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Om Prakash Chautala: कभी ना खत्म होने वाला है चौटाला परिवार का राजनीतिक करियर! वर्षों से चला आ रहा है सियासी सफर

• LAST UPDATED : December 20, 2024

India News Haryana (इंडिया न्यूज), Om Prakash Chautala: हरियाणा की राजनीति के लिए आज बेहद निराश कर देने वाला दिन है। ऐसा इस लिए क्यूंकि हरियाणा की महान हस्ती और दिलदार नेता ओम प्रकाश चौटाला ने आज दुनिया को अलविदा कह कर अपनों को अकेला कर दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें, हरियाणा के 4 बार के मुख्यमंत्री और इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला का आज निधन हो गया।

93 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली और अपनों को अलविदा कह दिया। खबर आ रही है कि उनको आज उन्ही के आवास पर दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें आनन फानन में अस्पताल ले जाया गया लेकिन कुछ ही देर बाद उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस भरी। आपकी जानकारी के लिए बता दें, आज शुक्रवार 20 दिसंबर शाम को ही उनका पार्थिव शरीर सिरसा स्थित उनके पैतृक गांव चौटाला ले जाया जाएगा, जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर पाएंगे।

  • चौटाला का नाम इस तरह रहेगा कायम
  • जानिए कौन कौन है उनके कुनबे में

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चौटाला का नाम इस तरह रहेगा कायम

कहने को तो ओम प्रकाश चौटाला ने दुनिया को अलविदा कह दिया है लेकिन उनका नाम हमेशा ज़िंदा रहने वाला है क्यूंकि उनके बच्चे उनकी विरासत और उनके नाम को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। जब-जब हरियाणा में चुनाव होंगे और हरियाणा की सियासत की बात होगी, चौटाला परिवार का जिक्र होना अनिवार्य होगा। क्योंकि ताऊ देवी लाल चौटाला और उसके बाद ओम प्रकाश चौटाला के नाम से मशहूर खानदान की विरासत को उनके बच्चे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। चौटाला परिवार का जन्म ही राजनीति के लिए हुआ है क्यूंकि इनका राजनीतिक कुनबा काफी बड़ा है। शायद ही ऐसा हो कि हरियाणा की राजनीति है चौटाला परिवार का नाम खत्म हो सके। आपकी जानकारी के लिए बता दें, सिरसा जिले की डबवाली तहसील का चौटाला गांव इस परिवार की जन्मभूमि और कर्मभूमि है।

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जानिए कौन कौन है उनके कुनबे में

अगर बात करें चौटाला परिवार के इतिहास की तो ये काफी दिलचस्प है। अंग्रेजों की गुलामी वाले भारत में साल 1919 में चौधरी देवीलाल के पूर्वज राजस्थान से सटे सिरसा जिले के गांव चौटाला में आकर बसा। देवीलाल अपने ननिहाल में राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के अमरपुरा जालू में पैदा हुए थे। जिसके बाद 1952 में कांग्रेस से विधायक बने। फिर 1957 और 1962 में पंजाब विधानसभा के सदस्य भी रहे। इसके बाद 1971 तक कांग्रेस में रहे और 1977 में जनता पार्टी जॉइन की। वहीँ 1987 में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) बनाई। फिर 2 दिसंबर 1989 से लेकर 21 जून 1991 तक उप-प्रधानमंत्री भी रहे। उप-प्रधानमंत्री बनने के बाद 1991, 1996, 1998 में रोहतक सीट से लोकसभा चुनाव हारे आपकी जानकारी के लिए बता देने इन्हे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हराया। 1998 में वह राज्यसभा सदस्य बने। 2001 में राज्यसभा सांसद थे, लेकिन उनका निधन हो गया।

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