परिवार इंसान की सबसे बड़ी ताकत होता है लेकिन जैसी तस्वीरें अफगानिस्तान से आ रही है। उनको देख कर चंडीगढ़ में रहने वाले छात्र लगातार डर के साये में जी रहे है, बार बार घर काल करके अपनो का कुशल क्षेम जान रहे है। परिस्थितियां इन छात्रों के लिए भी सही नही है ना तो स्टाइफ़न का पैसा आ रहा है ना ही खाने के लिए रोटी की जुगत हो रही है।
अफगानिस्तान से चंडीगड़ पीएचडी करने आये अब्दुल कक्कर अफगान स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष है। अब्दुल बताते है कि सब खत्म हो गया जो देश आजादी में सांस ले रहा था वह आज तालिबान के कब्जे में है। अब्दुल बताते है कि अफगान के लोग सीधे साधे है।आलम यह है कि मीडिया में भी आने से परहेज कर रहे है कि यहां पर कहे कुछ शब्द वहां बैठे अपनो को नुकसान पहुंचा सकते है।
तालिबान का खौफ देखिए की लोग प्लेन के पंखों पर बैठ कर भी वहां से निकलना चाहते है क्योंकि तालिबान के नीचे रहने से बेहतर मौत को गले लगाना है। ईरान भाग कर जाने की चाहत में लोग सरहदों पर मर रहे है। उनके शरीर पक्षी खा रहे है हालात बद से बदतर है।
अब्दुल कक्कर बताते है कि उनका परिवार वहां है और अब वह बस उम्मीद कर रहे है कि हालात ठीक हो जाये अब्दुल के दिल मे भी माता पिता की सुरक्षा का भय है।अब्दुल कहते है हमे भीख नही चाहिए अफगानिस्तान आतंकवाद के खिलाफ सदा लड़ा है। आज तमाम उन देशों को आगे आना चाहिए जिनका मकसद आतंकवाद का खात्मा है।