India News Haryana (इंडिया न्यूज), Farmer Protest: सत्ता में आने के लिए पार्टियां हर तरह की कोशिश करती हैं। और कुछ कोशिशें ऐसी होती हैं जो आम जनता का अच्छा-खासा नुक्सान कर देती हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि पार्टियों के खेल की वजह से आम जनता के बीच में से ही किसी की जान भी चली जाती है। पिछले कुछ वर्षो से देश ने कई ऐसे आंदोलन देखे हैं जो केवल सत्ता में आने के लिए किए जाते हैं। पहला उदहारण जन लोकपाल के लिए आंदोलन है । इस आंदोलन के चलते अरविंद केजरीवाल ने सत्ता पर अपनी कुर्सी जमा ली। वहीं देशभर में चर्चाओं में रहा पहलवानों का आंदोलन, किसान आंदोलन आदि ।
ये दो वो आंदोलन है जो इस साल चर्चाओं में रहा। दरअसल, किसानों के कल्याण और उनके बेहतर भविष्य के लिए मोदी सरकार जो तीन कानून लेकर आई उसके बारे में भ्रम फैला कर देशभर में किसानों का आंदोलन खड़ा कर दिया गया जिसके चलते सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। अब चर्चा इस बात की है कि ये आंदोलन क्या सच में एक राजनीति थी?
इस सवाल का जवाब देते हुए आंदोलनकारीयों के बीच से खुद एक किसान आया और देखते ही देखते उसने सारा सच उगल दिया।दरअसल, भारतीय किसान यूनियन के चढ़ूनी गुट के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि किसानों ने हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया था। सूत्रों के मुताबिक गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि किसानों ने हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया था, लेकिन पार्टी ने सब कुछ वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर छोड़ दिया था। साथ ही चढ़ूनी ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण यही बताया है। अब किसान नेता के इस बयान पर राजनीति तेज हो गई है इनके इस बयान से साफ जाहिर होता है कि यह आंदोलन केवल सत्ता हासिल करने का एक माध्यम था।
साफ़ जाहिर है कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हितों के लिए किसानों का इस्तेमाल किया साथ ही उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई। स किसान आंदोलन के बीच कई किसानों की जाने भी गई। लोकसभा चुनाव से लेकर हरियाणा विधानसभा चुनाव तक किसानों का इस्तेमाल होता आया है। आपको बता दें, तीनों कृषि कानून काफी पहले ही यानि साल 2022 के अंत में ही वापस लिए जा चुके थे लेकिन उसके बावजूद 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान पंजाब में भाजपा के सभी उम्मीदवारों के घर के बाहर बड़ी संख्या में किसानों को धरने पर बैठा दिया गया था।