India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Assembly Elections 2024 : हरियाणा के अंतिम छोर पर अरावली श्रृंखला से घिरे मुस्लिम बाहुल्य जिला नूह (मेवात) का देश की आजादी से लेकर सियासत में भी गौरवमय इतिहास रहा हैं। ब्रज चौरासी कोस के अंतर्गत पड़ने वाले और हिन्दु-मुस्लिम की गंगा-जमुनी संस्कृति को समेटे इस क्षेत्र में शहीद राजा हसन खां मेवाती ने मुगल आंक्रांता बाबर जंग में लड़कर लोहा लिया था, मेवात से पाकिस्तान पलायन कर रहे मेवों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी समेत अन्य नेताओं की पहल से पलायन रूका था।
मेवात के सियासी परिदृश्य पर यदि नजर दौडाई जाये तो बाबा-ए-कौम स्व. मोहम्मद यासीन खां 1935 से लेकर 1946 तक संयुक्त पंजाब के समय पंजाब विधानसभा परिषद के सदस्य चुने गए। 1951 में हुए विधानसभा चुनाव में मरहूम यासीन खां फिरोजपुर झिरका से कांग्रेस के उम्मीदवार थे और उनके सामने किसी ने भी नामांकन नहीं किया। ऐसे में वह पहले ऐसा नेता बने जो निर्विरोध चुने गये। 1957 में यासीन खां फिरोजपुर झिरका से चुनाव जीत गए। इसी तरह उनके लाडले मरहूम तैयब हुसैन भी अल्पायु में तीन अलग-अलग राज्यों में मंत्री बनने का गौरव हासिल किया था। इस बात की देश-विदेश, टीवी व विभिन्न प्रचार माध्यमों के जरिये इस बात ने जमकर सुर्खियां बटोरी हैं।
उधर, मुस्लिम बाहुल्य नूंह(जिला) की तीन सीटों पर इस बार का चुनाव इस लिए दिलचस्प बन गया हैं जब हॉट सीट नूंह से मरहूम यासीन खां की चौथी पड़ी एडवोकेट ताहिर हुसैन इनेलो-बसपा गठबंधन का चश्मा पहनकर चुनावी रण में कूदे हैं। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने सीएलपी के उप नेता व मौजूदा विधायक आफताब अहमद व भाजपा ने राजपूत बाहुल्य गांव उजीना मूल के निवासी व कार्यवाहक नायब सरकार के राज्यमंत्री कुंवर संजय सिंह को मैदान में उतारा हैं, जबकि आप ने महिला नेत्री व हरियाणा के महामहिम राज्यपाल रहे ए.आर किदवई की पौत्री राबिया किदवई ने मोर्चा संभाल रखा है। इस सीट पर देश-प्रदेश की निगाहें इस लिए भी लगी हैं कि यहां से सियासत में अच्छा खासा दखल रखने वाले हिन्दु-मुस्लिम सियासी परिवारों के उम्मीदवार चंडीगढ़ पहुंचने के लिए जमकर पसीना बहा रहे हैं।
2019 के चुनाव में सत्तारूढ़ दल भाजपा ने इनेलो छोड़कर भाजपा में आए जाकिर हुसैन व कांग्रेस प्रत्याशी आफताब अहमद के बीच हुए कड़े मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी मात्र करीब 4000 मतों से हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार भाजपा ने उनकी टिकट काटकर कुंवर संजय सिंह को थमाया हैं, जबकि जाकिर के युवा भाजपा नेता पुत्र ताहिर हुसैन ने पार्टी से बगावत कर इनेलो का चश्मा पहनकर अपने पिता की हार का बदला लेने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
हैरत की बात देखने को यह मिल रही है कि उनके वालिद अभी भी भाजपा में बने हुए हैं और पार्टी ने हरियाणा वक्फ बोर्ड का बतौर प्रशासक लाभ पद भी दे रखा हैं। इसी तरह, पुन्हाना सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद इलियास व भाजपा प्रत्याशी एजाज अहमद दोनों चचेरे भाई चुनावी रण में आमने-सामने हैं तथा निर्दलीय पूर्व विधायक रहीस खान भी चुनावी मैदान में हैं। लेकिन इनेलो-बसपा प्रत्याशी दया भडाना प्रचार करती नहीं दिखाई देने से चर्चा के बाजार गर्म है। जबकि फिरोजपुर झिरका विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक नसीम अहमद, कांग्रेस से वर्तमान विधायक मामन खान व इनेलो-बसपा गठबंधन से हबीब हवननगर चुनावी मैदान में डटे है और यहां भी त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है।
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