प्रदेश की बड़ी खबरें

Farmers Protest 2 : हरियाणा की सियासत में आया उफान

  • किसान आंदोलन को लेकर सत्ताधारी व विपक्षी दल हरियाणा में आमने सामने 

डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज़), Farmers Protest 2, चंडीगढ़ : लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले किसान आंदोलन शुरू होने से देश और हरियाणा की सियासत में एक बार फिर से उबाल नजर आ रहा है। किसान अपने मांगों को लेकर पंजाब से दिल्ली कूच को तैयार हैं और अब पंजाब के किसानों को हरियाणा के किसानों का साथ मिल रहा है। बुधवार को अंबाला में शंभू बॉर्डर और जींद में किसानों व पुलिस के बीच खूनी संघर्ष के बाद हालात तेजी से बदल रहे हैं, जिसके चलते सरकार की परेशानी भी बढ़ गई है।

वहीं केंद्र द्वारा दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जो जाट समुदाय से आते थे, को भारत रत्न देने की घोषणा कर सरकार ने हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों, जाटों और जट्ट सिखों को लुभाने की पूरी कोशिश है। विपक्षी दलों कांग्रेस व आप समेत तमाम का सत्ताधारी दलों को यही कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले पॉलिटिकल माइलेज के लिए चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। चूंकि पंजाब के किसानों को हरियाणा से होकर गुजरना है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तीन तरह से हरियाणा से घिरी है इस कारण यहां की राजनीति में भी हलचल मच गई है।

हरियाणा सरकार किसानों को रोकने की हरसंभव कोशिश कर रही

वर्ष 2020 में विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में कई राज्यों के किसानों ने एक साल से भी ज्यादा समय के लिए धरना दिया था। दिल्ली से सटे हरियाणा व यूपी के बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा इतने व्यापक स्तर पर था कि हरियाणा व केंद्र सरकार दोनों को किसानों काे सिंधु व टिकरी बॉर्डर से हटाना असंभव हो गया था। ऐसे में पुराने घटनाक्रम से सबक लेते हुए हरियाणा एहतियातन अतिरिक्त कदम उठा रही है और इसके लिए सरकार ने पंजाब से सटे तमाम जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल व सीआरपीएफ तैनात कर रखी है, ताकि पंजाब के किसान किसी भी हालत में हरियाणा में प्रवेश कर दिल्ली कूच न कर सकें।

विपक्षी दल आंदोलन के जरिए सियासी बूस्ट के फेर में

इस पूरे मामले को हरियाणा में विपक्षी दल बड़े सियासी मौके के रूप में देखते हुए इससे माइलेज लेने की कोई कोशिश नहीं छोड़ रहे। लोकसभा चुनाव में करीब 2 महीने के बचे समय के साथ हरियाणा में कांग्रेस सत्ता में आने की हरसंभव कोशिश कर रही है वहीं अन्य विपक्षी दलों में इनेलो और आप भी किसान आंदोलन को बड़े सियासी अवसर के रूप में ताक रहे हैं।

देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस ने घोषणा करते हुए कहा कि अगर सत्ता में आए तो सबसे पहले एमएसपी को कानूनी गारंटी देने का कानून लाएंगे। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को किसान आंदोलन में सियासी लाभ का मौका दिख रहा है तो मोदी सरकार बातचीत के जरिए किसानों को मनाने और बात न बनने पर उन्हें दिल्ली पहुंचने से रोकने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। वहीं आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलने की टाइमिंग को लेकर सत्ताधारी भाजपा, विपक्षी दल कांग्रेस व आप समेत अन्य दल भी काफी वाकिफ हैं। ऐसे में सत्ताधारी दल विपक्षी दलोें पर किसानों को उकसाने के आरोप लगा रहे हैं। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य से साफ है कि प्रदेश की राजनीतिक आबोहवा पूरी तरह से राजनीतिक हो गई है।

किसानों को मनाने व रोकने में हरियाणा सरकार के सामने बड़ा चैलेंज

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह और महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को ‘भारत रत्न’ से नवाजने को किसान समुदाय और पश्चिमी यूपी, हरियाणा व पंजाब के रुष्ट किसान वर्ग, जाट व सिख समुदाय को साधने की कोशिश के रूप में ही देखा गया। फिलहाल जिस तरह के हालात पैदा हो गए हैं, उससे हरियाणा की सत्ताधारी भाजपा के सामने बड़ी चुनौतियां हैं।

अगर किसान दिल्ली पहुंच गए या फिर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई तो पार्टी के लोकसभा मिशन के सामने दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल तमाम वर्तमान हालात पर करीब नजर बनाए हैं और हर छोटे-बड़े इनपुट की जानकारी केंद्र को भेजी जा रही है। चंडीगढ़ में तीन-तीन केंद्रीय मंत्री किसान संगठनों से बातचीत करते रहे। कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, खाद्य-आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय किसान नेताओं के साथ सोमवार देर रात तक बात करते रहे। 6 घंटे तक चली बातचीत में पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए केस वापस लिए जाने समेत कुछ मांगों पर सहमति भी बन गई। लगा कि किसान मान जाएंगे, लेकिन आखिरकार वे नहीं माने।

एमएसपी पर कानून मुख्य मांग…

आंदोलनकारी किसानों की मांग है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी देते हुए इसको लेकर कानून बनाया जाए। साथ ही स्वामीनाथन कमेटी की तमाम सिसारिशों को लागू किया जाए, ताकि किसानों को उनका हक मिल सके। इसके अलावा किसान लगातार मांग कर रहे हैं कि सरकारी कमर्चारियों, विधायकों व सांसदों की तर्ज पर किसानों और मजदूरों को पेंशन दी जाए। साथ ये भी सुनिश्चित किया जाए कि विश्व व्यापार संगठन से भारत निकल जाए और 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को फिर से लागू किया जाए।

बता दें कि पिछली बार आंदोलन 3 कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर था। संसद से पास होने के बावजूद सरकार ने कृषि कानूनों को लागू करने को टाल दिया था। किसानों के पास सरकार पर दवाब बनाने का ये एक अच्छा मौका हो सकता है। किसान इस आंदोलन के जरिए करो या मरो की स्थिति में नजर आ रहे हैं। अब इस आंदोलन को कांग्रेस पार्टी का भी समर्थन मिल गया है।

यह भी पढ़ें : Farmer Protest Live Updates : समाधान या घमासान, आज केंद्र की किसानों के साथ तीसरी वार्ता

यह भी पढ़ें : Farmers Protest Part 2 : महिलाएं भी पहुंचीं शंभू बॉर्डर पर, दिल्ली पहुंचकर ही रहेंगे

यह भी पढ़ें : Farmers Protest : हरियाणा के किसान संगठन और खापें आईं समर्थन में

Amit Sood

Share
Published by
Amit Sood

Recent Posts

Former Deputy Speaker Santosh Yadav के पिता का हुआ निधन, पैतृक गांव कुक्सी में किया अंतिम संस्कार

स्वर्गीय मास्टर भगवान सिंह ने अपने अध्यापक काल में बच्चों को उच्च संस्कार पैदा कर…

48 mins ago

Guru Nanak Jayanti : गुरु नानक देव के प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारों में उमड़ी श्रद्धा, सजाए गए दीवान

सोचै सोचि न होवई, जो सोची लखवार, चुपै चुपि न होवई, जे लाई रहा लिवतार…

58 mins ago

Sirsa Girls Missing : संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हुई दो लड़कियां, मचा हड़कंप

पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर शुरू की तलाश India News Haryana (इंडिया न्यूज), Sirsa Girls…

1 hour ago

Kal Ho Naa Ho Rerelease : “यह फिल्म मेरे दिल के करीब है”: ‘कल हो ना हो’ की दोबारा रिलीज पर करण जौहर बोले

सिनेमाघरों में फिर से फिल्म ने दी दस्तक, 21 साल पहले BO पर मचाया था…

2 hours ago