भारतीय महिला हॉकी टीम ब्रिटेन के हाथों से 4-3 से हार जाने के बाद बेटियों का कांस्य पदक लाने का सपना टूट गया है। सोनीपत के वेस्ट रामनगर की रहने वाली निशा वारसी की मां टीम की हार के बाद फूट फूट कर रोती हुई नजर आई । निशा की मां ने बोली कि पता नही बेटी से कहां गलती हो गई है। उन्हे हर हाल में ही बेटी से पदक जीतने की उम्मीद थी लेकिन सपना टूट गया है।
देश भारतीय ओलंपिक खिलाड़ी में अपना दमखम दिखा रहे है। वहीं आज कांस्य पदक के लिए ग्रेट ब्रिटेन से खेल रही भारतीय महिला हॉकी टीम का कांस्य मेडल का सपना टूट गया है। भारतीय महिला हॉकी टीम की ब्रिटेन के हाथों 4-3 से हार पर सोनीपत में हॉकी खिलाड़ी निशा के घर पर मायूसी छा गई है। निशा वारसी की मां हार से बेहद निराश है, वहीं पिता ने कहा कि बेटी पर गर्व है। आखिरी मैच में उनकी बेटी की टीम एक बेहतरीन टीम से हारी है, लेकिन महिला हॉकी टीम ने ब्रिटेन को कड़ी टक्कर दी है। आखिरी तक मैच में दम बनाए रखना भी बड़ी बात है। उनको अपनी बेटी पर गर्व है।
शुक्रवार को सुबह 7 बजे टोक्यो में ओलिम्पिक के नॉक आऊट मैच में भारतीय महिला हॉकी टीम का ब्रिटेन के साथ जोरदार मैच हुआ। कांस्य पदक के लिए खेले जा रहे इस मैच में भारतीय लड़कियों ने पिछड़ने के बाद जोरदार वापसी की थी और गुरजीत और वंदना के लगातार गोल की बदौलत भारतीय टीम ने बढ़त भी बना ली थी, लेकिन तीसरे हॉफ में ब्रिटेन की टीम हावी दिखी और एक गोल की बढ़त ले ली। इसी बढ़त से भारतीय टीम आखिरी तक पार नहीं पा सकती और मैच हार गई।
टीम का अहम हिस्सा रही सोनीपत के वैस्ट रामनगर निवासी निशा वारसी के परिजना पूरे मैच के दौरान टी.वी. के सामने डटे रहे, लेकिन हार पर वे कुछ मायूस दिखे। खासकर निशा की मां के आंसू फूट पड़े। उसने बिलखते हुए कहा कि उसे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था और उम्मीद थी कि इस बार उनकी बेटी कमाल दिखाते हुए कांस्य पदक लेकर आएगी, लेकिन पता नहीं कहां गलती हुई और पदक नहीं मिला। मां ने कहा कि अल्लाह ने उनकी नहीं सुनी और हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगली बार उनकी बेटी जरूर पदक लेकर लौटेगी।
निशा वारसी का परिवार 25 गज के मकान में अपना जीवन बसर करती है और जहां मकान में थोड़ी सी जगह में निशा की उपलब्धियों के मेडल और सम्मान रखे हुए हैं। जबसे निशा ने हॉकी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया परिवार का गुजारा निशा के कारण हो रहा है। हालांकि पिता भी टेलर का काम करते है लेकिन आज जिस प्रकार से बेटी का मैच खत्म हुआ तो न केवल छोटे से मकान में पिता भावुक था बल्कि मां छोटे से मकान की सीढ़ियों में ऊपर चढ़कर अकेली जाकर रो रही थी। बहुत मार्मिक और दिल को रुला देने वाला लम्हा बर्दाश्त से बाहर था लेकिन मैदान की हार जीत लगी रहती है मां को ने केवल बेटी से बल्कि पूरी महिला हॉकी टीम से मेडल की उम्मीद थी और अंत में अल्लाह को भी थोड़ा सा दोष जरूर दिया कि अल्लाह ने उनकी नहीं सुनी।