India News Haryana (इंडिया न्यूज), Stubble Burning: पंजाब के किसानों ने सरकार से पराली जलाने का स्थायी समाधान निकालने की मांग की है, क्योंकि उनके अनुसार पराली जलाना उनकी मजबूरी है। हाल ही में बठिंडा के नेहियां वाला गांव में पराली जलाने की घटना के बाद किसान राम सिंह ने अपनी चिंता जाहिर की।
उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा समाधान निकालना चाहिए जिससे पराली जलाने की घटनाएं कम हो सकें, क्योंकि किसानों के पास इसका कोई विकल्प नहीं है। सरकार द्वारा समाधान न देने के बजाय, किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं और उन्हें प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। राम सिंह ने सवाल उठाया कि क्या दिल्ली और पंजाब के कारखाने और उद्योग प्रदूषण नहीं फैला रहे हैं? उन्होंने कहा कि किसानों को ही हमेशा दोषी ठहराना गलत है।
इसी तरह, अंबाला में किसान नेता सुरेश कोठ ने हरियाणा सरकार के कड़े कदमों की आलोचना की। कोठ ने कहा कि सरकार की ये नीतियां किसानों के बीच असंतोष पैदा कर रही हैं और अगर हर गांव में पराली प्रबंधन की मशीनें उपलब्ध कराई जाएं, तो किसान पराली जलाने से बच सकते हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से उद्योग और वाहन जिम्मेदार हैं, न कि किसान। कोठ ने सरकार से किसानों को दंडित करने की बजाय वास्तविक कारणों को दूर करने की मांग की। इसके साथ ही, धान की खरीद के दौरान नमी के कारण की जा रही कटौती पर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की।
किसान नेताओं का यह भी कहना है कि किसानों का प्रदूषण में योगदान केवल 3 से 4 प्रतिशत है, जबकि मुख्य प्रदूषक उद्योग और वाहन हैं। सरकार की नीतियों को तानाशाही बताते हुए उन्होंने कहा कि मशीनों के अभाव में किसानों के पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि विश्व बैंक से मशीनों के लिए भारी धनराशि आई है, जो किसानों तक नहीं पहुंच रही है।
किसानों ने चेतावनी दी कि वे सरकार की ओर से लगाए जा रहे जुर्माने को नहीं मानेंगे और इस तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करेंगे। हरियाणा सरकार ने किसानों पर सख्त कार्रवाई के तहत पराली जलाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, जिन किसानों के रिकॉर्ड में पराली जलाने की घटना दर्ज होगी, उन्हें अगले दो सीजन तक अपनी फसल बेचने से रोका जाएगा।