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Sant Nirankari Mandal : हरियाणा में आध्यात्मिक स्थल पर अनोखा विवाह…भारत के विभिन्न राज्यों और विदेशों से पहुंचे 96 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

  • नव विवाहित जोड़ों के ऊपर सुदीक्षा महाराज और रमित ने की फूलों की वर्षा

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Sant Nirankari Mandal : संत निरंकारी मंडल के समाज कल्याण विभाग की ओर से आध्यात्मिक स्थल समालखा में 96 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। संत निरंकारी मंडल के सचिव जोगिन्दर सुखीजा ने जानकारी देते हुए बताया कि भारतवर्ष के राज्य बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रद्रेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त दूर देशों जिनमें आस्ट्रेलिया, यू.एस.ए. से शामिल हुए लगभग 96 नव युगल सतगुरु माता एवं निरंकारी राजपिता की पावन हजूरी में परिणय सूत्र में बंधे तथा अपने मंगलमयी जीवन की कामना हेतु पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर निरंकारी मिशन के अधिकारीगण, वर-वधू के माता-पिता, सगे-सम्बन्धी एवं मिशन के अनेक श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति रहीं। सभी ने इस दिव्य नजारे का भरपूर आनंद प्राप्त किया।

Sant Nirankari Mandal : निरंकारी लावों का हिंदी भाषा में प्रथम बार गायन हुआ

सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आरम्भ पारम्परिक जयमाला एवं निरंकारी शादी के विशेष चिन्ह सांझा-हार द्वारा हुआ, उसके उपरांत भक्तिमय संगीत के साथ मुख्य आकर्षण के रूप में निरंकारी लावों का हिंदी भाषा में प्रथम बार गायन हुआ, जिसकी प्रत्येक पंक्ति में नव विवाहित युगलों के सुखमयी गृहस्थ जीवन हेतु अनेक कल्याणकारी शिक्षाएं प्रदत्त थी। नव विवाहित युगलों पर सतगुरु माता, निरंकारी राजपिता व वहां उपस्थित सभी जनों द्वारा पुष्प-वर्षा की गई और उनके कल्याणमयी जीवन हेतु भरपूर आशीर्वाद प्रदान किया गया।

यह एक अच्छी सांझेदारी का उदाहरण

बताने योग्य है कि प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह पावन आयोजन अपनी सादगी बिखेरता हुआ जाति, धर्म, वर्ण, भाषा जैसी संकीर्ण विभिन्नताओं से ऊपर उठकर एकत्व का सुंदर स्वरूप प्रदर्शित करता है। नव विवाहित जोड़ों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए सतगुरु माता ने अपने प्रवचनों में कहा कि गृहस्थ जीवन के पवित्र बंधन में नर और नारी दोनों का ही समान स्थान होता है, जिसमें कोई बड़ा अथवा छोटा नहीं होता बल्कि दोनों की महत्ता बराबर की होती है। यह एक अच्छी सांझेदारी का उदाहरण है।

दो परिवारों के मिलन का एक सुंदर स्वरूप आज यहां प्रदर्शित हुआ

सतगुरु माता ने सांझे हार के प्रतीक का उदाहरण दिया कि जिस प्रकार सांझा हार एकता के भाव को दर्शाता है, ठीक उसी प्रकार गृहस्थ जीवन में रहकर सभी रिश्तों को महत्व देते हुए, सबके प्रति आदर भाव अपनाकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाना है।

गृहस्थ जीवन के सभी कार्यों को करते हुए नित्य सेवा, सुमिरण एवं सत्संग के साथ इस निरंकार का आसरा लेकर सुखद जीवन जीना है। निःसंदेह हर प्रांत से आये हुए नव युगलों द्वारा दो परिवारों के मिलन का एक सुंदर स्वरूप आज यहां प्रदर्शित हुआ। अंत में सतगुरु माता ने सभी नव विवाहित जोड़ों के जीवन हेतु शुभ कामना करते हुए उन्हें आनंदमयी जीवन का आशीर्वाद दिया।

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Anurekha Lambra

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