डॉ. रविंद्र मलिक, India News (इंडिया न्यूज), Vacant Posts of Medical Officers, चंडीगढ़ : हरियाणा के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं, डॉक्टरों व इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी हमेशा से मरीजों और उनके परिजनों के लिए परेशानी का सबब रही है। पूर्व व वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति रही है और अस्पतालों में मरीजों के समय पर इलाज व स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर किया गया काम नाकाफी ही साबित हुआ। हरियाणा विधानसभा के अंदर और बाहर खाली पड़े चिकित्सकों, तकनीकी स्टाफ, नर्स और अन्य स्टाफ के पदों को भरने की मांग लगातार उठ रही है।
डॉक्टरों की कमी का हवाला देते हुए स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने और मरीजों को समय पर इलाज न मिलने का मुद्दा निरंतर उठा रहे हैं। हालांकि सरकार लगातार कह रही है कि जल्दी ही स्वास्थ्य विभाग में हेल्थ एक्सपर्ट्स के खाली पड़े पदों को भरा जाएगा।
इसी कड़ी में सामने आया है कि हरियाणा में मेडिकल ऑफिसर्स के एक चौथाई से ज्यादा पद खाली होने के चलते मरीजों के इलाज में न केवल देरी हो रही है, बल्कि मजबूरन उनको प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। इतने व्यापक पैमाने पर चिकित्सकों के पद खाली होने से लोगों को खासकर आर्थिक रूप से गरीब तबके के लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण परिवेश से आने वाले मरीजों को पेश आती है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि हरियाणा में मेडिकल ऑफिसर्स के कुल सेंक्शन पदों में से 28 फीसदी पद खाली हैं। हरियाणा में मेडिकल ऑफिसर्स के कुल स्वीकृत पद 3903 हैं, जबकि इनमें 2794 पद ही भरे हुए हैं। पिछले पांच साल की तुलना में खाली पदों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। साल 2019 के आंकड़ों के अनुसार उस वक्त हरियाणा में स्वीकृत पदों की संख्या 3240 थी, जिनमें से 2451 भरे हुए थे।
इस लिहाज से साल 2019 में कुल स्वीकृत पदों में खाली पड़े 24 फीसदी खाली पड़े पदों की तुलना में वर्तमान में 2024 में 28 फीसदी पद खाली हैं। इतना ही नहीं, अनियमित रुप से भरे जाने वाले पदों की बात करें तो कुल स्वीकृत 454 पदों में से 249 खाली पड़े हैं। इस लिहाज से अनियमित स्वीकृत मेडिकल अधिकारियों के पदों में से 40 फीसद से ज्यादा पद खाली हैं। ये भी बता दें कि पिछले 9 साल की अवधि में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और डिग्री धारक 608 मेडिकल ऑफिसर्स की नियुक्ति हरियाणा में की गई है।
जानकारी में ये भी सामने आया है कि हरियाणा साल 2017-18 से लेकर अब तक तीन-चार बार अलग-अलग साल चिकित्सकों व मेडिकल एक्सपर्ट्स की भर्ती हुई है जोकि नाकाफी ही साबित हुई। साल 2017-18 में 662 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए और इनमें से 554 पदों पर भर्ती की गई। इसके बाद 2020 में 954 पदों पर भर्ती की गई, जिसके चलते कुछ हद तक स्वास्थ्य सेवाएं पुख्ता हुईं। इसके बाद 2022 में 1252 पदों पर विज्ञापन निकाला गया और कुल 990 पदों पर भर्ती हुई। इन सभी भर्तियों के बाद भी हरियाणा में कुल 5522 पदों से 1508 चिकित्सकों व हेल्थ एक्सपर्ट्स के पद खाली हैं।
हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों ने विशेषज्ञ कैडर के गठन की अपनी मांगों को लेकर पिछले साल 29 दिसंबर को हड़ताल बुलाई थी। हालांकि, सरकार के आश्वासन के बाद उन्होंने हड़ताल स्थगित कर दी। एक सप्ताह में यह दूसरी बार था जब हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था, हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (एचसीएमएस) से जुड़े सरकारी डॉक्टरों ने हड़ताल का आह्वान किया था।
डॉक्टरों के लिए एक विशेषज्ञ कैडर के गठन के अलावा, उनकी मांगों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए बांड राशि में कमी और केंद्र सरकार के डॉक्टरों के बराबर एक गतिशील सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना शामिल है। हालांकि फिलहाल इसको लेकर सीएम की तरफ से अप्रूवल मिल चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही डॉक्टरों के स्पेशल कैडर की स्थापना होगी, लेकिन फिलहाल तक स्थिति पूर्ववत ही है।
स्वास्थ्य विभाग के सीनियर अधिकारी ने बताया कि राज्य के 20 से अधिक सिविल अस्पतालों में दर्जनभर ही रेडियोलॉजिस्ट हैं, जबकि एक रेडियोलॉजिस्ट को निजी अस्पतालों में प्रति माह लगभग 4-5 लाख रुपए का वेतन मिलता है, सरकारी अस्पताल केवल एक लाख का भुगतान करते हैं। इसी तरह, सरकारी अस्पतालों में अन्य स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को वेतन प्राइवेट अस्पतालों की तुलना में कम मिलता है। इसके अलावा डॉक्टरों को अन्य प्रशासनिक व लीगल काम का हिस्सा बनना पड़ता है।
इसके अलावा सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सुविधाओं की भी कमी है और इन कारणों के चलते डॉक्टर हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में काम करने के इच्छुक नहीं होते हुए नौकरी छोड़ देते हैं। बता दें कि हरियाणा में स्त्रीरोग विशेषज्ञ, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, चिकित्सक और बाल रोग विशेषज्ञ जैसे विभिन्न विशेषज्ञों की संख्या भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) की सिफारिशों के आधे से भी कम है और कुछ जिलों में कुछ विभागों में एक भी विशेषज्ञ नहीं है। आईपीएचएस की सिफारिशों के अनुसार, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में सर्जरी, प्रसूति चिकित्सा, और बाल चिकित्सा के एक विशेषज्ञ के साथ-साथ एक एनेस्थेटिस्ट और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रबंधक और हर चार सीएचसी पर एक नेत्र सर्जन होना चाहिए।
साल स्वीकृत पद भरे पद अनियमित स्वीकृत पद भरे पद
2019 3240 2451 203 126
2024 3903 2794 454 249
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