इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
Statue of Equality प्रधानमंत्री शनिवार शाम को 5 बजे बसंत पंचमी के मौके पर वैष्णव संत रामानुजाचार्य (Ramanujacharya) की प्रतिमा 216 फुट ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ (Statue of Equality) देश को समर्पित करेंगे। यह स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी अष्टधातु से बनी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। प्रतिमा को करीब 1000 करोड़ रुपए की लागत से बने रामानुजाचार्य मंदिर में स्थापित किया गया है।
बता दें कि स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी और रामानुजाचार्य मंदिर (temple of Ramanujacharya) 45 एकड़ में बनाया हुआ है। मंदिर का मूल भवन 58 फीट ऊंचा है। देश में पहली बार समानता की बात करने वाले वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी के जन्म के 1001 वर्ष पूरे हो चुके हैं। मंदिर में रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां हैं।
बैठी हुई मुद्रा में दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा थाइलैंड स्थित बुद्ध की प्रतिमा है। बुद्ध की प्रतिमा की ऊंचाई 302 फीट है। दूसरी ओर संत श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा की स्थापना हैदराबाद के बाहरी इलाके शमशाबाद में 45 एकड़ के भव्य मंदिर परिसर में की गई है।
वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म 1017 में तमिलनाड़ु में हुआ बताया गया है। वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। कांची में उन्होंने अलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया। 120 साल की आयु में उन्होंने देह त्याग किया।
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