इंडिया न्यूज ।
UK Children are Refusing to Go to School : कोरोना ने विश्व के कई देशों की कमर तोड़कर रख दी है । जिसके कारण आर्थिक स्थिति तो दूर बच्चों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा है । इससे काफी संख्या मे बच्चे अकेलेपन का शिकार तो हुए ही है वहीं ब्रिटेन के सवा लाख बच्चे स्कूल जाने से साफ मना कर रहे है ।
हालांकि स्कूल खुले चुके है लेकिन बच्चे जाने को तैयार नहीं है । टीनएजर स्कूल ही नहीं जा रहे हैं या फिर अनियमित हैं। ऐसे बच्चों को घोस्ट चाइल्ड कहा जा रहा है। यानी ये बच्चे कभी कभार या फिर स्कूलों में दिख ही नहीं रहे हैं।
साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि इन दिनों ऐसे कई अभिभावक अपने बच्चों को डॉक्टर को दिखाने के लिए ला रहे हैं। दरअसल, कोरोना काल के दौरान बच्चों में एकाकीपन और लोगों से मेलजोल में काफी कमी आई, ऐसे में बच्चे अंतमुर्खी हो गए। वे अपने आप में सिमटने लगे।
बच्चों में स्कूल जाने और पढ़ाई की इच्छा ही खत्म हो गई। सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के अनुसार ऐसे बच्चों को मनोचिकित्सा की जरूरत पड़ रही है। टीनएजरों पर अपने आदेशों को थोपें नहीं। इसकी बजाए टीनएजरों को अब वापस स्कूल जाने के बारे में प्रेरित करे।
बच्चे यदि स्कूल जाने में आनाकानी करें तो अभिभावक अपने स्तर पर भी कुछ प्रयास करें। अभिभावक अपने बच्चों के साथ लगातार संवाद कायम रखें। उन्हें अकेला न महसूस करने दें। उनके साथ खूब बातें करें। बच्चे से स्कूल नहीं जाने के कारणों के बारे में पूछें। यदि बच्चों में पढ़ाई के प्रति अनिच्छा आ रही है तो उन्हें समझाएं।
स्कूल जाने से आनाकानी करने वाले बच्चों पर अभिभावकों को दबाव नहींं डालना चाहिए। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को स्कूल के महत्व को समझाएं। साथ ही सामाजिक मेलजोल के लिए प्रेरित भी करें।
UK Children are Refusing to Go to School
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