फतेहाबाद के गांव रतनगढ़ में भारतीय नागरिकता के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहा पाकिस्तान से आकर बसा एक हिंदू परिवार। करीब 20 साल पहले पाकिस्तान से रोहतक आए था परिवार। डवायाराम का कहना है कि वे पाकिस्तान नहीं जाना चाहते , वे भारत को ही आपना देश मानतें हैं। लेकिन नागरिकता के अभाव में उन्हें कोई सुविधा और योजना का लाभ नही मिल रहा जिसके चलते वे दोबारा पाकिस्तान जाने को मजबूर है।
नागरिकता संशोधन बिल के पास हो जाने के बाद डबायाराम को उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें भारत में नागरिकता मिल जाएगी, मगर तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें नागरिकता नहीं मिली है। वृद्ध हो चुके डबाया राम अपने परिवार को भारतीय नागरिकता दिलवाने के लिए अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट गुहार लगा रहे हैं। मामला फतेहाबाद के रतनगढ़ गांव का है। यहां पाकिस्तान से आकर रहे हिंदु परिवारों का है।
परिवार के मुखिया डबाया राम ने बताया कि करीब 20 वर्ष पूर्व पाकिस्तान से यहां आए थे, उसके बाद वे पाकिस्तान वापिस नहीं लौटे। उनके परिवार के बच्चों की शादियां भी यहां उनकी बच्चे भी यहां हुए है, मगर उन्हें अभी तक नागरिकता नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि नागरिकता लेने के लिए दस्तावेज डीसी कार्यालय में सौंपे थे। जहां अधिकारियों ने दस्तावेज जांचे और केंद्रीय गृह विभाग को भेजे दिए थे, मगर वक्त बीत जाने के बाद भी उन्हें नागरिकता नहीं मिल पाई तो बीते दिन वे फिर उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और गुहार लगाई।
डबायाराम ने प्रशासन से मांग की है कि उनका राशन कार्ड बनाया जाए और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाए । डवायाराम ने कहा कि नागरिकता न मिल पाने के कारण उन्हें और उनके परिवार वालों को न तो सरकार की किसी योजना का लाभ मिल रहा है और न ही कोई सुविधा। वहीं इस मामले में सीटीएम अंकिता ने बताया कि डबायाराम एवं उनके परिवार द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन किया गया था, मगर किन्हीं तकनीकि कारणों से आवेदन स्वीकार्य नहीं हो पाए। अब यह काम ऑनलाइन कर दिया गया है और शीघ्र ही उनके कार्यालय को संबंधित विभाग ने इक्यूपमेंट एक्टिवेट कर दिया जाएगा, उसके बाद डबायाराम और उसके परिवार के दस्तावेजों को अपलोड कर केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेज दिए जाएंगे। जिस पर अंतिम निर्णय वहीं होगा।