर्ड की राय को अनिवार्य रूप से मानने के लिए बाध्य नहीं है और किसी भी बीमारी को सैनिक के पारिवारिक इतिहास से जोड़कर उसकी विकलांगता को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस आदेश में हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें एएफटी चंडीगढ़ द्वारा अप्रैल 2022 में पारित आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। इस याचिका में चेतन मलिक नामक एक सैनिक को विकलांगता पेंशन दिए जाने का आदेश दिया गया था।
चेतन मलिक 20 जनवरी 2003 को सेना में भर्ती हुए थे, लेकिन गंभीर अवसाद और टाइप-2 मधुमेह के कारण उन्हें 31 अक्टूबर 2019 को सेवा से अनुकंपा के आधार पर छुट्टी दे दी गई थी। हाई कोर्ट के इस आदेश ने विकलांगता पेंशन के मामले में सैनिकों के अधिकारों को संरक्षित करते हुए उन्हें न्याय दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया है।
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