झज्जर/जगदीप
केंद्र सरकार से लोकसभा और राज्यसभा में पारित किए जाने और राष्ट्रपति की,मुहर लगने के बाद पास हुए कृषि कानूनों को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसान, पिछले चार माहीने से भी ज्यादा समय से यहां दिल्ली सीमा के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. इन किसानों में पंजाब की वह महिलाएं भी शामिल हैं जोकि चूल्हा-चौका छोड़कर अपनी खेती और किसानी बचाने के लिए, पुरूष किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कानूनों को रद्द कराने के लिए धरनास्थल पर डटी हुई हैं. इन महिलाओं में से अधिकांश महिलाओं का कहना था कि आंदोलन शुरू होने से पहले तक उन्हें यह नहीं पता था, कि आंदोलन क्या होता है?
और हकों की लड़ाई के लिए आवाज किस तरह से बुलन्द की जाती है, लेकिन जब से टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन शुरू हुआ है तो उन्होंने आंदोलन कैसे किया जाता है, वह भी सीखा और आंदोलन में नारेबाजी किस तरह से की जाती है वह भी सीखी है. पंजाब से आई इन महिला किसानों ने यह भी कहा कि चार माहीने के आंदोलन के दौरान, ही उन्हें अपने हकों की लड़ाई के लिए की जाने वाली नारेबाजी से ही साहस मिला है, और उसके बाद उनका हौसला इस कदर बढ़ा है, कि जीत के लिए कैसे जंग लड़ी जाती है, पंजाब से आई इन महिला किसानों ने मीडिया से अपनी आंदोलन की दास्तान साझा करते हुए कहा, कि उन्हें किसान आंदोलन का हिस्सा बनने पर गर्व है, और अब उन्हें पता चल गया है कि कोई भी महिला जीत के लिए कैसे जंग लड़ सकती है।
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