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Haryana: हरियाणा के इस जिले में ही खुला था दुनिया का सबसे पहला मदरसा, शोभायात्रा के दौरान यहां हुआ था बड़ा हंगामा

• LAST UPDATED : November 20, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana: वैसे तो भारत में कई ऐसे मदरसे हैं जो काफी मशहूर हैं, जहाँ से भारी मात्रा में धर्म का प्रचार-प्रसार होता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मदरसे के बारे में बताएंगे जहाँ से असल में मदरसों की शुरुआत हुई। और हैरान करने वाली बात ये है कि ये मदरसा कहीं और नहीं बल्कि हरियाणा में ही मौजूद है। दरअसल, हरियाणा के नूंह की जमीन को इस्लाम के मुताबिक़ काफी पवित्र माना जाता है या यूँ कहें कि पाक माना जाता है।

अक्सर मुसलमान यहाँ आते हैं। जैसा की आप सभी जानते हैं कि, दुनिया भर में इस्लाम के प्रचार की शुरुआत लगभग 100 साल पहले हुई थी। और ये शुरुआत हरियाणा के छोटे से जिले नूंह से हुई थी। दरअसल, तब्लीगी जमात की शुरुआत हजरत मौलाना मरहूम इलियास साहब ने की थी और फिर सबसे बड़ा पहला मदरसा साल 1922 में 102 साल पहले नूंह मे ही खुला था।

  • शोभायात्रा के दौरान हुआ था हंगामा
  • मदरसे के मौलवी ने दी जानकारी

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शोभायात्रा के दौरान हुआ था हंगामा

आपकी जानकारी के लिए बता दें जब यहाँ धर्म के प्रचार की शुरुआत हुई थी तो यहां भवनका आकार ज्यादा अच्छा नहीं था, लेकिन पिछले कई साल से यहाँ लगातार भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। या यूँ कहें कि इसे और भी भव्य बनाने के प्रयास जारी हैं। ये जगह इतनी खास है कि इलाके में ईद और बकरीद का चांद देखने के लिए अकसर यहाँ लोग आते हैं और बल्कि चाँद देखने का फैसला भी यहां पर गठित हिलाल कमेटी करती है। लेकिन पिछले साल यानी 2023 में यहाँ कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण ये मदरसा काफी चर्चाओं में आ गई है। दरअसल एक शोभायात्रा के दौरान नूंह शहर में साल 2023 में हिंसा होने के बाद इस शहर को लोग आक्रोश से भरी निगाह से देखने लगे हैं। ऐसा भी कहा जाता है किवहन का माहौल अक्सर गरमाया हुआ रहता है।

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मदरसे के मौलवी ने दी जानकारी

सूत्रों के मुताबिक़ इस मदरसे और मस्जिद के कई अहम मौलवियों का कहना है कि, तब्लीगी जमात की शुरुआत 1925 में हजरत मौलाना मरहूम इलियास ने की थी और अब दुनिया भर में तबलीगी जमात फैली हुई है। लगभग एक अरब से ज्यादा लोग इस तब्लीगी जमात से जुड़े हुए हैं, जो इस्लाम धर्म के प्रचार के साथ साथ जहालत और बुराइयों को छोड़ने की अपील कर रहे हैं। शुरुआत में इस मदरसे का नाम मोइनुल इस्लाम रखा गया था और जो आज तक बरकरार है।

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