India News Haryana (इंडिया न्यूज), Stubble Burning: हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्यों में पराली जलाने की समस्या विकराल होती जा रही है, जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट हो रही है। इस समस्या का समाधान सूक्ष्म जीवों की मदद से खोजने की दिशा में कई वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।
जीजेयू में आयोजित माइक्रोबायोलॉजी पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इस पर विशेष चर्चा की गई। प्रोफेसर आरसी कुहाड़ के अनुसार, धरती पर लगभग एक ट्रिलियन सूक्ष्म जीवाणु (माइक्रोबायोम) हैं, जिनमें से केवल 10 प्रतिशत पर ही वैज्ञानिक शोध कर पाए हैं। उनका मानना है कि सूक्ष्म जीवों के 90 प्रतिशत हिस्से पर काम कर समाधान निकाला जा सकता है।
पराली को खाद में बदलने की प्रक्रिया में सूक्ष्म जीवों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, लेकिन बाजार में उपलब्ध डी-कंपोजर फिलहाल पराली के कुछ हिस्सों को ही नष्ट कर पाते हैं। विशेषकर, लिग्निन नामक तत्व, जो पराली का सबसे मजबूत हिस्सा होता है, उसे तोड़ने में मुश्किल आती है। इस चुनौती से निपटने के लिए माइक्रोबायोलॉजिस्ट ऐसे सूक्ष्म जीवों की खोज कर रहे हैं, जो लिग्निन को तोड़ने में सक्षम हो।
इसके लिए फफूंदी और जीवाणुओं के मिश्रण से नए डी-कंपोजर तैयार किए जा रहे हैं, जो पराली को पूरी तरह से खाद में बदलने में मदद करेंगे। इस दिशा में भारतीय कृषि विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICAR) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. लवलीन शुक्ला शोध कर रही हैं। सूक्ष्म जीवों के इस नए उपयोग से न केवल पराली जलाने की समस्या हल हो सकती है, बल्कि यह किसानों के लिए एक आर्थिक रूप से लाभकारी और पर्यावरणीय दृष्टि से स्थायी समाधान बन सकता है।
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