India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Human Rights Commission : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की तर्ज पर साल 2012 में अस्तित्व में आए हरियाणा राज्य मानवाधिकार आयोग में लंबे समय से लंबित चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति होने के बाद शिकायतों के निपटान के काम के स्पीड पकड़ने की उम्मीद है। नियुक्तियां नहीं होने से 1 साल से ज्यादा समय तक आयोग का काम प्रभावित हुआ। इसी कड़ी में आया है कि करीब डेढ़ साल तक आयोग का काम न होने के चलते हजारों शिकायतों पेंडिंग हैं] जिनका निपटान होना है।
मानवाधिकार आयोग से ही प्राप्त जानकारी के अनुसार हर महीने औसतन मानवाधिकार आयोग के पास सुनवाई के लिए 400 से 500 नए मामले आते हैं। आयोग में आखिरी बार सुनवाई जुलाई, 2023 में हुई थी और बीच में नवंबर 2023 तक चेयरमैैन और सदस्योंं की नियुक्ति नहीं होने के चलते आयोग का काम ठप रहा, हालांकि कुछ पुरानी शिकायतों को लेकर काम होता रहा।
अनुमानित तौर पर आयोग के पास औसतन हर रोज 15 से 20 शिकायतें आती हैं लेकिन चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के चलते आयोग का काम प्रभावित होने की जानकारी भी लोगों को हो गई थी। इस लिहाज से आयोग के पास आने वाली शिकायतोें में भी व्यापक तौर पर कमी आई। इसलिए इस लिहाज से अब तक कई हजार नए मामले आए। ये भी बता दें कि आयोग के पास तीन तरीके से शिकायतें आती हैं। पीड़ित मेल से शिकायत भेजता हो, इसके अलावा फिजिकली भी शिकायत भेजी जाती है। वहीं इसके अलावा आयोग कई बार मामले की गंभीरता को देखते हुए स्यू मोटो (स्वत संज्ञान) भी लेता है।
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मानवाधिकार आयोग में लंबे समय से खाली पड़े चेयरमैन के पद और दो सदस्यों की नियुक्ति के मामले को लेकर याचिका दायर की गई थी और याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को तय समय सीमा में 3 सप्ताह में नियुक्ति करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसको लेकर बाद में फिर सरकार ने कोर्ट में लिखकर दिया था कि आचार संहिता हटने के 21 दिन में कमीशन काम करने लगेगा।
अप्रैल में मामले को लेकर सुनवाई हुई थी जिसमें हाईकोर्ट की तरफ से निर्देश दिया गया कि आचार संहिता हटने के तीन सप्ताह की अवधि के भीतर सभी पद सकारात्मक रूप से भरे जाएं। चूंकि अब आचार संहिता हट चुकी है और यह तय माना जा रहा है कि नियुक्ति कर दी जाएगी। यह बता दें कि इससे पहले 31 मार्च तक चेयरपर्सन और दो सदस्यों की नियुक्ति की जानी थी, हरियाणा सरकार में बड़े लेवल पर परिवर्तन हुआ लेकिन किसी कारणवश पद नहीं भरे जा सके। जिस तरह से मानवाधिकार आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने के चलते मामलों पर सुनवाई नहीं हुई और शिकायतें पेंडिंग रही। यह मामला लगातार चर्चा में रहा। लगातार सवाल उठे कि नियुक्ति क्यों नहीं हो पाई। जानकारी में यह भी सामने आया कि अफसरशाही के चलते कहीं ना कहीं नियुक्तियों में देरी हुई।
आयोग से प्राप्त जानकारी अनुसार आयोग के पास जितनी भी शिकायत आती हैं अनुमानित तौर पर उनमें से औसतन 70 फीसद से ज्यादा शिकायत तो पुलिस कर्मचारियों और विभागीय अधिकारियों के खिलाफ ही होती हैं जो कि चिंतनीय है। आयोग पहले भी पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता रहा है। इनमें पुलिस विभाग के खिलाफ यौन शोषण, शोषण, वसूली, हिरासत में मारपीट, रिश्वत और छेड़छाड़ जैसी गंभीर शिकायतें भी रहती हैं।
इसके अलावा कस्टडी में मारपीट या फिर कस्टडी में मौत को लेकर भी शिकायत आयोग के पास आती है। वहीं अन्य विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायत आयोग के पास रिसीव होती हैं। आयोग में आने वाले मामलों में ज्यादातर मामलों में पुलिस के अलावा प्रशासन, परिवार पहचान पत्र, सरकारी स्कीम का लाभ नहीं मिलने, वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना, प्रॉपर्टी पर कब्जा, अतिक्रमण, समाज कल्याण विभाग तथा डॉक्टरों द्वारा मेडिकल नेग्लिजेंस आदि से संबंधित होते हैं। बहुत से मामलों में आयोग स्वत संज्ञान लेता है और लोगों की शिकायतों पर भी कार्रवाई करता है।
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हरियाणा में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के पद क्रमशः पिछले 19 और 14 महीने से खाली पड़े हुए थे। कैथल के एक व्यक्ति की ओर से याचिका दायर किए जाने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इस संबंध में सरकार को फटकार लगाते हुए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के निर्देश जारी किए थे। इस बीच हरियाणा में पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव आ गए, जिसके चलते आचार संहिता लगने से नियुक्तियां सिरे नहीं चढ़ सकीं।
हरियाणा मानवाधिकार आयोग की सदस्य दीप भाटिया ने कहा कि आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद शिकायतों के निपटान के काम अब तेजी आएगी। नियुक्तियां न होने से लगातार नई शिकायतें पर काम नहीं हो पाया। आयोग के पास आने वाली कुल शिकायतों में से 70 फीसदी से ज्यादा अकेले पुलिस विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ आती हैं। हालांकि सभी राज्यों में ऐसी ही हालत है क्योंकि पुलिस विभाग की डीलिंग ज्यादा है। चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति न होने के चलते भी काम बाधित होने पर शिकायतों की संख्या में कमी आई।
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