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Tosham Election Battle : अनिरूद्ध की उम्मीदवारी से श्रुति के सामने किला बचाने का संकट

  • बंसीलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी के बीच ऐतिहासिक मुकाबला

  • तोशाम को लेकर पहली बार परिवार आया आमने-सामने

पवन शर्मा, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Tosham Election Battle : प्रदेश के अंतिम छोर पर राजस्थान की सीमा को छूते तोशाम का राजनैतिक वजूद हरियाणा में बहुत बड़ा है। पूर्व सीएम बंसीलाल ने तोशाम के दम पर प्रदेश में एक दशक से अधिक समय तक राजनैतिक तौर पर धाक जमाए रखी। इस विधानसभा सीट से एक बार को छोड़ दें तो हमेशा से ही उनके परिवार का ही उम्मीदवार जीतता रहा है। होना इस बार भी ऐसा ही है, मगर इस बार जो जीतेगा वो सिकंदर होगा, क्योकि राजनैतिक विरासत को लेकर छिड़ी जंग में इस बार लड़ाई आमने-सामने की है।

Tosham Election Battle : चुनावी महासंग्राम हरियाणा की राजनीति के इतिहास में होगा दर्ज

तोशाम विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी महासंग्राम हरियाणा की राजनीति के इतिहास में दर्ज होने वाला है। बंसीलाल परिवार, जिसने दशकों तक प्रदेश की राजनीति को दिशा दी है, की तीसरी पीढ़ी पहली बार आमने-सामने है। जी हां, इस बार कांग्रेस से युवा और जोशीले अनिरुद्ध चौधरी जो पूर्व बीसीसीआई के प्रेसिडेंट व कांग्रेस से विधायक रहे चौधरी रणबीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं, वह अपनी चचेरी बहन भाजपा प्रत्याशी श्रुति चौधरी के खिलाफ चुनावी अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं।

वहीं श्रुति चौधरी भी एक बार सांसद बन चुकी हैं और हरियाणा की राजनीति में अपने पिता चौधरी सुरेंद्र सिंह व अपनी माता किरण चौधरी के कारण एक बेहद प्रभावशाली उम्मीदवार हैं। लोगों का मानना है कि यह मुकाबला सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को लेकर भी एक नई दिशा तय करेगा। तोशाम के लोग इस ऐतिहासिक लड़ाई में एक नई ऊर्जा और उम्मीद की किरण देख रहे हैं, जहां परिवार की विरासत और युवा नेतृत्व के बीच टकराव साफ नजर आ रहा है। गांव चंदावास के सतबीर का कहना है कि इस बार मुकाबला कांटे का है। भले ही परिवार आमने-सामने है लेकिन जनता सही को चुनेगी ऐसी उम्मीद सभी को है।

अनिरुद्ध चौधरी: युवा शक्ति और नई सोच का प्रतीक

अनिरुद्ध चौधरी जो बीसीसीआई जैसी देश की सबसे बड़ी खेल संस्था के कोषाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर चुनाव जीतने के बाद रह चुके हैं। अपने पिता का चुनाव हमेशा वे ही कार्यकर्ता के तौर पर संभालते रहे हैं। अनिरूद्ध ने पहली बार चुनावी मैदान में कदम रखा है, अपनी नई सोच और युवा जोश के साथ तोशाम की जनता को लुभाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि उनका मुकाबला व्यक्तिगत नहीं, बल्कि विचारधारा और विकास की राजनीति से है। अनिरुद्ध का साफ संदेश है कि वे अपनी बहन श्रुति या चाची किरण चौधरी पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करेंगे। वे इस लड़ाई को कांग्रेस और भाजपा के बीच की लड़ाई के रूप में देखते हैं, जहां जनता का अंतिम फैसला ही सबसे अहम होगा।

विकास और प्रगति ही मेरा ध्येय

अनिरूद्ध का कहना है कि विकास और प्रगति उनका ध्येय है। उनका दावा है कि बंसीलाल के समय के बाद से तोशाम क्षेत्र में विकास की गति रुक गई है और यह क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की जरूरतों को लेकर अनिरुद्ध ने जनता से वादा किया है कि यदि उन्हें मौका मिला, तो वे क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा में लाएंगे।

उनका कहना है कि युवा नेतृत्व का मतलब है नए विचार, नई ऊर्जा और एक प्रगतिशील दृष्टिकोण। अनिरुद्ध अपने लगभग प्रत्येक भाषण में कहते हैं कि “तोशाम को नई दिशा और पहचान की जरूरत है और मैं इस बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार हूं, बस केवल जनता का साथ चाहिए “।

श्रुति चौधरी पहली बार तोशाम से प्रत्याशी, कांटे के मुकाबले में फंसी

दूसरी ओर, श्रुति चौधरी अपने पिता सुरेंद्र सिंह व माता किरण की राजनीतिक विरासत का ध्वज थामे चुनावी मैदान में उतरी हैं। श्रुति पहले भी सांसद रह चुकी हैं और राजनीति में उनका अनुभव उन्हें इस चुनाव में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। उनके लिए यह चुनाव केवल राजनीतिक नहीं। वे चुनावों में अपने दादा बंसीलाल , पिता सुरेंद्र सिंह और माता किरण चौधरी के नाम पर वोट मांग रही हैं। उनके द्वारा किए गए कामों को भी गिनवा रही हैं, मगर सबसे बड़ी समस्या उनके सामने भाजपा के प्रति दस साल की एंटीइनकमबंसी है।

श्रुति ने अपने प्रचार में इस बात पर जोर दे रही हैं कि उनके परिवार ने तोशाम को सड़कों, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं दीं और वे इस विकास की प्रक्रिया को और आगे ले जाने के लिए तैयार हैं। उनके समर्थक उन्हें क्षेत्र की नेता मानते हैं। श्रुति अपने भाषण में कहती हैं कि “मेरे परिवार ने तोशाम को सशक्त बनाने के लिए जो नींव रखी है, उसे मैं और आगे ले जाऊंगी। मेरा उद्देश्य है कि तोशाम के हर कोने तक विकास पहुंचे।”

युवा जोश या अनुभवी विरासत

तोशाम के मतदाता इस बार दोहरे धर्मसंकट में हैं। एक तरफ वे अनिरुद्ध चौधरी में युवा नेतृत्व और नई सोच की झलक देख रहे हैं, जो क्षेत्र को भविष्य की दिशा में ले जाने का वादा कर रहे हैं। दूसरी तरफ, श्रुति चौधरी का अनुभव और सुरेंद्र सिंह व किरण चौधरी के परिवार की राजनीतिक विरासत उन्हें अपने पाले में खींच रही है।

तोशाम की जनता लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही है। इस बार के चुनाव में विकास की उम्मीदें सबसे प्रमुख हैं। जनता के एक बड़े हिस्से का मानना है कि अनिरुद्ध जैसे युवा नेता से उन्हें नई उम्मीदें हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में बदलाव ला सकते हैं।

कांग्रेस के पक्ष में सकारात्मक माहौल

वहीं चुनाव के माहौल में कांग्रेस के प्रति एक सकारात्मक लहर भी दिखाई दे रही है। तोशाम की जनता का मानना है कि कांग्रेस के पास इस बार युवा और अनुभवी दोनों नेताओं का मजबूत संयोजन है। अनिरुद्ध चौधरी के पास जहां युवा जोश और नई दृष्टि है। युवाओं को अनिरूद्ध की बातें और वादे आकर्षित कर रहे हैं। यही कारण है कि उनके साथ चुनावी अभियान में इलाके के युवाओं की फौज दिखाई देती है।

तोशाम के इस ऐतिहासिक चुनावी महासंग्राम में किसकी जीत होगी, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि यह मुकाबला राजनीतिक विरासत और युवा ऊर्जा के बीच है। जनता को तय करना है कि वे अनिरुद्ध चौधरी के युवा जोश और नई सोच के साथ जाएं या फिर श्रुति चौधरी के पिता व माता की पारिवारिक विरासत को मौका दें। यह चुनाव न केवल तोशाम के भविष्य को तय करेगा, बल्कि बंसीलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी को हरियाणा की राजनीति में नई पहचान भी दिलाएगा।

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