उज्जैन
यूं तो होली का त्यौहार देश भर में बड़े ही उत्साह उमंग के साथ मनाया जाता है, बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में इस पर्व को मनाने का तरीका सबसे अलग रहता है। यहां बाबा महाकाल साक्षात विराजित है जोकि प्रतिदिन सुबह 3:00 बजे भस्म रमाते हैं। इसलिए उन्हें भस्म रमैय्या कहा जाता है। यही कारण है कि भक्त अबीर गुलाल के साथ भस्मी लगाते है।
भोले की नगरी में होली का पर्व अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। यहां भक्त शिव की भक्ति में लीन होकर झूमते गाते है। भगवान शिव पार्वती और उनके गण अर्थात भूत पिशाच इस होली में शामिल होते है और उनके साथ भक्त भक्ति के रंग में रंगकर शिवमय हो जाते है। यहां गुलाल अबीर के साथ फूलों की होली खेली जाती है।
धर्म नगरी उज्जैन में शिव अर्थात महाकाल और पार्वती अर्थात शक्तिपीठ माता हरसिद्धि दोनो का साक्षात वास है इसीलिए यहां होली उत्सव शिव पार्वती साथ मानते है।
यहां महाकाल वन में होली उत्सव का आयोजन किया गया। आयोजन में शिव और पार्वती प्रतीकात्मक रूप में शामिल हुए । मानो ऐसा लग रहा था कि साक्षात भोलेनाथ अपनी अर्धांगिनी के साथ आ गए है। जब यहाँ शिव पार्वती स्वयं नाचने लगे तो भक्त भी अपने आप को रोक नही पाए और झूमते गाते नजर आए। होली उत्सव मनाने के लिए शिव के गण अर्थात भूत पिशाच और नंदी भी यहां शामिल हुए वे अद्भुत अंदाज में सजे हुए थे। मानो साक्षात शिव की सेना आ गई हो। होली का यह अनूठा अंदाज केवल शिव नगरी उज्जैन में ही देखने को मिलता है।