India News Haryana (इंडिया न्यूज), Diwali Festival 2024 : दीपावली पर्व को लेकर जहां बाजारों में रौनक दिखाई दे रही है वहीं त्योहार को लेकर हर ओर जमकर तैयारियां की जा रही है। दीपावली पर्व को लेकर लोगों में उत्साह भी देखने को मिल रहा है।
दीपावली पर्व पर मनाए जाने वाले पांच दिवसीय महोत्सव दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का उल्लेख ऋग्वेद के श्री सूक्त में मिलता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण अमावस्या पर रात्रि में महालक्ष्मी विचरण करती हैं तथा स्वच्छ एवं दीपमालाओं से प्रज्वलित गृह में निवास करती है। दीपावली पर्व पर पंच दिवसीय महोत्सव मनाया जाता है परंतु अबकी बार यह महोत्सव 6 दिन तक मनाया जाएगा।
दीपावली पर्व दो दिन का होने के कारण यह 31 अक्टूबर व 1 नवंबर को भी मनाया जाएगा। वहीं धनतेरस पर्व 29 अक्टूबर को है तथा इसी के साथ ही दीपावली महोत्सव का आगाज हो रहा है। प्रथम दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है इसलिए भगवान धन्वंतरि एवं धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। इस दिन किसी भी व्यक्ति को धन उधार नहीं देना चाहिए। इस दिन धातु के बर्तन, वाहन, वस्त्र व अन्य सामान की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। सायंकाल मुख्य द्वार के दोनों ओर यम के निमित्त दीपदान करना चाहिए। इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं होता। ज्योतिषियों के अनुसार यह दीप प्रदोष काल में प्रज्वलित करना है।
दीपावली महोत्सव का दूसरा दिन छोटी दीपावली के रूप में नरक चतुर्दशी एवं रूप चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने का विधान है। ऐसा करने से नरक में जाने का भय नहीं रहता। स्नान से पहले तिल के तेल से शरीर पर मालिश करनी चाहिए। इस दिन तेल में लक्ष्मी जल में गंगा का निवास माना जाता है। नरक दोष की मुक्ति के लिए चौमुखा दीपक जलाकर मुख्य द्वार पर रखा जाता है। इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। इस बार छोटी दीपावली शुक्रवार को है।
महोत्सव के तृतीय दिवस को दीपावली के रूप में मनाया जाता है। कमला जयंती होने के कारण इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना की जाती है। दीपावली की रात्रि को महानिशा की संज्ञा दी जाती है। रात्रि काल में जागरण व पूजा कर लोग मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। व्यापारी अपने व्यापार स्थल की पूजा के साथ ही तुला, बही खाते, लेखनी, दवात और कुबेर की पूजा करते हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजन के साथ भगवान गणेश, महाकाली एवं मां सरस्वती का पूजन भी करते हैं। ये सभी पूजन प्रदोष काल एवं स्थिर लग्न में श्रेष्ठ माने जाते है। इस दौरान घी अथवा तेल के दीप जलाना अति श्रेयस्कर रहेगा।
महोत्सव का चौथा दिन गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को अन्नकूट के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी। इस दिन गोबर घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत की रचना कर पूजन किया जाता है और नवेद का भोग लगाया जाता है। इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है।
महोत्सव का अंतिम यानि पांचवा दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया भाई यम दूज के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन करते हैं तथा श्रद्धानुसार भेंट प्रदान करते हैं। यम की बहन यमी के द्वारा इस दिन यम को बुलाकर भोजन करवाया गया था। यमी ने अपने भाई का अनेक प्रकार से सत्कार किया तथा टीका किया। यमी ने अपने भाई से वर मांगा कि जो बहन इस दिन अपने भाई को भोजन करवाए तथा टीका करे उसके भाई की रक्षा हो।
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