इशिका ठाकुर, Haryana (Dragon Fruit Farming) : कहा जाता हैं कि अगर इंसान किसी भी काम को करने की ठान ले और पूरी लगन से कार्य करे तो वह उसको पूरा करने में कामयाब जरूर होता है। ऐसे ही हम आज एक महिला के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी चकाचौंध भरी जिंदगी छोड़कर खेती का विकल्प चुना और खेती में कुछ ऐसा करके दिखाया जो दूसरे लोगों के लिए और महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गया। जी हां, करनाल के समाना बाहु गांव निवासी पूनम चीमा ने अपने गांव में 2 एकड़ खेत में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है जिसमें उनके पति कर्नल एसपीएस चीमा भी पूरा सहयोग कर रहे हैं।
परंपरागत तरीके से खेती न कर नया विकल्प चुना
पूनम ने बताया कि उनके पति ने आर्मी में करीब 30 वर्ष की अपनी सेवाएं दीं। रिटायरमेंट के बाद कुरुक्षेत्र में शिफ्ट होने का निर्णय लिया तब उन्होंने सोचा कि गांव में जो उनकी पुश्तैनी जमीन है, वहां पर वह खेती करेंगे। कर्नल की पत्नी पूनम ने सोचा कि हम परंपरागत तरीके से खेती न करके कुछ नया खेती में करेंगे और उन्होंने इस पर रिसर्च की करीब दो-तीन वर्ष रिसर्च करने के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की सोची। ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से पहले उन्होंने देश के विभिन्न बड़े ड्रैगन फ्रूट के किसानों से मुलाकात की और ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में जानकारियां जुटाई।
Dragon Fruit Farming
पूनम स्वयं करती है ड्रैगन फ्रूट की खेती का प्रबंधन
पूनम ने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष ही 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की बहुत ही कम स्केल पर खेती की जा रही है और हरियाणा में एकमात्र वही पहले ऐसे किसान हैं जिन्होंने डायरेक्ट 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी शुरू की। पहले ड्रैगन फ्रूट की खेती हरियाणा में नहीं की जाती थी अगर कोई किसान कर रहा था तो आधे एकड़ या 1 एकड़ में कर रहा था, लेकिन अब हरियाणा के किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती की तरफ बढ़ रहे हैं।
Dragon Fruit Farming
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने यह 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट लगाया, तब उनका प्रति एकड़ करीब 8 लाख रूपए खर्च आया। यहां पर ड्रैगन फ्रूट के पौधों की कटाई से लेकर छटाई, निराई गुड़ाई का काम वह खुद ही करती हैं। हालांकि उसमें उनको उनके पति का भी सहयोग मिलता है, लेकिन उनके पति ज्यादातर बाहर के काम ही देखते हैं। उन्होंने यह ड्रैगन फ्रूट की खेती ऑर्गेनिक तरीके से करनी शुरू की है क्योंकि हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की रसायनिक तरीके से खेती करना बड़ी मुश्किल बात है। लेकिन उन्होंने सोचा कि हम ऑर्गेनिक तरीके से ड्रैगन फ्रूट की खेती करेंगे ताकि लोगों तक पोस्टिक ड्रैगन फ्रूट पहुंचाया जा सके। पूनम ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ ड्रैगन फ्रूट में ड्रिप इरिगेशन सिंचाई करने के लिए सिस्टम लगाया हुआ है ताकि पानी की भी बचत की जा सके। क्योंकि हरियाणा में पानी का संकट भी गहराता जा रहा है।
महिलाओं को किया प्रेरित
पूनम ने बताया कि पुरुषों की तरह महिलाएं भी कृषि क्षेत्र में अगर काम करें तो वह महारत हासिल कर सकती हैं। मौजूदा समय में जोत छोटी होती जा रही है, ऐसे में परंपरागत तरीके से खेती करने में ज्यादा फायदा नहीं हो रहा, इसलिए उन्होंने एक अलग तरीके से नई तकनीक के जरिए ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की सोची है ताकि आने वाले समय में कम जोत वाले किसान भी अच्छी आमदनी ड्रैगन फ्रूट से निकाल सके। ड्रैगन फ्रूट की बात करें ड्रैगन फ्रूट को सुपरफूड कहा जाता है, इसकी कीमत ₹80 से लेकर ₹150 तक होती है, इसलिए आने वाले समय में हरियाणा के किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती में सुनहरा भविष्य दिखाई दे रहा है।
Dragon Fruit Farming
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में हमारे प्रदेश के युवा खेती छोड़कर विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं, ऐसे में अगर वह यहां रहकर नई तकनीक से खेती करें तो निश्चित ही यहाँ भी वह अच्छा भविष्य बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए शुरुआती समय में एक बार ही इन्वेस्टमेंट की जाती है उसके बाद किसान 25 वर्षों तक उन्हीं पौधों से आमदनी लेता रहता है। अगर किसानों के कोई ड्रैगन फ्रूट के पौधे नष्ट भी हो जाएं तो वह अपने दूसरे पौधों से कटिंग करके नए पौधे तैयार कर सकता है।
तीन किस्म के लगाए हैं ड्रैगन फ्रूट
पूनम ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्म लगाई हैं। किस्मों का चुनाव करने के लिए उन्होंने देश भर के कई ड्रैगन फ्रूट फार्म से मुलाकात की और जानकारी जुटाई है। उन्होंने एक किस्म आंध्रप्रदेश से मंगाई है जबकि दूसरी करनाल से ही ली है और तीसरी वैरायटी उन्होंने अमेरिकन ब्यूटी लगाई है। इन सभी का वजन 300 से 400 ग्राम प्रति फल होता है और एक पिलर से इनको करीब 12 किलो फल मिलता है। उन्होंने अपने 2 एकड़ में 1060 पिलर लगाए हैं। हर पिलर पर उन्होंने 4 पौधे लगाए हैं। पिलर से पिलर की दूरी 7 फिट की है जबकि लाइन से लाइन की दूरी 10 फीट की है। उन्होंने इस को और बेहतर बनाने के लिए कई ऐसे कृषि उपकरण खरीदे हैं जिनसे आसानी से निराई गुड़ाई की जा सकती है।
पूनम के पति कर्नल एसपीएस चीमा ने बताया रिटायरमेंट के बाद हम घर बैठ गए थे तो मेरी पत्नी ने कहा कि हमें खेती में ही कुछ नया करना चाहिए, हमें ऐसे खाली नहीं बैठ सकते क्योंकि आर्मी वाले काफी एक्टिव होते हैं और वह कुछ न कुछ करते रहना पसंद करते हैं। ऐसे में उनकी पत्नी ने उनको सलाह दी कि हमें ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी चाहिए और उसके बाद से हमने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की। जिसका पूरा प्रबंधन उसकी पत्नी के द्वारा ही किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा ड्रैगन फ्रूट बागवानी विभाग में रजिस्टर हो चुका है और अब हरियाणा सरकार ने भी हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान की बात कही है। ऐसे में आने वाले समय में ही ड्रैगन फ्रूट का एरिया हरियाणा में बढ़ेगा और हरियाणा के किसान अच्छी आमदनी ड्रैगन फ्रूट से लेंगे।
ड्रैगन फ्रूट की विशेषता
कर्नल एसपीएस चीमा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट को सुपर फ्रूट भी कहा जाता है। ड्रैगन फ्रूट के पौधे में कीट व रोग बहुत ही कम लगते हैं। हमको करीब 1 वर्ष होने वाला है अभी तक किसी भी प्रकार के कीट या रोग की समस्या हमको ड्रैगन फ्रूट में देखने को नहीं मिली। उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ फंगस की बीमारी आती है जिस को नियंत्रण करने के लिए हम किसी भी प्रकार का केमिकल प्रयोग न करके और ऑर्गेनिक तरीके से उसका नियंत्रण करते हैं। उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट को सुपरफ्रूट मे इसलिय शामिल किया गया है। क्योंकि इस फ्रूट में कई रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। और निश्चित ही हरियाणा में अब इसका दायरा बढ़ने वाला है। जिसे हरियाणा के किसानों को फायदा होगा।