डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), University of Haryana Ranking, चंडीगढ़ : पिछले कई सालों में हरियाणा के विश्वविद्यालय कई पहलुओं को लेकर मंथन की मुद्रा में हैं। प्रदेश के विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षा संस्थान जिस तरह से रिसर्च और शिक्षण के पहलुओं पर खरा नहीं उतर पर रहे, वो सबके लिए गहन चिंता और मंथन का विषय है। इसकी बानगी कहीं न कहीं एमएचआरडी द्वारा जारी की गई नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में भी देखने को मिली है।
देश के ओवरऑल 100 शिक्षण संस्थानों में हरियाणा का कोई शिक्षण संस्थान नहीं है। हालांकि ये जरूर सामने आया है कि प्रदेश के कुछ प्राइवेट शिक्षण संस्थान निरंतर ठीक-ठाक प्रदर्शन कर रह रहे हैं। ऐसे में ये संस्थान के मुखियाओं की जिम्मेदारी है कि वो इनको आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव कदम उठाए जोकि परिदृश्य से पूरी तरह गायब नजर आ रहे हैं। जरूरत है कि व्यक्तिगत प्रमोशनल गतिविधियों की बजाय संस्थानों की परमोशन (इंस्टीट्यूशनल प्रमोशन) पर फोकस हो, ताकि इसका फायदा सबको मिले। अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में जगह पाना तो इस लिहाज से आने वाले सालों में भी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।
पिछले कुछ सालों से स्पष्ट पता चलता है कि प्रदेश के विश्वविद्यालय रिसर्च के मोर्चे पर उम्मीदों पर खरा उतरने में असफल रहे हैं। एनआईआरएफ की जो रैंकिंग है, इसमें रिसर्च व संबंधित पहलु के लिए 100 निर्धारित किए गए हैं। हरियाणा के विश्वविद्यालयों की बात करें तो यहां हालत बेहद चिंताजनक हैं। पहली बात तो संस्थान लिस्ट में जगह नहीं बना पा रहे और अगर जगह बना भीलेते हैं तो रिसर्च के मामले में पिछले कई सालों में उनको औसतन स्कोर 20 अंक से नीचे या आसपास ही है। इसके अलावा रिसर्च पब्लिकेशन के मामले में भी हम पीछे ही हैं। क्वालिटी पब्लिकेशन को लेकर भी कमोबेश यही स्थिति है। इसी को लेकर सरकार ने पिछले दिनों साफ किया है कि संस्थानों पर रिसर्च पर फोकस करने की जरूरत है।
पिछले कई वर्षों की रैंकिंग में ये भी सामने आया है कि टीचिंग, लर्निंग और रिसोर्सेज (टीएलआर) के इंडिकेटर पर भी हरियाणा के विश्वविद्यालय खरा नहीं उतर पा रहे। इस पहलू में ये जोड़ा जाता है कि यह-यह संस्थान में पीएचडी करने वाले स्टूडेंट्स कितने हैं और इस मामले में हम कुछ खास स्थिति में नहीं हैं।
इसके अलावा टीएलआर इंडिकेटर में ये भी देखा जाता है कि किसी भी संस्थान में टीचर्स और स्टूडेंट्स का अनुपात क्या है और इसके आधार पर भी स्कोरिंग होती है। यहां भी हम उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते। इसके अलावा पीएचडी किए टीचर्स या फिर समकक्ष अनुभव वाले फैकल्टी मेंबर्स की संख्या भी कम है। साथ ही वित्तीय संसाधनों के मामले में भी हम रेंग ही रहे हैं।
इसके अलावा कई अन्य इंडिकेटर्स हैं, जहां हरियाणा के संस्थान अपेक्षित सफलता नहीं ले पर रहे हैं। फैकल्टी और सीनियर प्रशासनिक पदों पर महिलाओं की तैनाती का भी इंडिकेटर है, लेकिन यहां भी हम अन्य संस्थानों से पीछे हैं। डीन, संस्थान अध्यक्ष जैसे पदों पर महिलाओं की संख्या कम है। स्टूडेंट्स के मामले में भी यही स्थिति है। इसके अलावा ये भी देखा जाता है कि संस्थानों में पिछले कुछ समय में कितने छात्रों ने पीएचडी की है। इसके अलावा हरियाणा में पढ़ाई कर रहे विदेशी छात्रों का आंकड़ा काफी कम है। यहां के संस्थानों के बारे में परसेप्शन ज्यादा ठीक नहीं बताया गया।
वहीं यह भी सामने आ रहा है कि हम देशभर में ओवरऑल टॉप 100 शिक्षण संस्थानों की सूची में जगह बनाने में असफल रहे हैं। इस वर्ष 2023 की एनआईआरएफ रैंकिंग की बात करें तो अबकी बार भी हम लिस्ट से नदारद हैं। वहीं पड़ोसी राज्यों के कई विश्वविद्यालय इस लिस्ट में हमेशा की तरह जगह बना पाने में सफल रहे। ये बेहद चिंतनीय व यक्ष प्रश्न है कि हम चूक कहां रहे हैं। ऐसे क्या है जो हम नहीं कर पा रहे।
दिल्ली, यूपी, पंजाब और राजस्थान के कई संस्थान टॉप 100 लिस्ट में हैं। पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि हरियाणा के विश्वविद्यालय निरंतर पिछड़ते जा रहे हैं और ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। साल 2019 में ओवरऑल 100 संस्थानों में एचएयू हिसार 89वें स्थान पर थी। इसके बाद हरियाणा का कोई भी संस्थान ओवरऑल 100 शिक्षण संस्थानों की सूची में जगह नहीं बना पाया। बेहतर टीचिंग, रिसर्च व अन्य पहलू बेहतर होने के दावे महज खोखले दावे ही साबित हुए। यहां मंथन की जरूरत है कि हम बेहतर क्यों नहीं कर पा रहे।
अगर पिछले पांच साल के एनआईआरएफ रैंकिंग के आंकड़ों पर नजर डालें तो सामने आता है कि 2019 में टॉप 100 यूनिवर्सिटीज में हमारे कई शिक्षण संस्थान थे जो निरंतर लिस्ट से बाहर होते गए। जो एकाध संस्थान लिस्ट में थे उनके क्षणिक बेहतर प्रदर्शन के बाद उनकी स्थिति पहले जैसी हो गई।
साल 2019 में हरियाणा के तीन विश्वविद्यालय टॉप 100 में थे। इनमें से हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (सीसीएसएचएयू), हिसार 63वें रैंक पर थी। वहीं महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू), रोहतक 90वें और प्रदेश की सबसे पुरानी कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र (केयूके) 98वें स्थान पर काबिज थी। इसके बाद साल 2020 में एमडीयू ने अपनी स्थिति में सुधार किया और हरियाणा में सबसे ऊपर 76वें स्थान पर आ गई। इसके बाद गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी (जीजेयू), हिसार 94वें और केयूके 99वें स्थान पर आ गई।
फिर साल 2021 में एमडीयू की रैंकिंग गिरी और ये 78वें रैंक पर पहुंच गई। वहीं जीजेयू 88वें रैंक पर रही। फिर वर्ष 2022 में एमडीयू की रैंकिंग बड़े स्तर पर गिरी और ये 41.88 अंकों के साथ 94 पायदान तक लुढ़क गई, मतलब जहां से चले थे हालात उससे भी बदतर हो गए। गनीमत ये रही कि इस लिस्ट में एमडीयू अकेली यूनिवर्सिटी थी। ताजातरीन 2023 की रैंकिंग लिस्ट में भी हालात बद से बदतर हो गए। एमडीयू लिस्ट में जगह बनाने में तो कामयाब रही, लेकिन रैंकिंग 94 से लेकर 96 तक पहुंच गई और एचएयू ने कई साल बाद लिस्ट में वापसी की और 99वें रैंक पर रही। सरकार द्वारा पोषित संस्थानों की लिस्ट में ये दो ही संस्थान हैं।
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