इशिका ठाकुर, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Animal Care in Winter: सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है और हरियाणा में ठंड ने भी अब दस्तक दे दी है। जहां पर मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा आने वाले समय में और भी ज्यादा ठंड के चलते अलर्ट जारी कर दिया गया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी लोगों के लिए सर्दी को लेकर अलर्ट जारी किया है। पशु विभाग के द्वारा साफ कहा गया है कि इस सर्दी के मौसम में पशुपालक अपने पशुओं का खास ध्यान रखें और उनको किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।
सर्दियों में सबसे ज्यादा प्रभाव दुधारू पशुओं पर पड़ता है, अगर वह सर्दी की चपेट में आ जाते हैं तो इससे उनके दूध उत्पादन पर असर पड़ता है। वहीं उनके साथ-साथ पशुओं के छोटे बच्चों पर भी सर्दी का खास असर दिखाई देता है और कई बार तो छोटे पशुओं के बच्चे की मौत भी हो जाती है। ऐसे में पशु चिकित्सक से जानते हैं कि सर्दियों में पशुपालक कैसे अपने पशुओं का ध्यान रखें।
डॉक्टर तरसेम राणा पशु चिकित्सा करनाल ने बताया कि सर्दियों के मौसम में निश्चित तौर पर दूध देने वाले पशु के दूध उत्पादन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव 30% से लेकर 50% तक हो सकता है जिसमें दूध उत्पादन कम हो जाता है और दुधारू पशुओं के छोटे बच्चे ठंड की चपेट में आकर बीमार हो जाते हैं और कई बार तो उनकी मौत भी हो जाती है। पशुओं में ठंड के चलते छोटे बच्चों के मौत के आंकड़े ज्यादा सामने आते हैं। इसलिए उनका ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।
विभाग के द्वारा आने वाले दिनों को लेकर सर्दी का अलर्ट जारी कर दिया गया है और आजकल भी काफी सर्दी है जिसका सीधा प्रभाव पशुओं पर पड़ता है। इसलिए पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए पशुओं के बाड़े में आगे से किसी कपड़े या बोरी के साथ कवर करके रखें, ताकि पशुओं के बाड़े में सीधी हवा न जाए। एकदम से जब पशुओं को सीधी ठंडी हवा लगती है तो वह ठंड की चपेट में आ जाते हैं।
इसलिए विशेष तौर पर इस बात का ध्यान रखें। पशुओं को ऐसे स्थान पर रखें जहां पर सीधी हवा न लगती हो और दिन के समय वहां पर धूप आती हो। सर्दियों के समय में पशुओं के बांधने के स्थान पर गीला न रहने दें क्योंकि अक्सर धूप कम होने के चलते नीचे से पशुओं का स्थान सूखता नहीं है तो ऐसे में सुखा चारा पशुओं के नीचे डालें ताकि पशुओ को ठंड न लगे।
बड़े पशुओं में ठंड के लक्षण कुछ इस प्रकार से होते हैं जो दूध देने वाले पशु होते हैं उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है। उनका चारा खाने की क्षमता कम होती है और वह कम चारा खाते हैं। पशुओं के ऊपर की चमड़ी अलग प्रकार से दिखाई देने लग जाती है और उसके बाल एकदम से खड़े हुए दिखाई देते हैं। जो सर्दी लगने के लक्षण होते हैं। कई बार पशुओं की आंख से पानी बहता है तो वे भी सर्दी के लक्षण होते हैं। अधिक सर्दी लगने के चलते पशु को बुखार तक हो जाता है, इसलिए अगर इस प्रकार के लक्षण किसी पशुपालक भाई को अपने पशु में दिखाई देते हैं तो वह डॉक्टर की सलाह लेकर उसका इलाज करवाएं।
सर्दियों के समय में पशुओं के चारे, फीड और पीने के पानी का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। मौजूदा समय में किसानों के पास भरपूर मात्रा में हरा चारा होता है। हरे चारे में पानी की मात्रा ज्यादा होती है और सर्दी के समय ज्यादा हरा चारा देना पशु के लिए हानिकारक हो सकता है, उसको ठंड लग सकती है। इसलिए जब पशु को चारा डालते हैं तो उसमें 25% हरा चारा और 75% सूखा चारा मिलाकर ही पशु को दें।
पशु को पीने के लिए ताजा और साफ पानी दें। दिन कई बार किसान जहां पर पशु पानी पीते हैं उसका एक अलग स्थान बना देते हैं और पशुओं को रात का ठंडा पानी सुबह पिला देते हैं जिससे वे बीमार हो जाते हैं। सर्दियों के मौसम में पशुओं को ताजा पानी ही पिलाए जो ज्यादा ठंडा न हो। पशुओं को मिक्सर फीड दे सकते हैं और सर्दियों के समय प्रत्येक पशु को उसकी क्षमता के अनुसार मिक्सर फीड दें, जो दुधारू पशु होते हैं, उसको दूध के अनुसार फीड दें और अन्य पशुओं को प्रतिदिन 1 किलोग्राम फीड अवश्य दें और प्रत्येक पशु को 200 से ढाई सौ ग्राम गुड़ प्रतिदिन आवश्यक दें।
पशु चिकित्सक ने बताया कि अगर पशुओं को ठंड लग जाती है तो उसमें पशुओं के दूध उत्पादन पर काफी असर पड़ता है। मौजूदा समय में हरियाणा में किसान और पशुपालक दूध से ही आमदनी ले रहे हैं। अगर ऐसे में दुधारू पशु बीमार हो जाएं तो उनको काफी नुकसान होता है। वहीं अगर ज्यादा सर्दी होती है तो उसमें थोड़ा-थोड़ा दूध उत्पादन में असर पशु का पड़ता है लेकिन अगर कोई सर्दी की चपेट में आ जाता है तो उसे पर 30% से 50% दूध उत्पादन कम हो जाता है इसलिए उनका विशेष ध्यान रखें।
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वहीं पशु चिकित्सक ने बताया कि सर्दियों का सबसे ज्यादा असर पशुओं के छोटे बच्चे पर होता है, क्योंकि उसकी बीमारी या सर्दी से लड़ने की क्षमता कम होती है। ऐसे में सबसे पहले छोटे बच्चे ही सर्दी की चपेट में आते हैं। छोटे बच्चों को सर्दी से बचने के लिए किसी कपड़े या बोरी को उसके ऊपर ढककर रखें। उसको सुबह शाम दोनों समय उसकी मां का ताजा दूध पिलाएं। छोटा बच्चा चारा नहीं खाता, इसलिए उसका ज्यादा ध्यान रखें, उसको उसकी मां के पास रखें, ताकि हवा या ठंड का उस पर असर न हो।
इसके अलावा डेयरी संचालक गजें सिंह ने बताया कि काफी बचाव करने के बाद भी पशुओं को ठंड लग जाती है। हाल ही में पिछले सप्ताह उनके गाय के दो छोटे बच्चे ठंड लगने से मर गए जिसे उनकी मां भी दूध देने में परेशान करती है और दूध का उत्पादन भी कम हो गया है।
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