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India’s Wheat Production : देश में इस वर्ष रिकॉर्ड तोड़ होगा गेहूं का उत्पादन : डायरेक्टर डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह

• LAST UPDATED : February 28, 2024
  • 114  मिलियन टन उत्पादन होने का है अनुमान

इशिका ठाकुर, India News (इंडिया न्यूज़), India’s Wheat Productionचंडीगढ़ : भारत गेहूं के उत्पादन में विश्व में दूसरे नंबर पर आता है, विश्व में पहले नंबर पर गेहूं उत्पादन में चीन का नाम आता है, जिसने 2022-23 में 134 मिलियन टन का उत्पादन किया था और भारत ने 110 मिलियन तन से ज्यादा का उत्पादन किया था और विश्व में दूसरा स्थान हासिल किया था। इस वर्ष भारत सरकार के द्वारा भारत में 114 मिलियन टन उत्पादन करने का टारगेट रखा गया है। इस बारे में गेहूं विशेषज्ञ ने बताया कि इस बार हम आसानी से 114 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन अपने देश में करेंगे और यह अब तक का हमारे देश का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनेगा।

34 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर बिजी गई है गेहूं

गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के डायरेक्टर डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि हमारे देश में पिछले 33 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई थी, जिसमें हमने 110.6 मिलियन टन उत्पादन किया था, वहीं इस वर्ष गेहूं का रकबा पहले से बड़ा है, जिसके चलते इस बार देश में 34 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई है, जिसके चलते हमारा अनुमान है कि हम इस वर्ष 114 मिलियन टन उत्पादन पूरे देश में गेहूं का करेंगे। यह अब तक का सबसे ज्यादा उत्पादन होगा।

गेहूं उत्पादन में विश्व में दूसरे नंबर पर आता है भारत

वहीं संस्थान के डायरेक्टर ने जानकारी देते हुए बताया विश्व में 134 मिलियन टन  उत्पादन करने के बाद चीन देश में गेहूं उत्पादन में पहले स्थान पर है, वहीं दूसरे स्थान पर हमारा भारत है जिसने पिछले वर्ष 110 मिलियन तन से ज्यादा का उत्पादन किया था। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में गेहूं उत्पादन की हमारी 15 से 18 प्रतिशत भागीदारी है और विश्व में हमारा दूसरा स्थान है।

प्रतिदिन उत्पादकता में भी भारत है नंबर वन

संस्थान के डायरेक्टर ने बताया कि पूरे वर्ष की उत्पादकता में चीन विश्व में पहले नंबर पर आता है, लेकिन वहां पर गेहूं की फसल का समय भारत की फसल से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा है, लेकिन वहां पर गेहूं की बिजाई भारत से कम क्षेत्रफल में की गई है। भारत में 34 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई है जबकि चीन में 25 मिलियन हेक्टीयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई है।

यह मौसम और मिट्टी के अनुसार वहां पर ज्यादा समय में गेहूं की फसल की कटाई होती हैँ, जबकि हमारे भारत में गेहूं कम अवधि की फसल है, जिसके चलते कम समय में हमारे गेहूं पककर तैयार हो जाती है और उसकी कटाई हो जाती है, अगर प्रतिदिन उत्पादकता की बात करें तो प्रतिदिन उत्पादकता के हिसाब से गेहूं उत्पादन में भारत पूरे विश्व में नंबर वन पर आता है।

मौसम के अनुसार तैयार की गई किस्म से उत्पादन में होगी बढ़ोतरी

संस्थान के डायरेक्टर ने बताया कि गेहूं संस्थान जितने भी भारत में स्थापित किए गए हैं वहां के वैज्ञानिक इस पर लगातार काम कर रहे हैं हमारे देश के वैज्ञानिकों ने गेहूं के नए-नए बीज तैयार किए हैं। यह सभी हमने भारत के जलवायु के अनुसार तैयार किए हैं जिस क्षेत्र में जैसी जलवायु होती है उसके अनुसार ही बीज को तैयार किया जाता है। इस बार पूरे देश में जलवायु के अनुसार 80% गेहूं के ऐसे बीजई की बिजाई की गई है जो मौसम के अनुकूल हैं। इसी के चलते जैसा भी मौसम होता है, उस आधार पर जलवायु का हमारी फसल पर इतना प्रभाव नहीं पड़ता, इसके चलते हमारा उत्पादन पहले से ज्यादा होगा।

बीमारियों से लड़ने की क्षमता वाले किए गए हैं बीज तैयार

हमारे वैज्ञानिकों के द्वारा सिर्फ मौसम के अनुसार ही बीज तैयार नहीं किए गए हमने बीज तैयार किए गए हैं, जिसमें बीमारियों से लड़ने करने की क्षमता होती है। किसी क्षेत्र में जो ज्यादा बीमारी आती है। उसे आधार पर ही हमने बिजाई की हुई है। किसानों तक ऐसे बीज पहुंचाए हैं, जिनका हमारी फसल पर बीमारियों का प्रभाव नहीं होता। जैसे इस बार अगर येलोरस्ट बीमारी की बात की जाए तो वह दिसंबर जनवरी के महीने में ही हमारी फसलों को अपना शिकार बना लेती थी। लेकिन इस बार इस महीने में यह बीमारी नहीं देखने को मिली फरवरी में ही कुछ जगह पर ही उसकी थोड़ी येलो रस्ट बीमारी देखने को मिली हैँ, लेकिन उसका इतना प्रभाव नहीं है, जिसके चलते हमारा उत्पादन पहले से अच्छा होगा।

थोड़ी और मेहनत करने से कुछ साल बाद हम हो सकते हैं विश्व में नंबर वन

संस्थान के डायरेक्टर ने बताया कि हाल ही में गेहूं उत्पादन में विश्व में दूसरे नंबर पर आते हैं, लेकिन हम निरंतर इस पर काम कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि कुछ ही साल में हम अपनी पैदावार को और भी ज्यादा बढ़ा सकते हैं, जिसके चलते हम विश्व में गेहूं के मामले में नंबर वन बन सकते हैं। हालांकि जितना हमारा गेहूं का क्षेत्रफल है, हम उस तक ही सीमित रहेंगे। क्योंकि अब हमने गेहूं से मिलेट्स पर ज्यादा जोर दिया है।

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