India News Haryana (इंडिया न्यूज), Governor Acharya Devvrat : कुरुक्षेत्र में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि विश्व की हर समस्या का समाधान पवित्र ग्रंथ गीता में निहित है। इस पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेश आज भी पूरी तरह प्रासंगिक हैं। इन उपदेशों को आज हर व्यक्ति को अपने जीवन में धारण करने की जरूरत है। इन उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद का वर्तमान में अहम योगदान है। इन्हीं के प्रयासों से आज सरकार के माध्यम से विदेशों में भी गीता महोत्सव के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। राज्यपाल आचार्य देवव्रत बुधवार को गीता ज्ञान संस्थानम में श्री कृष्ण कृपा जीओ गीता परिवार द्वारा आयोजित 5 दिवसीय दिव्य गीता सत्संग के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
इससे पहले राज्यपाल आचार्य देवव्रत और गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने गीता पूजन तथा दीप प्रज्जवलित करके सत्संग का शुभारंभ किया। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गीता मनीषी ज्ञानानंद की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने गीता को जन आंदोलन बनाया है और विश्व स्तर पर गीता की पहचान करवाने का श्रेय भी गीता मनीषी को ही जाता है। गीता कैसे जी जाए यह गीता मनीषी ने दुनियां को सिखाया। गीता मनीषी देश का गौरव है और इनका आर्शीवाद हमेशा मेरे साथ रहा है। गीता मनीषी गौ माता और गीता के लिए हमेशा प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। उनके इस मिशन में जो लोग सहयोग दे रहे हैं वह भी साधुवाद के पात्र हैं।
राज्यपाल ने कहा कि गीता जीवन जीने का आध्यात्मिक ग्रंथ है और कैसे जीया जाए और गीता में वेदों का ज्ञान है। भगवान ने चार वेद चार ऋषियों के माध्यम से बनाए और फिर वेदों का ज्ञान उपनिषदों में आया और यही ज्ञान गीता में हैं। गीता हमें कर्म करने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि गीता में कहा गया है कि कर्म करो लेकिन इसमें लिप्त नहीं होना चाहिए। गीता भारतीय दर्शन की जीवन पद्धति है। भगवान कृष्ण का जीवन चिन्तन हैं। गीता में जीवन की हर समस्या का समाधान है।
गीता हमें मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाती है। महामहिम ने कहा कि जो अनुकूलता है, वहीं सुख है और जो अनुकूल न आए वह दुख हैं। गीता भारतीय परपंराओं का अदभूत ग्रंथ है। इससे पूर्व महामहिम राज्यपाल ने संस्थानम में ध्यान साधना केन्द्र का उदघाटन भी किया। इस अवसर पर स्वामी निबंकाचार्य, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी नवलगिरी, स्वामी अगीतानंद, स्वामी मारूतिनंदन वागेश, स्वामी हरिओम परिजावक सहित अनेक संत महात्मा दिव्य गीता सतसंग के शुभारंभ पर उपस्थित रहे।
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गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने सभी संतों का स्वागत करते हुए कहा कि गीता घर-घर में पढ़ी जानी चाहिए। गीता को जन आंदोलन बनाना होगा, क्योंकि जीवन की सभी समस्याओं का समाधान गीता में है और गीता राष्ट्र का गौरव है। गीता किसी एक धर्म की नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति को जीने की कला सिखाती है। इस दौरान गीता मनीषी ने महामहिम राज्यपाल को राजभवन गुजरात में रखने के लिए गीता भी भेंट की। वहीं
महामहिम राज्यपाल ने स्वामी निबंकाचार्य को गीता की प्रति भेंट की।