डॉ. रविंद्र मलिक, India News, इंडिया न्यूज, Summer Holidays Homework New Pattern, चंडीगढ़ : हरियाणा में 1 जून से 30 जून तक स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां होने जा रही हैं और इस दौरान स्कूलों में बच्चों को होमवर्क करने के लिए दिया जाता है। लेकिन अबकी बार शिक्षा विभाग ने घिसी पिटी परिपाटी से हटके पहली से पांचवीं कक्षा तक के स्कूली बच्चों के होमवर्क के पैटर्न में व्यापक स्तर पर बदलाव किया है।
पारंपरिक रूप से अब तक बच्चों को होमवर्क में लेखन और रटने की प्रवृत्ति का ही प्रचलन रहा है, लेकिन अबकी बार इसको रचनात्मक और प्रैक्टिकल एंगल भी दिया गया है। बच्चों के होमवर्क में किए गए बदलावों का उद्देश्य उनका न केवल सर्वांगीण विकास करना है, बल्कि इसके द्वारा मार्गदर्शन, व्यवहार कुशल करना और उनमें संस्कार विकसित करना भी शामिल है।
साथ ही नए पैटर्न द्वारा उनके शब्दकोश और मातृभाषा के प्रति रुझान को बढ़ाने में खासी मदद मिलेगी। होमवर्क पूरा किए जाने में परिजनों की भी अहम भूमिका रहती है तो माता-पिता को भी बच्चों का होमवर्क पूरा करवाने के लिए जरूरी समय उनके लिए निकालना पड़ेगा। इसके जारी किए गए निर्देशों में ये भी साफ किया गया है कि होमवर्क के नए पैटर्न को पूरा करने में अतिरिक्त पैसा नहीं खर्च किया जाएगा।
नए पैटर्न में दर्जनों नई गतिविधियां शामिल की गई हैं। विधार्थी के लिए सभी गतिविधियों को पूरा करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन हर विधार्थी को अपनी कक्षा, आयु और योग्यता के आधार पर 10 गतिविधियों को अपने होमवर्क का हिस्सा बनाते हुए इनको करना होगा। इसके अलावा होमवर्क के नए तरीके के जरिए शिक्षा विभाग की ये भी कोशिश होगी कि बच्चों को हर समय मोबाइल और टीवी की लत से दूर किया जाए और वो ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई के अलावा अपने माता-पिता के लिए निकालें। होमवर्क के नए पैटर्न को लेकर विभाग के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर, एफएलएन डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा कि स्कूली बच्चों को इसके जरिए आने वाले समय के लिए हर तरह से पारंगत और तैयार करना है।
वहीं स्कूली बच्चे अब अपने होमवर्क के तहत बाग-बगीचे, खेत खलिहान का प्रैक्टिकल ज्ञान भी अर्जित करेंगे। जी चौंकिए मत, बिल्कुल ठीक पढ़ा आपने। इसका तात्पर्य है उनको खेती से जुड़े पहलुओं को लेकर डिटेल बनानी होगी। होमवर्क में स्कूलों बच्चों को दालों और सब्जियों के अंकुरण के बारे में जानकारी रखनी होगी और मोबाइल के द्वारा इनके पौधों के लंबे होने व अन्य पहलुओं को लेकर फोटो के द्वारा जानकारी रखनी होगी। इसके अलावा उनको फलों आम, जामुन, ईमली, लीची और आडू आदि के अलावा औषधीय वनस्पति को उगाने और इनके अनुकूल मौसम में उगाने की तैयारी करनी होगी। साथ में ये भी ऑब्जर्व करना होगा कि उनके आसपास कौन से पेड़ पौधे ज्यादा हैं।
इसके अलावा होमवर्क के तहत बच्चे ये भी सीखेंगे कि घर की रसोई कैसे चलाई जाती है। रसोई चलाने के गृहणियों के कौशल के बारे में भी उनको होमवर्क करना है। उनके परिजन इस बारे में उनको बताएंगे। स्कूली बच्चों को होमवर्क में इस बात का विवरण रखना होगा कि महीने में रसोई में राशन पर कितना खर्च होगा। नमक, दाल, आटे और अन्य खाद्य सामग्री पर कितना खर्च होता है। इसके अलावा वो ये भी देखेंगे कि रसोई में कितने बर्तन हैं। साथ ही वो डिटेल मेंटेन करेंगे कि रसोई में किस बर्तन का क्या काम है। इसके अलावा सभी तरह की दालों, खाद्य सामग्री का न केवल लिखित रिकार्ड रखेंगे बल्कि उनको सूंघकर पहचानेंगे भी।
मानव जीवन में मौसम पर काफी कुछ निर्भर करता है। मौसम के पूर्वानुमान के चलते किसानों को भी काफी फायदा मिलता है। होमवर्क के नए पैटर्न के जरिए शिक्षा विभाग की कोशिश है कि स्कूली बच्चे मौसम संबंधी गतिविधियों के बारे में प्रैक्टिकली काम करें और ज्ञान प्राप्त करें। अब स्कूली बच्चों को होमवर्क में मौसम के बारे में जांच पड़ताल रखनी होगी। वो इस बात पर जानकारी जुटाएंगे कि जून में छुट्टियों के दौरान कितने दिन बादल छाए रहे और कितने दिन बरसात हुई। इसके अलावा उनको समझना होगा कि बरसात आने से पहले मौसम में क्या और किस तरह के बदलाव देखे गए। साथ दिन में दो बार न्यूनतम और अधिकतम तापमान भी नोट करेंगे।
स्कूलों बच्चों को उनके होम वर्क के दौरान ये भी देखना होगा कि घर में रोजमर्रा की जरूरत के लिए किस किस संसाधन का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा हो रहा है। वो इस बात का रिकॉर्ड रखेंगे कि घर में प्रतिदिन कितने घंटे पंखा चलता है और पूरे एक महीने में इस पर कितनी बिजली खर्च हुई है। वो ये भी सुनिश्चित करेंगे कि फालतू के बिजली खर्च पर अंकुश लगे और इसकी बचत की जाए। जीवन में जल का बेहद महत्व है और इसको लेकर सरकार भी कोशिश कर रही है कि लोग जल संरक्षण को लेकर जागरूक बनें। स्कूलों बच्चों को होमवर्क के दौरान ये भी रिकॉर्ड मेंटेन करना है कि नहाने के दौरान उन्होंने खुद पर कितना पानी खर्च किया है और एक बाल्टी में कितना पानी आता है। गर्मियों में इस्तेमाल किए गए पानी का खर्च भी मेंटेन करता है।
इसके अलावा स्कूलों बच्चों को होमवर्क में ये भी एड करना है कि खाली समय में या फिर जरुरत पड़ने पर मां-पिता का काम में हाथ कैसे बटाएं। उनको रोजमर्रा के काम करने होंगे जैसे घर में साफ सफाई, कपड़े धोना, इस्त्री करना, सब्जी-सलाद काटना आदि काम शामिल हैं। इसका मकसद है बच्चे आगे जीवन में प्रैक्टिकल पहलुओं को लेकर सचेत रहें। इसके अलावा उनको अपने बुजुर्गों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बीताना है और इससे उनको संस्कार और अपनी संस्कृति के बारे में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान मिलेगा।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों में होमवर्क के नए पैटर्न के जरिए उनको व्यावहारिक ज्ञान देने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा ये भी प्रयास है कि बच्चे अपने संस्कारों और संस्कृति के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानें। इसके जरिए बच्चों को एक बेहतर नागरिक बनने में भी मदद मिलेगी।
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