अबकी बार 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजों में कुल 90 विधायकों में सभी राजनीतिक पार्टियों से महज 13 महिला नेता ही विधायक बन पाईं और इस लिहाज से 90 में 77 पुरुष विधायकों की तुलना में ये आंकड़ा बेहद कम है। हालांकि समय-समय पर महिलाओं को राजनीति में बराबरी का दर्जा देने की चर्चा लगातार उठती रही है, लेकिन हालात ज्यादा नहीं बदले।
इसके अलावा यह भी बता दें कि विधायक बनने वाली महिलाओं को मंत्रिमंडल में पुरुष विधायकों की तुलना में जगह बेहद कम या कहें कि नगण्य और महिला चेहरे की खानापूर्ति के लिए ही दी जाती है। इसके अलावा जो भी महिला मंत्री बनती है उनको या तो महिला और बाल विकास मंत्रालय देकर या फिर एक आध कोई अन्य डिपार्टमेंट देकर काम चला लिया जाता है। ऐसी संभावना बेहद कम ही होती है जब किसी महिला विधायक को सरकार में हैवीवेट पोर्टफोलियो दिया जाए।
निर्वाचन आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 5 अक्टूबर को हुए चुनाव में कुल 1031 उम्मीदवार चुनावी रण में उतरे थे, जिनमें से महज 101 महिलाएं चुनाव लड़ रही थी। चुनाव में 464 निर्दलीय और 101 महिलाओं समेत कुल 1,031 उम्मीदवार इस बार मैदान में थे। चुनाव में भाजपा ने 10 महिलाओं को टिकट दिया था जिनमें 5 महिलाएं विधानसभा पहुंची, दूसरी तरफ वहीं कांग्रेस ने 12 महिलाओं को टिकट दिया था, जिसमें 7 महिलाएं महिला विधायक चुनी गई तो वहीं एक निर्दलीय महिला विधायक भी चुनी गई। इसी कड़ी में ये भी बता दें कि राज्य में संपन्न हुए 2024 के विधानसभा चुनाव में इस बार 13 महिला विधायक चुनी गई हैं। इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनाव में भी 13 महिला विधायक चुनी गई थी, जबकि 2019 में महिला विधायकों की संख्या घटकर 8 रह गई थी।
एक स्टडी के मुताबिक, हरियाणा में समाज में घर और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की बराबरी का दर्जा और प्रतिनिधित्व न मिलना हमेशा चिंता का विषय रहा है। प्रदेश का इतिहास महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित तो है ही, साथ में उनके प्रति बढ़ता अपराध भी हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। इसके अलावा लैंगिक समानता भी एक बड़ा मुद्दा रहा है।
एक स्टडी के मुताबिक पिछले कुछ साल में विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और 2000 से 2019 तक पुरुषों को हराने का आंकड़ा बदली हुई तस्वीर पेश करता है, लेकिन ये नाकाफी है। इसी कड़ी में ये भी बता दें हरियाणा में जितनी भी महिलाएं विधायक या सांसद बनी हैं, उनमें से ज्यादातर संपन्न राजनीतिक परिवारों से रही हैं।अगर अबकी बार चुनकर विधानसभा पहुंचने वाली महिला विधायकों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि इस बार भी करीब आधा दर्जन से ज्यादा महिला विधायक राजनीतिक परिवारों से हैं। इसके अलावा जितनी भी महिला विधायक बार-बार बनी हैं, उनमें भी ज्यादातर राजनीतिक घरानों से संबंध रखती हैं। सामान्य परिवारों से आने वाली महिलाओं को मुख्य पार्टियों से टिकट मिलना और फिर उनका इलेक्शन जीतना इतना आसान नहीं है।
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