इंडिया न्यूज
आज हम आपको भारत कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के उन पहलुओं के बारे में बताएंगे, जो आपको नहीं पता। जैसा कि आपको पता ही है कि लता जी का जन्म 28 सितंबर, 1929 को हुआ था। वे भारतीय फिल्म और संगीत उद्योग में सबसे सम्मानित हस्तियों में से एक हैं। लता जी 36 भारतीय भाषाओं में गाने रिकॉर्ड करने से लेकर 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार (Dadasahed Phalke Award) से सम्मानित होने तक, वह लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल (Royal Albert Hall, London) में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय हैं। वर्ष 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सुशोभित किया गया था।
अगर उनके निजी जीवन के बारे में बात की जाए तो हर कोई यह सवाल जानना चाहता है कि आखिर लता जी ने शादी क्यों नहीं की? क्या इसके लिए वे खुद तैयार नहीं थी? या अन्य कोई मजबूरियां थी, जिस कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहना मंजूर किया।
बताते हैं कि बचपन से भी लता जी पर परिवार की जिम्मेदारियां थी। उन्होंने अपने भाई-बहनों, मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ की देखभाल की थी। भाई-बहनों की परवरिश में लता इतना मशगूल हों गई कि उन्होंने कभी खुद के बारे में सोचा ही नहीं। कहा जाता है कि लता जी को अपने परिवार के बारे में हमेशा चिंता रहती थी और यही कारण था कि भाई-बहनों का करियर बनाने के लिए उन्होंने खुद की इच्छाओं का परित्याग कर दिया। ऐसे ही दिन, महीने और साल बीत गए, लेकिन विवाह के बारे में उन्होंने कुछ सोचा नहीं।
बताते हैं कि दिवंगत क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) (Board of Control for Cricket in India (BCCI)) के पूर्व अध्यक्ष राज सिंह डूंगरपुर लता जी के भाई हृदयनाथ मंगेशकर (Hridaynath Mangeshkar) के करीबी दोस्त थे। पूर्व क्रिकेटर राजस्थान के शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे और डूंगरपुर के तत्कालीन शासक स्वर्गीय महारावल लक्ष्मण सिंहजी (Maharawal Lakshman Singhji) के सबसे छोटे बेटे थे। उनकी मुलाकातें हृदयनाथ के घर पर होती थीं। इस दौरान राज सिंह लता मंगेशकर को पसंद करने लगे थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया था। बताते हैं कि राज सिंह लता मंगेशकर को ‘मिट्ठू’ नाम से पुकारते थे।
पत्रिका डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार लता मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर दोनों शादी करने की योजना बना रहे थे। जब राज सिंह ने अपने माता-पिता को इस बारे में सूचित किया तो उनके पिता महारावल लक्ष्मण सिंहजी ने शादी करने के उनके विचार को खारिज कर दिया। इसके पीछे का कारण यह था कि लता एक शाही परिवार से नहीं थीं। इसलिए महारावल लक्ष्मण अपने बेटे राज सिंह को एक आम लड़की से शादी नहीं करने दे सकते थे।
महारावल लक्ष्मण सिंहजी के दृढ़ निर्णय ने राज सिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर के सपनों के महल को पलों में तोड़ दिया था। तभी राज सिंह ने अपने पूरे जीवन में किसी से शादी नहीं करने की कसम खाई थी और इसके बारे में अपने माता-पिता को बताया था। परिणामस्वरूप, प्रतिष्ठित गायिका ने भी यही कसम खाई थी और दोनों जीवन भर दोस्त बने रहे और शादी नहीं की
12 सितंबर, 2009 को राज सिंह डूंगरपुर (Raj Singh Dungarpur) की मुंबई में अल्जाइमर रोग से लंबी लड़ाई के कारण मृत्यु हो गई थी। इस बात से कोई इंकार नहीं है कि लता मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर की प्रेम कहानी का अंत सबसे अच्छा नहीं था, लेकिन आज के समय में यह निश्चित रूप से काफी दुर्लभ है और वह है ‘जीवन भर की प्रतिबद्धता, प्यार और विश्वास’। मालूम हुआ है किउनकी मृत्यु के बाद वे काफी टूट गई थीं।
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