डॉ रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ India News Haryana (इंडिया न्यूज), Haryana Assembly Elections 2024 : हरियाणा में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और 5 अक्टूबर को 15 वीं विधानसभा के आम चुनाव के लिए निर्धारित मतदान में प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल- कांग्रेस और भाजपा के प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 89-89 पर ही उम्मीदवार हैं। अबकी बार हरियाणा में भाजपा और खासकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में टिकट को लेकर जमकर कंपटीशन देखने को मिला।
स्थिति यह रही कि हरियाणा कांग्रेस में 90 विधानसभा सीटों के लिए करीब 26 सौ आवेदन आए। टिकट नहीं मिलने और कटने पर पर कांग्रेस एवं भाजपा दोनों राजनीतिक पार्टियों के अनेक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी अपनी पार्टी से बागी होकर निर्दलीय के तौर पर चुनाव के लिए नामांकन भर दिया था।
कांग्रेस और भाजपा के कई दर्जन बागी नेता निर्दलीय अथवा किसी अन्य राजनीतिक दल से अपनी मूल पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के विरूद्ध चुनावी मैदान में हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी वापसी के कई दिन बीत जाने के बाद भी न तो कांग्रेस पार्टी और न ही भाजपा दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा ऐसे पार्टी के बागी नेताओं के विरूद्ध कोई सख्त कार्रवाई जैसे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छ: वर्ष के लिए निष्कासित करना नहीं की गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों राजनीतिक दलों को लगता है कि 8 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद सरकार बनाने के लिए ऐसे निर्दलीय के तौर पर लड़ने वाले और चुनाव जीते बागी नेताओं का समर्थन लेने की आवश्यकता पड़ सकती है।
हरियाणा में अबकी बार भाजपा कांग्रेस ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। हरियाणा विधानसभा की दो सीट ऐसी रही जहां भाजपा के उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया तो वहीं कांग्रेस ने एक सीट पर अपना उम्मीदवार ही नहीं उतरा और एक अन्य दल के नेता को समर्थन दे दिया। कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश की भिवानी सीट से सीपीआई (एम) अर्थात कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से चुनाव लड़ रहे कॉमरेड ओम प्रकाश का समर्थन करते हुए पार्टी उम्मीदवार ही नहीं उतारा है।
वहीं सिरसा वि.स. सीट से भाजपा से नामांकन कर चुके पार्टी प्रत्याशी रोहताश जांगड़ा ने 16 सितम्बर अर्थात उम्मीदवारी वापसी के अंतिम दिन अपना नाम वापिस ले लिया, हालांकि इसका वास्तविक कारण क्या भाजपा द्वारा इस सीट पर हलोपा से चुनाव लड़ रहे गोपाल कांडा का समर्थन करना है या कुछ और वजह, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि बाद में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली ने कहा कि पार्टी की तरफ से नामांकन वापस लेने के लिए नहीं कहा गया था और ऐसा क्यों हुआ इसके बारे में जानकारी ली जाएगी।
यह पूछे जाने पर कि अगर कोई पार्टी नेता या कार्यकर्ता पार्टी टिकट न मिलने कारण या टिकट कटने कारण स्वयं ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देकर पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के विरूद्ध निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ता है, तो क्या फिर भी ऐसे बागी नेता के विरूद्ध उसकी मूल पार्टी द्वारा कार्रवाई की जा सकती है, को लेकर राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार का कहना है कि चूंकि हर राजनीतिक दल का संगठन और पार्टी संविधान किसी भी व्यक्ति से ऊपर होता है, इसलिए बेशक अगर कोई पार्टी नेता या कार्यकर्ता बेशक पार्टी छोड़कर अपनी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार विरूद्ध चुनाव लड़ता है, तो उसकी मूल पार्टी को ऐसे बागी नेता को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छ: वर्ष के लिए निष्काषित कर देना बनता है।।
5 साल पूर्व अक्टूबर, 2019 में जब निवर्तमान 14वीं हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस पार्टी के चौधरी निर्मल सिंह, जो प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री और चार बार अम्बाला की तत्कालीन नग्गल सीट से विधायक रहे और उनकी सुपुत्री चित्रा सरवारा दोनों को क्रमश: अम्बाला शहर और अम्बाला कैंट विधानसभा सीटों से कांग्रेस पार्टी का टिकट नहीं मिला, जिसके बावजूद उन्होंने उन दो सीटों से कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के विरूद्ध निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भर दिया था।
जिस कारण मतदान से दस दिन पूर्व कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा द्वारा उन दोनों सहित पार्टी के कुल 16 बागी नेताओं को 6 वर्षो से कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था। उसके बाद इन दोनों ने पहले हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट के नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी बना कर चुनाव आयोग से रजिस्टर कराई एवं उसके बाद अप्रैल, 2022 में दोनों आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गये थे। दिसम्बर, 2023 में इन दोनों ने आप पार्टी छोड़ दी। तत्पश्चात जनवरी,2024 में पिता-पुत्री निर्मल-चित्रा की कांग्रेस पार्टी से निष्कासन के सवा चार वर्ष बाद ही पार्टी में घर-वापसी हो गयी थी।
हरियाणा में कांग्रेस के करीब डेढ़ दर्जन विधानसभा क्षेत्रों से 2 दर्जन से ज्यादा बागी उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें पूर्व विधायक भी शामिल हैं। कांग्रेस ने अभी तक सिर्फ कुछेक बागियों को ही निलंबित किया है। पार्टी का कहना है कि बागियों के खिलाफ कार्रवाई करना नेतृत्व का विशेषाधिकार है। अंबाला छावनी से चित्रा सरवारा, बहादुरगढ़ से राजेश जून और बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र से शारदा राठौर को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है।
इसी तरह भिवानी से अभिजीत और नीलम अग्रवाल, पानीपत ग्रामीण से विजय जैन, गोहाना से सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर हर्ष छिकारा, बड़ौदा से डॉ. कपूर नरवाल और उचाना कलां से वीरेंद्र घोगारिया भी कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद बागियों ने चुनावी मैदान नहीं छोड़ा है। बीजेपी के बागी नेताओं में उद्योगपति सावित्री जिंदल भी हैं, जिन्हें हिसार विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने से इनकार कर दिया गया था।
जिंदल और गौतम सरदाना पार्टी उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा बीजेपी के बागी नेताओं में रानिया से रणजीत सिंह, तोशाम से शशि रंजन परमार, गन्नौर से देवेंद्र कादयान, पृथला से नयन पाल रावत और दीपक डागर, लाडवा से संदीप गर्ग, भिवानी से प्रिया असीजा, रेवाडी से प्रशांत सन्नी, सफीदों से जसवीर देशवाल, बेरी से अमित, महम से राधा अहलावत, झज्जर से सतबीर सिंह, पूंडरी से दिनेश कौशिक, कलायत से विनोद निर्मल और आनंद राणा और इसराना से सत्यवान शेरा ने ताल ठोक रखी है।
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