डॉ. रविंद्र मलिक, India News Haryana (इंडिया न्यूज), Kiran Chaudhary : कांग्रेस के दिग्गज नेता और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ लंबी खींचतान के बाद आखिरकार विधायक किरण चौधरी पार्टी छोड़ते हुए भाजपा का दामन थाम चुकी हैं। चूंकि राजनीति महत्वाकांक्षाओं का खेल है तो कोई भी किसी भी वक्त पाला बदल सकता है और ऐसा ही किरण चौधरी ने भी किया। लेकिन किरण चौधरी की भाजपा में जॉइनिंग के बाद पार्टी के कई नेता असहज बताए जा रहे हैं, वहीं भाजपा किरण चौधरी की ज्वाइनिंग के जरिये जहां कई विधानसभा सीटों पर खुद को मजबूत करने की सोच रही हैं तो वहीं कांग्रेस में भी किरण चौधरी के पार्टी छोड़ने के बाद कई तरह के रुझान सामने आ रहे हैं।
किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने आधिकारिक रूप से बुधवार सुबह भाजपा जॉइन कर ली है, लेकिन इस बीच कयासों और संभावनाओं का यह दौर निरंतर जारी है कि क्या किरण चौधरी और उनकी बेटी दोनों को राज्यसभा और विधानसभा की टिकट मिलेगी। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले नेताओं पर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि भाजपा ने एक ही परिवार के दो सदस्यों को दो बड़े पद या टिकट एक साथ देने से परहेज ही किया है। राव इंद्रजीत जो भाजपा से लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं, वह लंबे समय से बेटी आरती राव के लिए विधानसभा टिकट मांग रहे हैं, लेकिन भाजपा ने नहीं दी।
इसका एक और ताजा उदाहरण है कुलदीप बिश्नोई, भले ही कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य को भाजपा ने आदमपुर से विधानसभा की टिकट दी और उनको एमएलए बनाया, लेकिन कुलदीप बिश्नोई को लोकसभा की टिकट नहीं दी और फिलहाल वह राज्यसभा सीट के लिए जमकर लॉबिंग कर रहे हैं।
वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन आशा अनुरूप न रहने के बाद पार्टी लगातार मंथन कर रही है कि इतनी कम सीट क्यों आईं। चूंकि विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं तो पार्टी एक-एक सीट के महत्व को समझ रही है और जिन सीटों पर मुकाबला कड़ा है, वहां पर भाजपा मार्किंग कर रही है। लोकसभा चुनाव में 10 में से 5 सीटें हारने के बाद भाजपा को विधानसभा चुनाव की चिंता है।
प्रदेश में बीजेपी अपने गढ़ों को और मजबूत करने की कवायद में जुट गई है। किरण चौधरी जिस इलाके से आती हैं, वहां पहले से ही भाजपा की स्थिति ठीक-ठाक है, लेकिन पार्टी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसी रणनीति के तहत किरण चौधरी की जॉइनिंग भी करवाई गई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चौधरी बंसीलाल की उत्तराधिकारी होने के नाते किरण चौधरी का 6 से 8 विधानसभा सीटों पर काफी प्रभाव है। इन सीटों में चरखी दादरी, नारनौल, तोशाम, लोहारू, चरखी दादरी, भिवानी, बाढ़डा, नांगल चौधरी और अटेली शामिल हैं।
उधर, किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने के बाद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस में रहते हुए यह तीनों एसआरके ग्रुप के नाम से जाने जाते थे, लेकिन अब चूंकि किरण चौधरी ने पार्टी छोड़ दी है तो कहीं ना कहीं कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला हुड्डा गुट के खिलाफ अकेले पड़ गए हैं। बेशक कुमारी सैलजा के समर्थक कहें कि किरण चौधरी के जाने के बाद वो कमजोर नहीं हुई हैं, लेकिन कहीं न कहीं हुड्डा के खिलाफ वह कमजोर जरूर हुई हैं।
वहीं कुमारी सैलजा ने किरण चौधरी के पार्टी छोड़ने पर कहा कि उनके साथ गलत हुआ है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के ही एक बेहद सीनियर नेता ने बताया किरण चौधरी के जाने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा और समर्थक अंदर ही अंदर काफी सुखद महसूस कर रहे हैं और बिना अथक मेहनत के किरण चौधरी के जाने के बाद हुड्डा के रास्ते का एक कांटा और निकल गया।
किरण चौधरी के भाजपा ज्वाइन करने से पहले दो और पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्री के परिवार भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। तीन बार हरियाणा के सीएम रहे दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा से अनबन और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष न बनाए जाने पर साल 2022 में भाजपा ज्वाइन की थी।
उनके बाद इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले निर्दलीय विधायक रहे और भाजपा कोटे से मंत्री बने दिवंगत उप प्रधानमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल के बेटे रणजीत सिंह ने भी आधिकारिक रूप से भाजपा ज्वाइन कर ली थी और हिसार से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह चुनाव नहीं जीत पाए। अब इसी कड़ी में तीन बार सीएम रहे दिवंगत मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर अपनी अनदेखी के आरोप लगाते हुए बेटी सहित भाजपा का दामन थाम लिया।
ऐसा नहीं है कि केवल किरण चौधरी ने ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की है, इससे पहले भी कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी में उनकी अनदेखी का हवाला देते हुए भाजपा ज्वाइन कर ली थी। ज्यादातर कांग्रेसी दिग्गजों ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ अनबन और पार्टी में अनदेखी के आरोप लगाते हुए कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन की थी। कांग्रेसी दिग्गजों के पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने का सिलसिला साल 2014 में शुरू हुआ जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ अनबन और पार्टी में अनदेखी का हवाला देते हुए वर्तमान सांसद राव इंद्रजीत सिंह और चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी।
हालांकि राव इंद्रजीत भाजपा में है लेकिन बेटे की टिकट नहीं मिलने की संभावनाओं के चलते बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस में इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले वापसी कर ली। इनके अलावा कांग्रेस में रहे दो पूर्व सांसद आरसी कौशिक और अरविंद शर्मा ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। फिर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने कांग्रेस छोड़कर आप का दामन थाम लिया और बाद में अशोक तंवर ने फिर से पार्टी बदलते हुए इसी साल भाजपा ज्वाइन कर ली। इनके अलावा चौधरी धर्मवीर सिंह भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं और फिलहाल भाजपा से ही तीसरी बार सांसद बने हैं।
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