India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Congress : हरियाणा में 14वीं विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल के नतीजों के बाद कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर दावेदार नेता तैयारियों में जुट गए हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला अपने-अपने समर्थकों के साथ मीटिंग कर उनको एकजुट रखते हुए रणनीति बना रहे हैं।
वहीं कांग्रेस हाईकमान ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के चयन से लेकर उन्हें चंडीगढ़ भेजने की रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है। बेशक सीएम पद के लिए हुड्डा-सैलजा और सुरजेवाला अपने स्तर पर दावेदारी पेश कर रहे हैं लेकिन अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान को ही करना है कि पद पर किसकी ताजपोशी हो।
मुख्यमंत्री बनाए जाने के सवाल पर पद के तीनों दावेदार हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला यही जवाब दे रहे हैं कि पार्टी में एक निर्धारित प्रक्रिया होती है, जिसके अनुसार पार्टी विधायकों की राय लेकर आलाकमान निर्णय लेगा। चूंकि पार्टी हाईकमान ही हर तरह का फैसला लेने के लिए ऑथराइज्ड है तो यह उसके विवेक पर निर्भर करेगा कि किस नेता की ताजपोशी मुख्यमंत्री के पद पर हो, क्योंकि आने वाले समय में कुछ राज्यों में चुनाव भी हैं तो यहां पर सीएम पद पर जो भी नेता बैठाया जाएगा, उसका असर अन्य राज्यों पर भी पढ़ना तय है।
वहीं बता दें कि हुड्डा मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी यह कहते हुए पेश कर रहे हैं कि एग्जिट पोल के परिणाम तो शनिवार को आए हैं और सीएम पर फैसले में विधायकों की अहम भूमिका होगी। उन्होंने तो पहले ही बता दिया था कि हरियाणा में निश्चित तौर पर कांग्रेस की सरकार बनेगी। कांग्रेस की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री का फैसला विधायक और पार्टी आलाकमान करेगा।
पार्टी के 5 में से चार सांसद यानी कुमारी सैलजा को छोड़कर सतपाल महाराज, जयप्रकाश, वरुण चौधरी और हुड्डा के बेटे दीपेंद्र उनकी दावेदारी को मजबूती दे रहे हैं। हिसार के सांसद जयप्रकाश ने तो खुलकर हुड्डा के समर्थन में आते हुए कहा कि विधायकों की अनुशंसा पर हुड्डा का सीएम बनना तय है।
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जिस तरह से चुनाव अभियान का संचालन किया है और अधिकतर टिकट भी उनके कहने से ही बांटे गए हैं, उसे देखते हुए सीएम पद की रेस में हुड्डा फैमिली ही नजर आती है।
अगर भारत के चुनाव इतिहास का अवलोकन करेंगे तो पाएंगे कि कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही पार्टियों में हाईकमान ऐसे मौकों पर आश्चर्यजनक निर्णय लेता रहा है, जैसा कि 2005 के चुनावों में कांग्रेस ने 67 सीटें जीती थीं और भजन लाल को मुख्यमंत्री बनने वाले थे लेकिन, अंतिम क्षण में भूपेंद्र हुड्डा का नाम मुख्यमंत्री के रूप में घोषित किया गया लेकिन एक बात और है कि पार्टी यह जानती है कि हुड्डा भजन लाल नहीं हैं।
पार्टी यह जानती है कि कि हरियाणा में बीजेपी से टक्कर लेने के लिए आधार हुड्डा ने ही तैयार किया है और हुड्डा ने इन चुनावों में मैन पावर, मसल्स पावर और मनी पावर तीनों के जरिए पार्टी को मजबूत बेस दिया था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर हुड्डा को नजरअंदाज करने की कोशिश हुई तो सरकार बन पर पर कभी भी संकट में आ जाएगी।
हुड्डा के बाद मुख्यमंत्री पद की दूसरी सबसे बड़ी दावेदार कुमारी सैलजा अपनी दावेदारी यह कहते हुए पेश कर रही है कि आलाकमान को फैसला लेना चाहिए। इस बार विधायकों की गिनती आदि किसी भी पार्टी के लिए सही बात नहीं है। मुझे लगता है कि यह आलाकमान है जिसे फैसला लेना चाहिए। इसी कड़ी में बता दें कि सैलजा चुनावों में हुड्डा को टिकट वितरण में अत्यधिक महत्व दिए जाने के चलते करीब 2 हफ्ते चुनाव प्रचार से दूर भी रहीं और इस पहलू को सैलजा के लिए नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों पहलू के रूप में देखा जा रहा है।
पार्टी के कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि चुनाव से ठीक पहले करीब 10 से 12 दिन चुनाव प्रचार से दूर रहना किसी भी पार्टी के लिए ठीक नहीं है। हालांकि उनकी गांधी परिवार से निकटता और दलित चेहरा होना उनकी दावेदारी को मजबूत करता है लेकिन पार्टी के चुने हुए विधायकों का समर्थन किसको जाता है, इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा और यह पहलू हुड्डा के पक्ष में ज्यादा दिख रहा है। तमाम पहलुओं पर मंथन करने के बाद यह सामने आता है कि उनका मुख्यमंत्री बना पूरी तरह से पार्टी हाईकमान के फैसले पर निर्भर होगा जो फिलहाल उनके पक्ष में कम ही नजर आ रहा है।
वहीं राज्यसभा सांसद और एआईसीसी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखना गलत नहीं है और वो राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए लिया गया निर्णय स्वीकार करेंगे। सुरजेवाला को राजनीतिक जानकारों द्वारा और वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर पद की दौड़ में डार्क हॉर्स माना जा रहा है।
बेशक रणदीप सुरजेवाला सीएम पद की दौड़ में तीसरे स्थान पर हैं लेकिन वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाए जाने के पक्ष में कतई नहीं होंगे, क्योंकि यह भी संभावना है कि हुड्डा सीएम चेहरे के लिए अपने बेटे दीपेंद्र को आगे कर दें और इस परिस्थिति में अगले कई सालों तक रणदीप सुरजेवाला का मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हो पाएगा।
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