India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Congress : हरियाणा में भी हार की जिम्मेदारी किसी पर तय होगी लगता नहीं है। इसके साथ कांग्रेस आलाकमान नई नियुक्तियों को लेकर जल्दबाजी में भी नहीं है, ऐसे में जो भी बदलाव होगा वह नए साल में ही होगा।
उसकी कई वजह हैं। सबसे बड़ी वजह तो यही है हार के कारणों की जांच के लिए आलाकमान की तरफ से बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट देने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। दिसंबर से पहले रिपोर्ट सौंपे जाने के कोई आसार नहीं है। हालांकि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में बनी दो सदस्य समिति चुनाव लड़ने वाले हर प्रत्याशी से एक-एक कर चर्चा कर चुके हैं।
महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव के बाद यह समिति फिर से प्रदेश के नेताओं से एक-एक कर चर्चा करेगी। उसके बाद जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को सौंपेगी। ऐसे संकेत हैं कि दिसंबर के आखिर तक रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उससे पहले हरियाणा में कोई बदलाव होगा लगता नहीं है। इस बीच महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणाम भी हरियाणा की तरह आए तो फिर जैसा कांग्रेस में होता आया है कि समिति की रिपोर्ट का पता ही नहीं चलेगा।
हालांकि कांग्रेस का दावा है कि महाराष्ट्र और झारखंड में उनका गठबंधन चुनाव जीतेगा। हरियाणा की जांच की कमेटी में बघेल के साथ दूसरे सदस्य राजस्थान के नेता हरीश चौधरी है। समिति ने जिम्मेदारी मिलने के बाद दिल्ली में हरियाणा के नेताओं से एक-एक कर मुलाकात की थी। फिर महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव घोषित होने के बाद दोनों राज्यों में अलग अलग जगह की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
राहुल गांधी के पार्टी की जिम्मेदारी संभालने के बाद कांग्रेस ने दो बार ही हार के कारणों का पता लगाने के लिए जांच कमेटियां गठित की। 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार होने के बाद पार्टी ने ए के एंटनी की अध्यक्षता में कमेटी का गठित किया था और अब दस साल बाद हरियाणा के लिए कमेटी बनी है। 2014 में एंटनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में पार्टी को कड़ी हिदायत दी थी उसे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से बचना चाहिए।
पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से ही हुआ। यही नहीं जात पात की राजनीति से भी बचने को कहा था, लेकिन कांग्रेस ने उस पर कोई अमल नहीं किया। इसके बाद पार्टी राज्यों में लगातार हारी। 2019 के लोकसभा में भी करारी हार हुई।राज्यों में हालत यह हुई कि 2021 में केरल जैसे राज्य में भी वापसी नहीं कर पाई।कांग्रेस आज तीन राज्यों में ही सत्ता में है।
हार पे हार होने के बाद आज तक पार्टी ने कभी किसी पे कोई जिम्मेदारी तय नहीं की।2019 की हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद भले ही छोड़ दिया लेकिन पार्टी के सारे फैसले आज तक वही करते हैं। पार्टी राहुल के फेस पर ही चुनाव लड़ती है। कहने के लिए मल्लिकार्जुन राष्ट्रीय अध्यक्ष जरूर हैं, लेकिन राहुल ही सर्वे सर्वा हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने का श्रेय राहुल को दे पार्टी ने ऐसा जश्न मनाया कि हरियाणा जैसा राज्य हार गए।2014 की हार के बाद 2024 में हरियाणा की हार के बाद कांग्रेस में हार पर पहली बार मंथन हुआ।इससे पूर्व पार्टी कई बड़े बड़े राज्य हारी लेकिन न तो जांच कमेटी बनी और ना ही जिम्मेदारी तय की गई।हरियाणा के लिए कमेटी जरूर बनाई गई।
सूत्रों की मानें तो कमेटी ने अभी तक जो भी फीड बैक नेताओं से लिया है वह लगभग वैसा ही है जैसा कि कांग्रेस शासित सभी राज्यों में चल रहा है।एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ा गया है।ईवीएम खराब होने जैसी कोई बात किसी ने नहीं की।कमेटी जब तक रिपोर्ट तैयार करेगी तब तक महाराष्ट्र और झारखंड के रिजल्ट आ चुके होंगे। कांग्रेस के लिए दोनों राज्यों से बहुत अच्छी खबरें नहीं हैं। इन हालात में हरियाणा में इस साल में कुछ होगा लगता नहीं है।
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