India News Haryana (इंडिया न्यूज), International Gita Festival : महोत्स्व में आने वाले शिल्पकार अपना स्वयं का रोजगार स्थापित करके महोत्सव में आने वाले लोगों के लिए स्वरोजगार प्रेरक बन रहे हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्म सरोवर के तट पर अपने मिट्टी के बर्तनों को बेच ही नहीं रहे हैं बल्कि दूसरों को मिट्टी के बर्तन बनाना सिखाकर इस कला में पारखी बना रहे है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए इन शिल्पकारों के लिए मिट्टी के बर्तन बनाना उनका पुश्तैनी काम है। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी यही काम करते आए हैं, लेकिन उन्होंने आधुनिकीकरण के इस जमाने में और प्रतियोगिताओं के दौर में अपने बर्तनों को नया रूप देते हुए इन्हें आज के बाजार में उतारा है।
यही नहीं इस कला में वह दूसरों को भी अवगत करा रहे हैं और कोई भी इनके पास मिट्टी के बर्तन बनाने की कला सीख सकता है। यह शिल्पकार विगत कई साल से ब्रह्मसरोवर के तट पर अपने बर्तनों की प्रदर्शनी लगाकर इन्हें सेल भी कर रहे हैं। वह अपने पास मिट्टी की तस्वीरों के साथ-साथ मिट्टी के मुखौटे, तुलसी गमले, रिंग बेल फ्लावर पॉट, वॉटर बॉल इत्यादि रखे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पहले मिट्टी के बर्तन सीधे चाक पर बनाए जाते थे लेकिन आधुनिक जमाने में अपने आप को स्थापित करना बड़ी चुनौती है इसलिए वह इन्हें नए-नए आकार देकर और इन पर मिट्टी की पॉलिश करके इन्हें साफ सुथरा बनाते हैं ताकि यह और अधिक आकर्षक बन सके। उनके इस कार्य में परिवार के अन्य सदस्य भी उनका हाथ बटाते है। वह अपने यहां बिजली के चाक भी बनाते है जिसके ऊपर मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं। उनके पिताजी और उनके पूर्वज पहले मिट्टी के बर्तनों को हाथ के चक्र पर बना देते लेकिन आज के समय में यह चाक बिजली का बनाया हुआ बाजार मिलता है।
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