India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Assembly 2024 : लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में एक तरफा माहौल का दावा करने वाली कांग्रेस अब भाजपा से कड़े मुकाबले में फंसती नजर आ रही है। भाजपा ने जिस तरह विधानसभा चुनाव को एकाएक अपने पक्ष में किया है उससे कांग्रेस को चुनाव से ऐन वक्त पर राहुल गांधी को हरियाणा में उतारने को मजबूर होना पड़ा।
चुनाव से केवल 5 दिन पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जिस तरह हरियाणा की कमान अपने हाथों में संभाली है उससे स्पष्ट संकेत मिलने लगे हैं कि प्रदेश कांग्रेस के हाथ से विधानसभा चुनाव निकलता हुआ नजर आ रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हरियाणा में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसी स्थिति बनती दिखाई दे रही है। इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव से एक हफ्ते पहले भाजपा ने माहौल को अपने पक्ष में करते हुए प्रचंड बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस को एक बार फिर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की आहट सुनाई देने लगी है।
विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ने का दावा करने वाली कांग्रेस के लिए चंडीगढ़ का रास्ता दूर होता जा रहा है। विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेसी नेताओं ने हरियाणा में एंटी इनकंबेंसी का जो नेरेटिव तैयार किया था उसे वोटर खारिज करता हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस में चल रही बगावत और कुमारी शैलजा के वनवास ने प्रदेश के वोटर्स को उलझा कर रख दिया है। 10 साल के लंबे अंतराल के बाद सत्ता में आने को बेताब कांग्रेस अचानक कैसे बैकफुट पर आ गई, इसके कई कारण है।
चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में जिन गारंटियों का संकल्प लिया था वे गारंटियों आज तक पूरी नहीं हुई। हरियाणा में जैसे ही कांग्रेस ने फिर इन गारंटियों की घोषणा की तो कांग्रेस जवाब नहीं दे पाई कि जिन राज्यों में इन गारंटियों की घोषणा की गई थी वहां पर ये लागू क्यों नहीं हो पाईं।
खुद भूपेंद्र हुड्डा इस बात का जवाब नहीं दे पाए। कांग्रेस ने महिलाओं के खाते में 8500 रुपए देने की गारंटी दी थी जो उसके गले की फांस बन गई। अब हरियाणा की महिलाओं के खाते में 2000 रुपए देने की बात कही जा रही है। इसके अलावा 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की गारंटी भी अभी तक उन राज्यों में लागू नहीं हो पाईं जहां कांग्रेस की सरकारें चल रही हैं।
ऐसा पहली बार हुआ कि एक नेशनल पार्टी को विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र को दो बार जारी करना पड़ा। कांग्रेस ने अपना पहला घोषणा पत्र दिल्ली में जारी किया जबकि दूसरा घोषणा पत्र चंडीगढ़ में जारी करना पड़ा। दो बार घोषणा पत्र जारी करने से वोटर्स में यह संदेश चला गया कि कांग्रेस तय नहीं कर पा रही है कि सरकार बनाने के बाद उनका रोड मैप क्या होगा। अपने वायदों को घोषणा पत्र के माध्यम से बार-बार रिपीट करना कांग्रेस पर भारी पड़ा। कांग्रेस के दूसरे घोषणा पत्र से अग्निवीर योजना का गायब रहना यह संदेश छोड़ गया कि कांग्रेस अग्निवीरों को लेकर केवल राजनीति कर रही है जबकि भाजपा पहले ही अग्निपथ सरकारी नौकरी देने की घोषणा कर चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ताबड़तोड़ रैलियां ने कांग्रेस की हवा को सबसे अधिक कमजोर किया। एंटी इनकंबेंसी के नरेटिव से उत्साहित कांग्रेस इस स्थिति का आकलन करने से चूक गई कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की रैलियां हरियाणा की 70 से अधिक सीटों पर अपना दबदबा कायम करने में कामयाब हो गईं। कांग्रेस को स्थिति का आभास बहुत देर से हुआ जिसके कारण राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अंतिम वक्त में हरियाणा कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेनी पड़ी। अंबाला, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर में राहुल गांधी की विजय संकल्प यात्रा इस बात का स्पष्ट संकेत है कि ये तीन जिले कांग्रेस के हाथ से निकल चुके हैं।
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में महिलाओं के लिए लागू की गई योजनाओं ने भाजपा को प्रचंड जनादेश दिया था। हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा चुनाव से पहले 500 रुपए का सिलेंडर देने की घोषणा कर महिलाओं का दिल जीत लिया था। इसके अतिरिक्त ओबीसी और दलित महिलाओं के कल्याण के लिए भाजपा सरकार ने योजनाओं की झड़ी लगा दी। भाजपा के संकल्प पत्र में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तर्ज पर लाडो लक्ष्मी योजना बनाई गई है जिसके अनुसार हरियाणा की सभी महिलाओं के खाते में 2100 रुपए डालने की घोषणा की गई है।
भाजपा ने बिना खर्ची पर्ची के नौकरी देने के मुद्दे पर कांग्रेस को जमकर घेरा। कुछ कांग्रेस प्रत्याशियों ने जिस तरह वोट के बदले नौकरियां बांटने की बात की उससे मतदाताओं में यह संदेश चला गया कि यदि कांग्रेस दोबारा सत्ता में आ गई तो हरियाणा में सरेआम नौकरियां खरीदी और बेची जाएंगी और मेरिट सिस्टम खत्म हो जाएगा। भाजपा सरकार ने जिस तरह मेरिट के आधार पर 2 लाख नौकरियां देने की बात की उसे मतदाताओं का विश्वास बहाल हुआ। भाजपा ने अपने शासनकाल में सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता की नीति अपनाकर हरियाणा के युवाओं का विश्वास हासिल करने में सफलता प्राप्त की है। पार्टी अपनी इस सफलता को लेकर जनता के बीच गई,जबकि कांग्रेस इस मुद्दे पर बुरी तरह पिछड़ गई।
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